छूट की सीमा को समझें
आयकर अधिनियम के तहत विभिन्न उत्पादों में निवेश पर टैक्स की अधिकतम सीमा निर्धारित है। धारा 80सी के तहत अधिकतम 1.5 लाख रपए तक के निवेश पर टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं। इसी तरह धारा 80डी और 80ई में भी एक निश्चित सीमा तक की छूट हासिल कर सकते हैं। जो लोग किराए के मकान में रहते हैं इनमें से ज्यादातर का मानना होता है कि 15,000 रपए महीने की किराए की रसीद दे देंगे तो अधिकतम टैक्स बच जाएगा। यदि आप भी ऐसा ही सोच रहे हैं तो बड़ी गलती कर रहे हैं। मकान के किराए पर मिलने वाली छूट का धारा 80सी से कोई लेना-देना नहीं होता। मकान के किराए पर आयकर अधिनियम की धारा 80जीजी के तहत कर छूट का प्रावधान है। वह भी किराए की राशि पर नहीं बल्कि आपके एचआरए और जिस शहर में रह रहे हैं उसकी श्रेणी पर निर्भर करता है।
धारा 80सी का आकलन
इस धारा के तहत 1.5 लाख रपए तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है। इस निवेश में लोक भविष्य निधि (पीपीएफ), जीवन बीमा पॉलिसी, राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी), किसान विकास पत्र, पांच साल की एफडी, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम और भविष्य निधि (पीएफ) में योगदान जैसे विकल्प शामिल हैं। यदि आपने होमलोन ले रखा है, तो उसकी ईएमआई में जाने वाले मूलधन का हिस्से पर भी 80सी के तहत छूट का प्रावधान है। इसके अलावा दो बच्चों की पढ़ाई की ट्यूशन फीस भी 80सी में ही जोड़ी जाती है। ऐसे में आपको यह ध्यान रखना होगा कि केवल 1.5 लाख रपए तक के निवेश पर छूट का लाभ मिलेगा। आप किसी एक योजना में ही 1.5 लाख रपए के निवेश पर टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं अथवा इससे ज्यादा योजनाओं में निवेश पर कर छूट का लाभ ले सकते हैं। कहने का आशय यह है कि निवेश का फैसला अपनी सुविधा के अनुसार लेना चाहिए।
रिटर्न को दें महत्व
टैक्स सेविंग के लिए आप जो भी निवेश करें वह आपके वित्तीय लक्ष्य और जोखिम उठाने की क्षमता के अनुरूप होना चाहिए। जिन विकल्पों में टैक्स छूट के साथ ज्यादा रिटर्न मिले, उन्हें प्राथमिकता दें। बच्चों की शादी अथवा रिटायरमेंट के लिए पीपीएफ सबसे आकर्षक विकल्प है। इसमें सालाना 1.5 लाख रपए तक के निवेश पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है। साथ ही मैच्योरिटी के समय मिलने वाली पूरी रकम टैक्स फ्री होती है। हालांकि यह 15 साल की लंबी अवधि की योजना है लेकिन आपात स्थिति में इस पर ऋण लिया जा सकता है। यदि आपकी 10 साल से छोटी बिटिया है तो सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश बेहतर विकल्प रहेगा। इन योजनाओं में प्रति माह के आधार पर भी निवेश किया जा सकता है। बहरहाल, नौकरीपेशा व्यक्ति को पीपीएफ खाता जरूर खुलवाना चाहिए।
ईएलएसएस का विकल्प
मौजूदा परिदृश्य में टैक्स सेविंग के साथ आकर्षक रिटर्न के लिए ईएलएसएस सबसे बढ़िया विकल्प साबित हो सकता है। यदि आप अभी युवा हैं तो अपनी टैक्स प्लानिंग में ईएलएसएस को जरूर शामिल करें। टैक्स सेविंग के लिए यह सबसे कम यानी तीन साल के लॉक इन पीरियड की योजना है। इसमें निवेश के समय तो कर कटौती का लाभ मिलता ही है साथ ही मैच्योरिटी के समय भी पूरी रकम टैक्स फ्री होती है। लागत के हिसाब से जीवन बीमा जैसे विकल्पों की तुलना में यह काफी किफायती योजना है। इस योजना में निवेश की गई रकम म्यूचुअल फंड के जरिए शेयर बाजार में निवेश की जाती है। इस योजना का रिटर्न शेयर बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। मौजूदा आर्थिक परिदृश्य में ईएलएसएस में तीन साल के निवेश पर अच्छे रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं।
ज्यादा बीमा पॉलिसी खरीदने से बचें
आमतौर पर लोग टैक्स सेविंग के लिए अंतिम समय का इंतजार करते हैं। ऐसे लोग अंतत: निवेश के लिए जीवन बीमा पॉलिसी का ही विकल्प चुनते हैं। हालांकि हर कमाऊ व्यक्ति के लिए जीवन बीमा जरूरी है लेकिन सिर्फ टैक्स सेविंग के लिए जीवन बीमा में निवेश नहीं करना चाहिए। कई बार लोग टैक्स सेविंग के लिए एक से ज्यादा पॉलिसियां खरीद लेते हैं, जो निवेश के लिए कतई उपयोगी नहीं हैं। याद रखें, धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रपए तक के निवेश पर ही टैक्स में छूट मिलती है। यदि आप इससे ज्यादा निवेश करते हैं तो 1.5 लाख रपए से ऊपर की रकम पर टैक्स छूट का कोई लाभ नहीं मिलेगा। इसीलिए टैक्स सेविंग की तैयारी अभी से शुरू कर दें।