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आसानी से मिलने वाला पर्सनल लोन पड़ सकता है भारी, कर्ज लेन से पहले इन बातों पर कर लें गौर

जीवन में कई परिस्‍थ‍ितियां ऐसी भी आती हैं जब हमारी जरूरत अपनी सेविंग से बड़ी होती है। इस समय पर्सनल लोन लेने के अलावा हमारे पास दूसरा चारा नहीं होता।

Surbhi Jain
Updated : July 23, 2016 10:10 IST
नई दिल्‍ली। पैसे की जरूरत हर किसी को होती है, लेकिन जीवन में कई परिस्‍थ‍ितियां ऐसी भी आती हैं जब हमारी जरूरत अपनी सेविंग या अकाउंट बैलेंस से बड़ी होती है। इस समय पर्सनल लोन लेने के अलावा हमारे पास दूसरा चारा नहीं होता। लेकिन कॉम्‍पटीशन के इस दौर में बैंक आपको पर्सनल लोन पर भी शानदार ऑफर दे रहे हैं। लेकिन याद रखें कि पर्सनल लोन मिलना जितना आसान होता है, उतना ही महंगा होता है इसको चुकाना। ऐसे में यदि आप अपनी गंभीर जरूरत के बजाए सिर्फ ऑफर के लालच में आकर लोन लेते हैं तो इसके परिणाम भी आपको भुगतने पड़ सकते हैं। इंडिया टीवी पैसा की टीम आज यहां पर्सनल लोन से संबंधी पूरी विस्‍तृत जानकारी आपको उपलब्‍ध करवा रही है, ताकि जब भविष्‍य में आपको पर्सनल लोन की जरूरत पड़े तो आप उसके बारे में सबकुछ जानतें हों, जिससे अनजाने में होने वाले आर्थिक नुकसान से आप अपने आप को सुरक्षित रख सकें।

किसे मिलता है पर्सनल लोन

पर्सनल लोन देने में बैंक सबसे ज्यादा तरजीह वेतनभोगी व्यक्ति को देते हैं। उसमें भी अगर आपका किसी बैंक में सैलरी अकाउंट है, तो आपके लिए पर्सनल लोन लेना कहीं आसान हो जाता है। बैंक स्वरोजगारी पेशेवर जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, इंजीनियर, आर्किटेक्ट आदि को भी पर्सनल लोन देते हैं। इसके अलावा, कुछ बैंक कारोबारी जैसे प्रोपराइटर, पार्टनरशिप फर्म में पार्टनर आदि के रूप में काम कर रहे लोगों को भी पर्सनल लोन देते हैं।

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क्या हैं फायदे

पर्सनल लोन का सबसे अहम फायदा यह है कि आपकी आकस्मिक जरूरतों के लिए यह सबसे कारगर है। साथ ही सूद पर कर्ज देने वाले व्यक्ति आदि से इस तरह की जरूरतों के लिए लेने वाले कर्ज की तुलना में कहीं सस्ता है। बैंकों से पर्सनल लोन आपको 15-24 फीसदी की दर पर मिल जाता है, जबकि सूदखोर 30-50 फीसदी तक ब्याज ले सकता है। यहीं नहीं क्रेडिट कार्ड के जरिए लिए जाने वाले कर्ज की तुलना में भी पर्सनल लोन सस्ता होता है। इसके लिए आपको किसी तरह की कोई पर्सनल गारंटी, थर्ड पार्टी गारंटी आदि नहीं देनी होती है।

क्या हैं जोखिम

दूसरे कर्ज की तुलना में यह काफी महंगा होता है। पर्सनल लोन पर चुकाई जाने वाली ब्याज दर होम लोन, ऑटो लोन की तुलना में 5-10 फीसदी तक ज्यादा होती है। सभी के लिए पर्सनल लोन लेना आसान नहीं है। बैंक काफी सतर्कता के साथ कर्ज देते हैं। गारंटी न होने की वजह से पर्सनल लोन पर जोखिम ज्यादा होता है। ऐसे में बैंक वेतनभोगी, पेशेवर स्वरोजगारी यानी जिनका बैंकिंग रिकॉर्ड न केवल बेहतर है बल्कि आसानी से मौजूद हैं, उन्हें बैंक कर्ज देते हैं।

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सिबिल की भूमिका अहम

पर्सनल लोन चूंकि पूरी तरह से आवेदक की क्रेडिट साख पर निर्भर होता है। ऐसे में इसे पाने में सिबिल की भी भूमिका काफी अहम हो जाती है। यदि आपका सिबिल में रिकॉर्ड अच्छा नहीं है तो आपके लिए पर्सनल लोन लेना काफी मुश्किल हो जाएगा।

बहुत जरूरी हो तभी लें पर्सनल लोन

पर्सनल लोन का विकल्प उसी हालत में लें अगर आपकी जरूरतें इंतजार नहीं कर सकती हैं। अपनी व्यक्तिगत जरूरतों के लिए पर्सनल लोन लेना आखिरी पसंद होनी चाहिए। जुआ खेलना, नई कार खरीदना आदि शौक के लिए पर्सनल लोन लेना भारी पड़ सकता है।

आपके लोन की लागत निकालने के प्रमुख तथ्य

पर्सनल लोन की ब्याज दर सिर्फ मूल राशि पर निर्भर नहीं होती है। कई अन्य शुल्क लोन की लागत को बढ़ा सकती हैं। इसलिए सिर्फ अलग-अलग बैंकों की ब्याज दरों को पैमाना मानकर पर्सनल लोन की तुलना ना करें।

ऐसे कुछ अतिरिक्त शुल्कों के बारे में यहां जानें-

प्रोसेसिंग फीस- लोन की प्रक्रिया पूरी करने और कर्ज की अर्जी के लिए कर्जधारक से प्रोसेसिंग फीस ली जाती है। सामान्यतया लोन अमाउंट का 1-2 फीसदी इस मद में शुल्क के रूप में लिया जाता है। लोन लेने के समय अर्जी देते समय इस शुल्क को अदा करना होता है।

प्री-पेमेंट शुल्क- अगर ईएमआई लोन टेन्योर के समय से पहले चुका दी जाती हैं तो बैंक इसके लिए लेनदार से प्री-पेमेंट फीस वसूल सकते हैं। अमूमन ये फीस बचे हुए लोन का 2-5 फीसदी के बीच होती है। अधिकांशतया प्री-पेमेंट फीस उसी सूरत में वसूली जाती है अगर लोन की लागत का कुछ निश्चित हिस्सा बचा हो।

विलंब पेमेंट पेनेल्टी- अगर आप अपनी मासिक ईएमआई चुकाने में देरी करते हैं तो बैंक ईएमआई के साथ लेट फीस भी वसूल सकते हैं। ये भी मुख्य तौर पर ईएमआई के 2 से 5 फीसदी के बीच होती है।

चेक बाउंस शुल्क- अगर आपने ईएमआई के रूप में कुछ चेक दिए और आपका चेक बाउंस हो गया तो आपको इसके लिए भी कुछ फीस देनी पड़ सकती है। ये शुल्क 250-500 रुपए के बीच हो सकता है।

डॉक्यूमेंटेशन चार्ज- लोन देने के लिए लेनदार के दस्तावेज को सत्यापित कराने की जरूरत पड़ती है। ज्यादतर बैंक इसके लिए किसी थर्ड-पार्टी वेंडर के जरिए ये काम कराते हैं। सामान्यतया इसके लिए चार्ज 500-1000 रुपए के बीच हो सकता है।

एक ऐसा पर्सनल लोन चुनना जो आपको सबसे ज्यादा फायदा दे सके, इसके लिए आपको निम्न बातों का ध्यान रखना जरूरी है-

 ब्याज दरः ये रेट अलग-अलग बैंकों में अलग अलग हो सकता है। विभिन्न बैंक आपके रिस्क प्रोफाइल (जोखिम उठाने की क्षमता) के आधार पर इस रेट को तय करते हैं।

अन्य चार्जः जैसे कि पहले बताया जा चुका है कि अलग-अलग बैंक विभिन्न शुल्क वसूलते हैं, जिनसे आपके लोन की कुल लागत बढ़ जाती है। इसलिए सिर्फ सस्ती ब्याज दर के आधार पर लोन की लागत का फैसला ना करें। लोन की कुल लागत देखने के बाद ही फैसला करें।

लोन की राशिः आपको देखना होगा कि बैंक जितना लोन दे रहा है वह आपकी जरूरत को पूरा करने के लिए काफी है कि नहीं।

लोन टेन्योर और ईएमआईः अगर छोटी अवधि के लिए लोन लिया है तो जाहिर तौर पर ईएमआई ज्यादा होगी। तो अगर आपको लगता है कि आप ऊंची ईएमआई का भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं तो इससे भी आपके लोन लेने के फैसले पर असर पड़ सकता है।

अगर आप पर्सनल लोन की ईएमआई नहीं चुका पा रहे हैं तो आपको क्या करना चाहिए?

पर्सनल लोन (जो एक अन्सिक्योर्ड लोन है) को सिक्योर्ड लोन में कन्वर्ट करवा लें। इसके लिए आपको घर, गाड़ी और म्यूचुअल फंड का इस्तेमाल गारंटी के रूप में करना पड़ेगा। इसके अलावा आरबीआई बांड और गोल्ड ईटीएफ, बैंक फंड का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। आप अपनी ईएमआई को इस स्तर पर ले आएं, जिसे चुकाना आपके लिए भारी बोझ ना हो। अगर अभी भी आपको लगता है कि इससे आप पर्सनल लोन की ईएमआई चुकाने में सक्षम नहीं है तो आपको अपनी संपत्ति गिरवी रखकर कुछ लोन लेना चाहिए और इस पैसे का इस्तेमाल पर्सनल लोन को चुकाने में कर सकते हैं।

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