नई दिल्ली। हम सभी बेहतर भविष्य को ध्यान में रखते हुए ऐसी जगह इंवेस्टमेंट करते हैं जहां से रिटर्न पर हमें ज्यादा फायदा मिले। लेकिन यदि नौकरीपेशा व्यक्ति से पूछा जाए तो यहां रिटर्न के साथ ही टैक्स सेविंग भी जरूरी है। इसके लिए वह बैंक एफडी, इंश्योरेंस और स्मॉल सेविंग्स आदि की मदद लेता है। लेकिन इन पुराने टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स के साथ ही लोग टैक्स सेविंग बॉण्ड्स की ओर भी तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। इंडिया टीवी पैसा की टीम आज इन्हीं टैक्स सेविंग बॉण्ड के बारे में बताने जा रही है, जिससे आप निवेश से पहले इस बात पर पूरी तरह से निश्चिंत हो जाएं कि यह आपके लिए फायदेमंद है कि नहीं।
क्या होते हैं टैक्स फ्री बॉण्ड
टैक्स फ्री बॉण्ड एक फिक्स इनकम प्रोडक्ट है। सामान्यतया यह बाण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र से जुड़ी आईआरएफसी, पीएफसी, एनएचएआई, हुडको, आरईसी, एनटीपीसी और इंडियन रिन्युएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी जैसी सरकारी कंपनियां पेश करती हैं। यह बाण्ड एक निश्चित समय अवधि जैसे 10 या 15 अथवा 20 साल के लिए जारी किए जाते हैं। इन पर ब्याज भी निश्चित होता है। जैसा कि नाम से ही जाहिर होता है, टैक्स फ्री बॉण्ड पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है। ऐसे में आप जिस भी इनकम ग्रेड में आते हों, आपको इसके रिटर्न पर टैक्स नहीं देना होता है।
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क्या है टैक्स का गणित
आयकर कानून 1961 की धारा 10 (15)(4)(एच) के तहत टैक्स फ्री बॉण्ड पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह से आयकर छूट के दायरे में आता है। लेकिन यह बात ध्यान रखी बेहद जरूरी है कि जो राशि हम टैक्स फ्री बॉण्ड में निवेश करते हैं उस पर किसी प्रकार का टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता है। इसके अलावा ब्याज से हुई आय पर टीडीएस भी नहीं लगता। टीडीएस सिर्फ एप्लीकेशन के दौरान दी गई राशि पर ही लगता है।
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टैक्स फ्री बॉण्ड के लिए डीमैट खाता जरूरी
टैक्स फ्री बॉण्ड में निवेश के लिए डीमैट खाता होना पहली शर्त है, क्योंकि ये फंड स्टॉक एक्सचेंज में भी लिस्ट होते हैं। साथ ही यह भी ध्यान रखना जरूरी होता है कि यदि हम इन बॉण्ड को 12 महीने के भीतर स्टॉक एक्सचेंज पर बेच देते हैं तो हमें मौजूदा टैक्स दरों के आधार पर कैपिटल गेन टैक्स भी चुकाना पड़ता है। वहीं यदि 12 महीने के बाद बेचने पर 10.3 फीसदी की दर से टैक्स चुकाना पड़ता है। ऐसे में यदि हम पूरी अवधि तक इन बॉण्ड को रखते हैं, तभी ये हमारे लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
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टैक्स फ्री बॉण्ड के फायदे
टैक्स फ्री बॉण्ड उन उच्च आय वर्ग के लोगों के लिए बेहतर है जिन्हें अपने पैसे की सुरक्षा के साथ ग्रोथ की भी चिंता है। चूंकि ये बॉण्ड ज्यादातर सरकारी कंपनियों द्वारा पेश किए जाते हैं, ऐसे में यहां निवेशित धन के डूबने की भी चिंता नहीं होती। हालांकि इन पर आपको बहुत ज्यादा रिटर्न नहीं मिलता है, लेकिन कर मुक्त आय के हिसाब से देखा जाए तो ये दूसरे प्रोडक्ट के मुकाबले काफी बेहतर हैं।
नहीं मिलता चक्रवृद्धि ब्याज
लंबे समय के लिए निवेश करने में हमें चक्रवृद्धि ब्याज या फिर कंपाउंडिंग इंट्रेस्ट का फायदा मिलता है। लेकिन वर्तमान में अधिकतर टैक्स फ्री बॉण्ड निवेशक को चक्रवृद्धि ब्याज नहीं दे रहे हैं। यदि निवेशक एक लाख रुपए 7.69 फीसदी ब्याज पर 15 साल के लिए किसी बॉण्ड में पैसा लगाता है तो चक्रवृद्धि ब्याज के हिसाब से उसे 3.04 लाख रु. टैक्स चुकाने के बाद मिलेगा। टैक्स के बाद यह रिटर्न 10.98 फीसदी का हो जाता है। लेकिन टैक्स फ्री बॉण्ड में यह सिर्फ 7.50 फीसदी सालाना ही मिल पाएगा, इसलिए लंबी अवधि के लिए वेल्थ क्रिएशन (पैसे से पैसा बनाने के लिए) के लिए पैसा लगा रहे निवेशकों को यह मुफीद नहीं लग सकता है।
बेहद लंबे समय के लिए निवेश
टैक्स फ्री बॉण्ड की निवेश अवधि भी काफी लंबी होती है। आमतौर पर ये 10 या 15 या फिर 20 साल में परिपक्व होते हैं। यदि आप बीच में बॉण्ड बेचने जाते हैं तो कई बार अधिक कीमत और कई बार बेहद कम कीमत मिलती है। यदि इनके मैच्योर होने तक आप इसे नहीं रखते हैं तो आपको नगदी की तंगी आ सकती है। साथ ही ये आसानी से बेचे भी नहीं जा सकते हैं। ऐसे में आपकी यह मजबूरी हो जाती है कि आप इसे मैच्योर होने तक संभाले रखें।
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