नई दिल्ली: कार्तिक ने अपने रिटायरमेंट(Retirement) के लिए पर्याप्त नकदी का इंतजाम किया। इसके लिए उसने एफडी और बैलेंस्ड फंड में करीब 20 वर्षों तक निवेश किया। साथ ही साथ जरूरी इंश्योरेंस और इमरजेंसी फंड भी तैयार किया। अपने रिटारमेंट से कुछ समय पहले कार्तिक ने एकत्र किए सभी पैसों को अच्छा डिविडेंड देने वाले म्युचुअल फंड में निवेश किया ताकि हर महीने नियमित आय मिल सके और साथ ही कुछ रकम की एफडी करवा दी।
रिटायरमेंट प्लानिंग गड़बड़ाई क्यों?
शेयर बाजार में आई एकाएक गिरावट ने कार्तिक की इस प्लानिंग को नाकाम कर दिया। क्योंकि न तो बैलेस्ड फंड पर किसी तरह का डिविडेंड मिला। और एफडी का ब्याज भी महीने का खर्च चलाने के लिए नाकाफी था। ऐसे में रोजमर्रा की जरूरतों के लिए कार्तिक को निवेश की गई राशि निकालनी पड़ी। अब वह सारी रकम को फिक्स्ड डिपॉजिट करना चाहता है जिससे नियमित आय एक निश्चित तारीख पर मिल सके।
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क्या कार्तिक के लिए FD सही रास्ता है?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि पूरी रकम को फिक्स्ड डिपॉजिट कर देना मुनासिब नहीं होगा। क्योंकि महंगाई का बढ़ता ग्राफ मिलने वाले रिटर्न को पछाड़ देगा। और इस तरह निवेश की गई कुल रकम महज 3 से 4 साल तक ही चल पाएगी।
फिर करे क्या कार्तिक?
एक्सपर्ट मानते हैं कि हर महीने नियमित आय कमाने के लिए कार्तिक को म्युचुअल फंड के सिस्टेमैटिक विद्ड्रॉल प्लान (SWP) में निवेश करना चाहिए। इसके तहत कार्तिक अपने मन मुताबिक निश्चित तारीख कुछ यूनिट्स को रिडीम (भुनाकर) करवाकर उस पैसे को बैंक एकाउंट में क्रेडिट करवा सकता है।
समझ नहीं आया तो उदाहरण से समझो
उदाहरण के तौर पर यदि कार्तिक अपना 30 लाख का कॉर्पस म्युचुअल फंड में निवेश करता है और इस पर उसे औसतन 10 फीसदी की ब्याज मिलता है तो उसे हर महीने 40 हजार रुपए की आय होती रहेगी और उसका यह कॉर्पस 9 से 10 साल चल जाएगा। SWP पर निकासी पूरी तरह टैक्स फ्री होती है।
SWP का फायदा यह है कि नियमित रूप से एक निश्चित राशि देता है। अगर कर्तिक अपने रोज के खर्चों के लिए पैसे चाहता है तो उसके लिए सबसे बेहतर SWP का विकल्प है।
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