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Checklist: हेल्‍थ इंश्‍योरेंस खरीदते वक्‍त जान लें कितनी हैल्‍दी है आपकी पॉलिसी, इन 10 बातों का रखें ख्‍याल

हेल्‍थ पॉलिसी लेते समय आपको इन बातों का ख्‍याल रखना चाहिए, जिससे आप पर मेडिकल एक्‍सपेंस का बोझ न पड़े साथ ही जरूरत के वक्‍त क्‍लेम का पूरा पैसा मिल सके।

Abhishek Shrivastava
Updated : September 05, 2016 19:32 IST
Checklist: हेल्‍थ इंश्‍योरेंस खरीदते वक्‍त जान लें कितनी हैल्‍दी है आपकी पॉलिसी, इन 10 बातों का रखें ख्‍याल
Checklist: हेल्‍थ इंश्‍योरेंस खरीदते वक्‍त जान लें कितनी हैल्‍दी है आपकी पॉलिसी, इन 10 बातों का रखें ख्‍याल

नई दिल्‍ली। मुंबई में रहने वाले 34 वर्षीय कार्तिक ने अपने लिए 10 लाख रुपए की हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी ले रखी है। कार्तिक को पिछले दिनों फेफड़ों की बीमारी के चलते अस्‍पताल में भर्ती करना पड़ा। उनके इलाज का खर्च 5 लाख रुपए आया। उन्‍हें भरोसा था कि हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी इसका खर्च उठाएगी। लेकिन बिल सैटलमेंट के वक्‍त उन्‍हें 1.75 लाख रुपए अपनी ओर से चुकाने पड़े। सवाल यही था कि जब उसका मेडिकल कवर था तो उसे और पैसे क्यों देने पड़े? प्रोडक्‍ट लेते वक्‍त कार्तिक ने कुछ बिंदुओं पर ध्‍यान नहीं दिया, जिसके कारण उसके पास हैल्थ इंश्योरेंस तो था, लेकिन वह पर्याप्त नहीं था। कार्तिक जैसी ही कंडीशन में आपके सामने भी आ सकती है। ऐसे में इंडिया टीवी पैसा की टीम आपको बता रही है हेल्‍थ पॉलिसी लेते समय किन बातों का ख्‍याल रखना चाहिए, जिससे जरूरत के वक्‍त आपको पूरा पैसा मिल सके।

पॉलिसी लेने से पहले क्‍लेम के क्‍लॉज पढ़ लें

पॉलिसी लेते वक्‍त हम अक्‍सर सिर्फ प्रीमियम अमाउंट ही देखते हैं। जबकि कई बार आपका एजेंट पॉलिसी के पीछे के क्‍लॉज नहीं बताता। कई पॉलिसी में कंपनी पूरे भुगतान में कटौती का क्‍लॉज डाल देती है। जैसे पॉलिसीधारक को क्‍लेम के 1/5वें हिस्से का भुगतान खुद करना होगा। ऐसे में पॉलिसी के सभी क्‍लॉज ध्‍यान से पढ़ लें।

कैशलैस अस्पतालों की लिस्‍ट भी जांच लें

अक्‍सर हम हेल्‍थ इंश्‍योरेंस लेते वक्‍त नेटवर्क हॉस्पिटल पर ध्‍यान ही नहीं देते। नेटवर्क हॉस्पिटल से बाहर इलाज करवाते वक्‍त हमें इलाज का पूरा पैसा अस्‍पताल को भुगतान करना पड़ता है। इसके बाद हमें इलाज से जुड़े सभी दस्‍तावेज और रिपोर्ट कंपनी के पास भेजनी होती है। इसमें महीने भर से अधिक का समय लग सकता है। ऐसे में पॉलिसी लेते वक्‍त उसी कंपनी का चयन करें जिसके कैशलैस सुविधा वाले नेटवर्क आपके शहर में हों।

पॉलिसी में कवर हों प्री एवं पोस्‍ट हॉस्पिटलाइजेशन

हमारी बीमारी का करीब 50 फीसदी खर्च ओपीडी, प्री और पोस्‍ट होस्‍पिटलाइजेशन पर होता है। ऐसे में पॉलिसी लेते वक्‍त यह जरूर देख लें कि वह कंपनी आपको कितने समय का प्री एंड पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन के खर्च की भरपाई करने के लिए पॉलिसी में पर्याप्त कवर दे रही है कि नहीं।

ऑर्गन ट्रांसप्‍लांट में हो डोनर का भी कवरेज

आज के समय में सबसे महंगे इलाज में ऑर्गन ट्रांसप्‍लांट भी शामिल है। अक्‍सर पॉलिसियां सिर्फ उसी व्‍यक्ति के खर्च का भुगतान करती हैं, जिसका इंश्‍योरेंस है। लेकिन ऑर्गन लेते वक्‍त हमें दूसरे व्‍यक्ति का भी खर्च उठाना पड़ता है। ऐसे में ध्‍यान रखें की आपकी पॉलिसी में डोनर के इलाज का खर्चा भी शामिल हो।

इलाज के समय लीव विथआउट पे का भी हो भुगतान

लंबे इलाज के दौरान अक्‍सर मरीज पर दोहरी मार वहां से भी पड़ती है, जहां वह जॉब करता है। एक महीने से लंबी छुट्टी में कंपनी आपको सैलरी का भुगतान नहीं करती। ऐसे में इलाज के अलावा दूसरे खर्चों की भरपाई मुश्किल हो जाती है। बहुत सी इंश्‍योरेंस कंपनियां हॉस्पिटलाइजेशन के दौरान हर दिन के हिसाब से पैसों का भुगतान करती हैं। ऐसे में यदि पॉलिसी में यह अतिरिक्त कवर लेते हैं तो यह सुविधा आपके लिए फायदेमंद होगी।

घर में हुए इलाज का भी मिलता है खर्च

बहुत से इलाज ऐसे होते हैं, जिनके लिए अधिक समय तक हॉस्पिटल में रहने की जरूरत नहीं। इलाज घर पर भी करवा सकते हैं। ऐसे में पॉलिसी लेते वक्‍त इस बात का भी ध्‍यान रखें कि उसमें डॉमिसिलियरी ट्रीटमेंट या फिर घर में किए गए इलाज का खर्चा भी शामिल हो।

पॉलिसी में शामिल हो डे केयर

अक्‍सर हेल्‍थ पॉलिसी देने वाली इंश्‍योरेंस कंपनियां कम से कम 24 घंटे हॉस्पिटलाइजेशन पर ही इंश्‍योरेंस कवर मुहैया करवाती हैं। लेकिन बहुत सी बीमारी ऐसी होती हैं जिनके लिए 24 घंटें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती। ऐसी पॉलिसी लें जो अधिकांश डे केयर प्रॉसिजर को कवर करती है।

पॉलिसी लेते वक्‍त जरूर करें कंपेरिजन

आज बहुत सी वेबसाइट हैं जो कि प्राइज के साथ ही हेल्‍थ इंश्‍योरेंस के कवरेज का भी कंपेरिजन पेश करती हैं। इन वेबसाइट्स या फिर पत्रिकाओं की मदद जरूर लें। अलग अलग कंपनियों के प्लान की तुलना कर के  देखें कि ज्यादा प्रीमियम कौन दे रहा है। हमेशा विश्वसनीय इंश्योरर का ही चयन करें।

फैमली फ्लोटर पॉलिसी के क्‍लाज ध्‍यान से पढ़ें

इसे चुनने से पहले सुनिश्चित कर लें पॉलिसी की कुल कीमत आसानी से फलोट हो सके और साल के कभी भी किसी भी सदस्य को मिल सके। कई फैमली फ्लोटर पॉलिसी में 100 फीसदी राशि प्रोपोजर को इंश्योर की जाती है, लेकिन 50 फीसदी जीवनसाथी और 25 फीसदी बच्चों के लिए सीमित होती है। ऐसी पॉलिसी लेने से बचें।

को-पेमेंट क्लॉज वाली पॉलिसी से बचें

कुछ इंश्योरर अपने नियम और शर्तों में को-पेमेंट क्लॉज जोड़ा देते हैं। को-पेमेंट पॉलिसी के सस्ते प्रिमियम होते है क्योंकि आप बिना किसी शर्त के एक निश्चित राशि देने के लिए तैयार हो जाते हैं। कम प्रीमियम देने से आप भविष्य में अपने लिए एक बड़ी समस्या का सामना कर सकते हैं।

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