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Loan लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के बाद बैंक किससे वसूलता है कर्ज, जानें

एक्सपर्ट का कहना है कि जब कोई बैंक मृतक उधारकर्ता के बकाया लोन देने का अनुरोध किसी कानूनी उत्तराधिकारी से करता है तो उत्तराधिकारी को केवल मृतक उधारकर्ता से विरासत में मिली कुल संपत्तियों के मूल्य तक बकाया ऋण राशि चुकाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Dec 20, 2024 12:14 IST, Updated : Dec 20, 2024 12:14 IST
Loan
Photo:FILE लोन

क्या आपने कभी सोचा है कि अगर किसी व्यक्ति ने किसी बैंक से होम, कार या कोई लोन लिया और लोन अविध के दौरान किसी कारण से उस व्यक्ति की आकस्मिकयक मृत्यु हो गईकी वसूली किससे करेगा? कई लोगों का मानना है कि अगर लोन लेने वाले व्यक्ति  की मृत्यु हो जाती है तब बैंक लोन को माफ कर देती है। हालांकि, इसमें सच्चाई नहीं है। बैंक लोन लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी लोन की वसूली करता है। आइए जानते हैं कि बैंक किससे वसूलता है लोन। 

होम लोन 

होम लोन के मामले में अगर लोन लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो बैंक सबसे पहले co-borrower यानी सह-उधारकर्ता से संपर्क करता है। उसे बकाया लोन चुकाने को कहता है। अगर कोई सह-उधारकर्ता मौजूद नहीं होता तो बैंक पुनर्भुगतान के लिए लोन गारंटर या कानूनी उत्तराधिकारी की ओर रुख करता है। अगर व्यक्ति ने लोन का इंश्योरेंस कराया है तो बैंक बीमा कंपनी को लोन भुगतान करने को कहती है। ये सारे विकल्प नहीं होने पर बैंक बकाया लोन वसूलने के लिए बैंक संपत्ति की नीलामी करने को स्वतंत्र होता है। 

कार लोन

कार लोन की अवधि के दौरान उधारकर्ता की मृत्यु होने की स्थिति में बैंक शेष राशि वसूलने के लिए उधारकर्ता के परिवार से संपर्क करता है। अगर कानूनी उत्तराधिकारी शेष ऋण राशि का भुगतान करने से इनकार करता है तो बैंक को वाहन को वापस लेने और अपने नुकसान की भरपाई के लिए इसे नीलामी में बेचने का अधिकार है।

पसर्नल और क्रेडिट कार्ड ऋण

सिक्योर्ड लोन के विपरीत, अनसिक्योर्ड लोन, जैसे कि पसर्नल या क्रेडिट कार्ड लोन, मामले में अगर ऋण अवधि के दौरान उधारकर्ता की मृत्यु हो जाती है, तो बैंक बकाया राशि के लिए कानूनी उत्तराधिकारी या परिवार के सदस्यों पर दबाव नहीं बना सकता है। अगर कोई सह-उधारकर्ता मौजूद है, तो बैंक उस व्यक्ति के खिलाफ वसूली की कार्यवाही शुरू कर सकता है। हालांकि, सह-उधारकर्ता की अनुपस्थिति में और लोन वसूलने के कोई वैकल्पिक साधन न होने पर, बैंक इस लोन को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) में डाल देता है। 

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