Treasury Bills: ट्रेजरी बिल को आमतौर पर टी-बिल के रूप में जाना जाता है। भारत में ट्रेजरी बिल केंद्रीय बैंक द्वारा जारी होते हैं। RBI इन्हें बॉन्ड या ट्रेजरी बिल के रूप में नीलाम करता है। ट्रेजरी बिलों के माध्यम से सरकार वर्तमान दायित्वों को पूरा करने के लिए फंड जुटाती है। जैसे कि अस्पताल, सड़क, राजमार्ग आदि जैसे आवश्यक बुनियादी ढांचों का निर्माण। जब आप टी-बिल में निवेश करते हैं तो इसका मतलब आप सरकार को पैसा उधार दे रहे हैं। इसके बाद सरकार एक साल के भीतर जो कर्ज लौटाती है, उसे ट्रेजरी बिल कहा जाता है।
टी बिल की खासियत
आरबीआई के नियमों के अनुसार, टी-बिल में निवेश की न्यूनतम राशि 25,000 रुपये होनी चाहिए। जबकि निवेश की अधिकतम राशि 25,000 के मल्टीपल पर कितनी भी हो सकती है। इसमें निवेश की जितनी ज्यादा मैच्योरिटी होती है, ट्रेजरी बिल निवेशक को उतना ही अधिक ब्याज मिलता है. यानी आप जितने ज्यादा समय के लिए पैसा निवेश करते हैं, आपको उतना ज्यादा लाभ मिलता है। ऐसे बॉन्ड्स में निवेश पर आपको बड़े आराम से 6 से 7.5 फीसदी तक ब्याज मिल जाता है।
बिना जोखिम के निवेश
टी-बिल आरबीआई द्वारा जारी किए जाते हैं और भारत सरकार द्वारा समर्थित होते हैं। यह एक अल्पकालिक ऋण साधन है। इसलिए इसका मैच्योरिटी पीरियड एक साल से कम होता है और ये बहुत सुरक्षित भी है। ट्रेजरी बिल में निवेश धन राशि को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है। वित्तीय संकट में भी केंद्र सरकार टी-बिल के निवेशकों को पूरा पैसा देने का वादा करती है।
ट्रेजरी बिल के प्रकार
ट्रेजरी बिल अधिक लिक्विडी इनवेस्टमेंट होते हैं, क्योंकि यहां निवेश कम अवधि के लिए किया जा सकता है। टी-बिल के प्रकार उनके मैच्योरिटी पीरियड के आधार पर उपलब्ध हैं। टी बिल में आप 91 दिन, 182 दिन या फिर 364 दिन के लिए पैसा निवेश कर सकते हैं।