Wealth Rich Man: देश में महंगाई का संकट फिर से मंडराने लगा है। इससे आम जनता को फिर से अधिक कीमत पर समान खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। सोचिए क्या कभी इस उन लोगों को कोई फर्क पड़ता होगा जो करोड़ों रुपये टैक्स के रुप में सरकार को दे देते हैं। आज की स्टोरी में हम उन्हीं लोगों की बात करेंगे। भारत में जितनी बड़ी आबादी है उतने ही हर साल करोड़पति बढ़ रहे हैं। सालाना एक करोड़ रुपये से अधिक आय वाले व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स की संख्या पिछले दो साल में मार्च 2022 तक दोगुनी होकर 1.69 लाख हो गई है। आकलन वर्ष 2022-23 के टैक्स रिटर्न के आंकड़ों (वित्त वर्ष 2021-22 की अर्जित आय से संबंधित) के अनुसार, कुल 1,69,890 लोगों ने सालाना आय एक करोड़ रुपये से अधिक दिखाई है। इससे पूर्व आकलन वर्ष 2021-22 में ऐसे लोगों की संख्या 1,14,446 थी।
हर साल बढ़ी अमीरों की संपत्ति
आकलन वर्ष 2020-21 में 81,653 व्यक्तियों ने अपनी आय एक करोड़ रुपये से अधिक दिखायी थी। आकलन वर्ष 2022-23 में 2.69 लाख इकाइयों ने अपनी आय एक करोड़ रुपये से अधिक दिखायी। इन इकाइयों में व्यक्तिगत करदाता, कंपनी, फर्म और न्यास शामिल हैं। आकलन वर्ष 2022-23 में भरे गये आईटीआर की संख्या 7.78 करोड़ रही जो आकलन वर्ष 2021-22 और 2020-21 में क्रमश: 7.14 करोड़ और 7.39 करोड़ थी।
सबसे अधिक करोड़पति महाराष्ट्र में
56,000 करोड़पति परिवारों के साथ महाराष्ट्र देश में ऐसा राज्य है, जो करोड़पति परिवारों के मामले में शीर्ष स्थान पर है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके बाद उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और गुजरात का स्थान है। देश में कुल 4.12 लाख अत्यधिक अमीर परिवार हैं और कुल अमीरों में से 46 प्रतिशत परिवार संयुक्तरूप से इन पांच राज्यों में रहते हैं। हुरून इंडिया (Hurun India) द्वारा 2020 में एक वेल्थ रिपोर्ट जारी किया गया था।
भारत में हैं कुल 4.12 लाख करोड़पति परिवार
राज्य | करोड़पति परिवारों की संख्या |
महाराष्ट्र | 56,000 |
उत्तर प्रदेश | 36,000 |
तमिलनाडु | 35,000 |
कर्नाटक | 33,000 |
गुजरात | 29,000 |
पश्चिम बंगाल | 24,000 |
राजस्थान | 21,000 |
आंध्र प्रदेश | 20,000 |
मध्य प्रदेश | 18,000 |
तेलंगाना | 18,000 |
राज्यवार देखा जाए तो आकलन वर्ष 2022-23 के लिये महाराष्ट्र शीर्ष पर रहा जहां 1.98 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल किये गये। उसके बाद उत्तर प्रदेश (75.72 लाख), गुजरात (75.62 लाख) और राजस्थान (50.88 लाख) का स्थान रहा। पश्चिम बंगाल में 47.93 लाख, तमिलनाडु में 47.91 लाख, कर्नाटक में 42.82 लाख, आंध्र प्रदेश में 40.09 लाख और दिल्ली में
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