UAE Golden Visa: यूएई ने साल 2019 में गोल्डन वीजा की शुरुआत की थी। इस वीजा को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य विदेशी निवेशकों को आकर्षित करना था। गोल्डन वीजा के जरिए भारतीय निवेशक न सिर्फ दुबई समेत यूएई के बड़े शहरों में प्रॉपर्टी में निवेश कर सकते हैं बल्कि यूएई में लॉन्ग टर्म रेसिडेंस का भी पूरा फायदा उठा सकते हैं। ये वीजा, कोई वीजा नहीं है। यूएई इस गोल्डन वीजा को मुख्य रूप से निवेशकों, ऑन्त्रेप्रेन्यॉर्स, रिसर्चर्स और प्रभावशाली स्टूडेंट्स को जारी करता है। इस वीजा के साथ आप यूएई में 5 या 10 साल के लिए रह सकते हैं, जिसे बाद में दोबारा रीन्यू भी कराया जा सकता है।
गोल्डन वीजा के लिए क्या हैं एलिजिबिलिटी
अगर आप किसी इंवेस्टमेंट फंड में निवेश करते हैं, तो आपको स्पॉन्सर के बिना 10 साल के लिए गोल्डन वीजा दिया जा सकता है। बशर्ते, संयुक्त अरब अमीरात में मान्यता प्राप्त इंवेस्टमेंट फंड से एक लेटर जारी कराना होगा, जिसमें ये कहा गया हो कि आपके के पास 2 मिलियन दिरहम (AED 2 Million) का डिपॉजिट है, या एक वैलिड कमर्शियल लाइसेंस या इंडस्ट्रियल लाइसेंस और एसोसिएशन का ज्ञापन प्रस्तुत करना होगा, जिसमें ये कहा गया हो कि आपकी पूंजी 2 मिलियन दिरहम या इससे ज्यादा है।
रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट के लिए AED 1 मिलियन के मिनिमम डाउन पेमेंट का नियम खत्म
साल 2024 की शुरुआत में, यूएई की सरकार ने गोल्डन वीजा प्रोग्राम में एक बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव किया था। सरकार ने रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट के लिए AED 1 मिलियन के मिनिमम डाउन पेमेंट के नियम को खत्म कर दिया था। सरकार के इस कदम ने भारतीयों के लिए यूएई में निवेश करना और भी आसान बना दिया है, खासकर उन निवेशकों के लिए जो ऑफ-प्लान रियल एस्टेट में इंवेस्टमेंट करना चाहते हैं।
यूएई में इनकम पर नहीं देना होता कोई टैक्स
बताते चलें कि, दुबई के वर्ल्ड क्लास इंफ्रा और कमाई के अपार मौकों को देखते हुए यहां प्रॉपर्टी के साथ-साथ किराये में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हो रही है। लिहाजा, भारतीय निवेशकों के लिए ये एक गोल्डन मौका है। बताते चलें कि, यूएई में इनकम पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं देना होता है। यही वजह है कि दुबई समेत पूरे यूएई में विदेशी बिजनेसमैन, ऑन्त्रेप्रेन्यॉर्स और निवेशकों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।