Highlights
- कंज्यूमर को हर हाल में समान रिपेयर कराकर देना कंपनी की जिम्मेदारी है
- इस कानून के आते ही नया समान खरीदने की मजबूरी का सामना न करना पड़ेगा
- राइट टू रिपेयर कानून यदि पास हो जाता है तो इसका फायदा कंज्यूमर को होगा
मोबाइल, कम्प्यूटर, टैबलेट या फिर कोई अन्य समान टूट फूट जाए या खराब हो जाए तो इसकी जिम्मेदारी कंपनी की होगी। कंपनी को समान रिपेयर कराकर हर हाल में देना होगा। कंपनी कोई भी बहाना नहीं बना पाएगी।
कंज्यूमर के बल्ले-बल्ले होने वाले हैं। जो काम विकसित देशों में कहीं-कहीं दीखते हैं वह भारत में सच होने वाला है। आए दिन कंज्यूमर रोज ठगी के शिकार हो रहे हैं। कभी कंपनी के शर्त के नाम पर तो कभी पुराने प्रोडक्ट के बंद हो जाने से। आपके घर में भी अनेकों मोबाइल होंगे जो यूं ही किसी कोने में रखे पड़े हैं। हो सकता है आपने कोशिश की होगी ठीक करवाने की लेकिन कंपनी का कहना होगा कि अब यह मॉडल आना बंद हो चुका है, इसके कल-पुर्जे अब बन नहीं रहे हैं इसलिए इस मोबाइल की रिपेयरिंग नहीं होगी। आप सोचे होंगे इसमें मेरी क्या गलती! दरअसल यही बात केंद्र सरकार सोची है; कंज्यूमर को हर हाल में समान रिपेयर कराकर देना कंपनी की जिम्मेदारी है।
कंपनी अलग-अलग समय पर अलग-अलग मॉडल लांच करती रहती है किंतु कुछ साल बाद उस मॉडल का निर्माण बंद कर देती है। उनके विभिन्न कल-पुर्जे भी आना बंद हो जाते हैं। कंपनी को कोई नुकसान नहीं होता, नुकसान कंज्यूमर का हो जाता है। बेचारा कंज्यूमर जगह-जगह समान को रिपेयर कराने के लिए दौड़ लगाते रहते हैं। इन्हीं समस्या को केंद्र सरकार ने समझी है और पार्लियामेंट में कानून लाने की तैयारी कर रही है।
इस कानून के आते ही नया समान खरीदने की मजबूरी का सामना न करना पड़ेगा। पुराने मोबाइल, कम्प्यूटर और टैबलेट को कभी भी रिपेयर करवाया जा सकेगा। राइट टू रिपेयर प्रोडक्ट की सूची में मोबाइल, कम्प्यूटर, टैबलेट, कृषि उपकरण, कंज्यूमर के टिकाऊ समान और ऑटोमोबाइल को रखा गया है। इनमें होने वाली किसी भी खराबी से निजात दिलाना कंपनी की जिम्मेदारी बन जाएगी। कंज्यूमर का अधिकार होगा कि उनके समान ठीक हो।
राइट टू रिपेयर कानून यदि पास हो जाता है तो इसका फायदा न सिर्फ कंज्यूमर को होगा बल्कि पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा। प्रोडक्ट का निर्माण कम होगा क्योंकि यदि मोबाइल कंप्यूटर टैबलेट इत्यादि रिपेयर के बाद सही से वर्क करेगा तो कोई क्यों दूसरा प्रोडक्ट खरीदेगा जब तक कि इस्तेमाल की आवश्यकता न हो। बहुत से इलेक्ट्रिक समान का रिसाइक्लिनिंग सही से नहीं हो रहा है इससे छुटकारा मिलेगा क्योंकि समान पुनः रिपेयर होकर इस्तेमाल लायक बन जाएंगे।
राइट टू रिपेयर का कॉन्सेप्ट पूरी दुनिया में अमेरिका से आया है। अमेरिका ने साल 2012 में इस प्रकार का अधिकार अपने कंज्यूमर को दिया था। उसके बाद ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय देश इस प्रकार का कानून लाए थे। राइट टू रिपेयर कानून के पास होते ही भारत इस शानदार सूची में शामिल हो जाएगा।