Highlights
- आईटीआर फाइल करने के वक्त आपको यह फॉर्म-16 की जरूरत पड़ेगी
- एआईएस फॉर्म में आपके साल भर में सभी ट्रांजेक्शन की जानकारी होती है
- 1 लाख रुपये से अधिक के लॉन्ग टर्म गेन पर 10 फीसदी टैक्स लगता है
Tax Filing Tips: आप यदि नौकरीपेशा हैं या फिर किसी भी जरिए से पैसा कमा रहे हैं, तो आपके लिए 31 जुलाई की तारीख बेहद अहम हैं। 2022 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख (ITR Filing Last Date) यही है। आप में से बहुत से लोग अब तक आईटीआर फाइल कर चुके होंगे। लेकिन फिर भी कई लोग अभी आखिरी तारीख के इंतजार में होंगे।
यदि आपने भी टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया है तो यह खबर आपके लिए ही है। आप तुरंत आईटीआर फाइल कर दें, लेकिन जरूरी है कि रिटर्न फाइल करते समय आप एक चेकलिस्ट जरूर तैयार कर लें। यदि आपने संभल कर टैक्स फाइल नहीं किया तो आपके पास आयकर विभाग का नोटिस आ सकता है, जिस पर आपको दंड भी भरना पड़ सकता है। आज इंडिया टीवी पैसा की टीम ऐसे ही 5 चेकलिस्ट के बारे में बात कर रहा है जिन पर आपको जरूर ध्यान देना चाहिए।
फॉर्म 16 और 26एएस
यदि आप नौकरीपेशा हैं तो आपकी कंपनी से करीब एक महीने पहले आपको फॉर्म 16 जरूर रिसीव हुआ होगा। आईटीआर फाइल करने के वक्त आपको यह फॉर्म-16 की जरूरत पड़ेगी। फॉर्म-16 में आपकी सैलरी पर लगे टैक्स के बारे में भी सारी सूचना होती है। इसके साथ ही 26एएस फॉर्म जरूर चेक कर लें। इस फॉर्म में आपके टैक्स की जानकारी मिलती है। अगर आपको लगता है कि कोई जानकारी सही नहीं है तो आप उसे सही करवा सकते हैं। हालांकि, किसी भी जानकारी को सही करवाने में 7-10 दिन तक का समय लग सकता है।
AIS फॉर्म
एआईएस का मतलब होता है एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट फॉर्म। इस एआईएस फॉर्म में आपके साल भर में सभी ट्रांजेक्शन की जानकारी होती है। इसमें आपकी सैलरी, रेंट, ब्याज आदि से कहां-कहां से कितनी इनकम हुई है और आपने इस बीच क्या-क्या बेचा है। अगर आपको लगे कि कोई ट्रांजेक्शन छूट गई है तो उसे आईटीआर फाइल करते वक्त जरूर बता दें।
कैपिटल गेन स्टेटमेंट फॉर्म
यदि आप स्टॉक्स या म्यूचुअल फंड में निवेश करते हें तो आपको हुए कैपिटल गेन स्टेटमेंट की जानकारी भी आपको होनी चाहिए। 1 लाख रुपये से अधिक के लॉन्ग टर्म गेन पर 10 फीसदी टैक्स लगता है। वहीं दूसरी ओर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर 15 फीसदी टैक्स लगता है। इस टैक्स की कैल्कुलेशन काफी कठिन होती है, इसलिए खुद ब्रोकरेज फर्म की तरफ से ही आपके लिए टैक्स कैल्कुलेशन की जाती है।
बैंक बैलेंस पर ब्याज
आम तौर पर देखा गया है कि कर दाता दूसरे स्रोतों से हुई इनकम की जानकारी नहीं देते। इसमें सबसे अहम जानकारी प्राप्त ब्याज को लेकर होती है। यदि आपको बैंक डिपॉजिट से आय हुई हो तो उसकी जानकारी बताना जरूरी होता है। अगर आपको कोई कनफ्यूजन हो तो आप एआईएस फॉर्म भी देख सकते हैं, उसमें इसकी जानकारी मिल जाएगी।
रिटर्न को करें वेरिफाई
टैक्स रिटर्न फाइल करना सिर्फ काफी नहीं होता है, बल्कि जब तक इसका वेरिफिकेशन नहीं होगा तब तक रिटर्न मान्य नहीं होगा। कोई भी व्यक्ति 6 तरीकों की मदद से ITR को वेरिफाई करा सकता है। आप आधार ओटीपी के जरिए आसानी से टैक्स रिटर्न वेरिफाई कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपका आधार-पैन लिंक होना जरूरी है। आप चाहे तो अपने नेटबैंकिंग अकाउंट में लॉगिन कर के भी टैक्स रिटर्न वेरिफाई कर सकते हैं। इसके साथ ही आप इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड यानी ईवीसी जनरेट कर के भी आप रिटर्न वेरिफाई कर सकते हैं। वहीं डीमैट अकाउंट या बैंक एटीएम के जरिए भी रिटर्न वेरिफाई किया जा सकता है। आखिरी तरीका यह है कि आप आईटीआर-वी फॉर्म की कॉपी साइन कर के बेंगलुरु के इनकम टैक्स के ऑफिस में भेज सकते हैं।