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Online Shoppers: आपको भी है ऑनलाइन खरीदारी की लत, ये फंडे कराएंगे आपका फायदा

यहां धोखेबाजों द्वारा आमतौर पर अपनाए जाने वाले तरीकों और विभिन्न वित्तीय लेनदेन करते समय किए जाने वाले उपायों का विवरण दिया गया है

Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: July 16, 2022 15:37 IST
Online Shoppers- India TV Paisa
Photo:FILE Online Shoppers

Highlights

  • ऑनलाइन शॉपिंग की हमारी लत का फायदा अक्सर हैकर्स और धोखेबाज उठाते हैं
  • ऑनलाइन खरीदारी बढ़ने के साथ ही ऑनलाइन फ्रॉड में जबर्दस्त उछाल आया है
  • रिजर्व बैंक ने हाल ही में "BE(A)WARE" नामक एक पुस्तिका जारी की है

Online Shoppers: आज के समय में हमारी पूरी दुनिया ही ऑनलाइन हो चुकी है। हम बैंकिंग से लेकर पढ़ाई भी ऑनलाइन ही कर रहे हैं। ​लेकिन सबसे बड़ा बदलाव आया है हमारी शॉपिंग में। अब हम बाजार में जाकर दुकान दर दुकान शॉपिंग नहीं करते हैं, अब जमाना है ऑनलाइन शॉपिंग का। हम किराना से लेकर कपड़े तक और गैजेट्स से लेकर ज्वैलरी तक, सब कुछ ऑनलाइन ही खरीदते हैं। कंपनियां भी हमारी इस आदत का पहचानती हैं, तभी तो फेसबुक या इंस्टा सर्फ करते समय हमें अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी वेबसाइट की लुभावनी डील्स दिख जाती है, और हम झटपट शॉपिंग भी कर लेते हैं। 

ऑनलाइन शॉपिंग की हमारी इसी लत का फायदा अक्सर हैकर्स और धोखेबाज उठाते हैं। ऑनलाइन खरीदारी बढ़ने के साथ ही ऑनलाइन फ्रॉड में जबर्दस्त उछाल आया है। दुनिया के किसी कोने में बैठै ये धोखेबाज ग्राहकों को फंसाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। लोगों को जालसाजों के इसी जंजाल से बचाने के लिए रिजर्व बैंक ने हाल ही में "BE(A)WARE" नामक एक पुस्तिका जारी की है जिसमें धोखेबाजों द्वारा आमतौर पर अपनाए जाने वाले तरीकों और विभिन्न वित्तीय लेनदेन करते समय किए जाने वाले उपायों का विवरण दिया गया है।

2021 में आई फ्रॉड की बाढ़

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल और सितंबर 2021 के बीच कुल 4,071 धोखाधड़ी के मामलों की सूचना मिली है। इन मामलों में कुल 36,342 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई थी। इसलिए आरबीआई ग्राहकों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए सभी उपाय कर रहा है।

आइए देखें कि यह कैसे काम करता है और ऑनलाइन खरीद और बिक्री से निपटने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां।

ऑनलाइन फ्रॉड का सबसे आम तरीका

पुराने सामान की ऑनलाइन खरीद बिक्री प्लेटफॉर्म पर, धोखेबाज अक्सर खरीदार के रूप में सामने आते हैं। ये लोग सामान बेच रहे व्यक्ति के उत्पाद में रुचि व्यक्त करते हैं। इसके अलावा, विश्वास हासिल करने के लिए, कई धोखेबाज दूरदराज के क्षेत्रों में तैनात रक्षा कर्मियों के रूप में सामने आते हैं।

ये धोखेबाज विक्रेता को भुगतान करने के बजाय, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ऐप के "मनी रिक्वेस्ट" विकल्प का उपयोग करते हैं और मांग करते हैं कि सामान बेचने वाला यूपीआई पिन दर्ज करके अनुरोध को पूरा करे। एक बार विक्रेता द्वारा पिन डालने पर जालसाज के खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया जाता है।

RBI की बुकलेट के मुताबिक ये सावधानियां बताई गई हैं

  • ऑनलाइन खरीद बिक्री प्लेटफॉर्म का उपयोग करके उत्पाद खरीदते या बेचते समय हमेशा सावधान रहें।
  • हमेशा याद रखें कि पैसा पाने के लिए कहीं भी पिन/पासवर्ड डालने की जरूरत नहीं है।
  • यदि UPI या किसी अन्य ऐप के लिए आपको लेन-देन पूरा करने के लिए पिन दर्ज करने की आवश्यकता है, तो इसका मतलब है कि आप इसे प्राप्त करने के बजाय पैसे भेज रहे होंगे।
  • किसी की व्यक्तिगत जानकारी की गोपनीयता को हर समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है, अज्ञात कॉल, ईमेल या टेक्स्ट से सावधान रहना, और वित्तीय लेनदेन करते समय सही प्रोसेस का पालन करना चाहिए।

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