अगर आप शेयर बाजार में एक्टिव रह कर काम नहीं करना चाहते तो म्यूचुअल फंड बाजार में निवेश करने का सबसे कारगर और असरदार तरीका माना जाता है। जानकारी भी मानते हैं कि कोई व्यक्ति लंबी अवधि का नजरिया लेकर सही प्लानिंग के साथ म्यूचुअल फंड स्कीम्स में निवेश करता है तो लंबी अवधि में वह काफी अच्छी वैल्थ कमा लेता है। लेकिन कुछ निवेशक म्यूचुअल फंड स्कीम के रेगुलर टाइप को चुनते हैं। इस कारण उनका रिटर्न उसी म्यूचुअल फंड स्कीम में डायरेक्ट टाइप चुनने वालों से कम रह जाता है। ऐसे में आपको रेगुलर और डारेक्ट म्यूचुअल फंड टाइप को जानना चाहिए।
किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम के दो टाइप होते हैं।
- रेगुलर म्यूचुअल फंड
- डायरेक्ट म्यूचुअल फंड
क्या होते हैं रेगुलर म्यूचुअल फंड?
रेगुलर म्यूचुअल फंड के तहत किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम में पैसा एजेंट के जरिए लगाया जाता है और आपको अपनी राशि में से कुछ हिस्सा कमीशन के रूप में एजेंट को देना होता है। इसका असर सीधे आपके रिटर्न पर पड़ता है और आपका रिटर्न कम हो जाता है।
क्या होते हैं डायरेक्ट म्यूचुअल फंड?
डायरेक्ट म्यूचुअल फंड के तहत आपका निवेश बिना किसी एजेंट के सीधे म्यूचुअल फंड स्कीम में होता है और आपको अपनी राशि पर किसी भी प्रकार का कमीशन नहीं देना होता है। कमीशन नहीं देने के कारण आपका रिटर्न बढ़ जाता है और सीधे फायदा होता है।
रेगुलर और डायरेक्ट म्यूचुअल फंड के रिटर्न में अंतर
रेगुलर और डायरेक्ट म्यूचुअल फंड स्कीम दोनों के अपने-अपने फायदे हैं। रेगुलर म्यूचुअल फंड में एजेंट होने के कारण आप निवेश करते समय उसकी सलाह ले सकते हैं। वहीं, डायरेक्ट म्यूचुअल फंड में आपको अपने विवेक के अनुसार ही निवेश करना होता है। आमतौर पर देखा जाता है कि रेगुलर और डायरेक्ट म्यूचुअल फंड के रिटर्न में 0.5 प्रतिशत से लेकर 2 प्रतिशत तक का अंतर होता है।