बारिश के मौसम ने भले ही आपको गर्मी से राहत दी हो, लेकिन जून महीने की बारिश ने आपके घर का बजट जरूर बिगाड़ दिया है। जून महीने में महंगाई (Retail Inflation) में जबर्दस्त उछाल आया है। बारिश के बीच सब्जियों, मसालों और अन्य खाद्य उत्पादों की कीमतें बढ़ने से जून में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर तीन महीनों के उच्चस्तर 4.81 प्रतिशत पर पहुंच गई। महंगाई मई में 4.25% पर आ गई थी । जून में अनाज की कीमतें 12.7% बढ़ीं। दूध और दूध उत्पादों में महंगाई 8.56% थी। दालों की महंगाई 10.53% थी जबकि कपड़े और जूते की महंगाई 6.19% थी।
ताजा आंकड़ों के अनुसार शहरों में गांव से ज्यादा महंगाई रिकॉर्ड की गई। शहरी महंगाई दर जून में बढ़कर 4.96% पर पहुंच गई। वहीं ग्रामीण महंगाई दर बढ़कर 4.72% (MoM) रही।
अप्रैल के बाद सबसे तेज महंगाई
सरकार ने बुधवार को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए। मई में खुदरा मुद्रास्फीति 4.31 प्रतिशत रही थी जबकि साल भर पहले जून, 2022 में यह सात प्रतिशत थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जून में खाद्य उत्पादों की मुद्रास्फीति 4.49 प्रतिशत रही जबकि मई में यह 2.96 प्रतिशत थी। सीपीआई में खाद्य उत्पादों का भारांक लगभग आधा होता है।
रिजर्व बैंक की सहनीय सीमा के भीतर है महंगाई
जून में खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़ने के बावजूद यह भारतीय रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर के नीचे है। सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत तक सीमित रखने का दायित्व सौंपा हुआ है। रिजर्व बैंक खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े को ध्यान में रखते हुए द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा करता है।
फिर बढ़ सकती है ब्याज दर
रिजर्व बैंक ने पिछले महीने की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा था। इसके साथ ही उसने अप्रैल-जून तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 4.6 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया था। अब महंगाई बढ़ने के साथ ही एक बार फिर ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी का डर सताने लगा है।