Friday, November 22, 2024
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RBI MPC Meeting: सब्जी और दालों की महंगाई कहीं बढ़ा न दे लोन की EMI, शक्तिकांत दास के सामने हैं ये 3 चुनौतियां

डॉयचे बैंक इंडिया के अर्थशास्त्रियों ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा कि जुलाई महीने की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 6.7 प्रतिशत हो सकती है जो जून में 4.8 प्रतिशत थी।

Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: August 08, 2023 14:53 IST
Shakti kant Das- India TV Paisa
Photo:AP Shakti Kant Das

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक मंगलवार से शुरू हो चुकी है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास 10 अगस्त को एमपीसी बैठक के फैसलों की घोषणा करेंगे। यहां लोगों की निगाहें रेपो रेट पर होंगी, जो कि बीती दो समीक्षा बैठकों के दौरान स्थिर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर को इस बार भी यथावत रख सकता है। लेकिन फिर भी एमपीसी की मौजूदा बैठक को अब तक की सबसे चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। महंगाई को थामने के लिए रिजर्व बैंक बीते डेढ़ साल में ब्याज दरों को 2.5 फीसदी बढ़ा चुका है। मंद पड़ने के बाद महंगाई की आंच फिर धधकने लगी है। 5 फीसदी के नीचे आई महंगाई दर के फिर से 7 फीसदी पहुंचने के अनुमान हैं। वहीं अंतरराष्ट्रीय पटल पर भी चुनौतियां बड़ी हैं। आइए जानते हैं कि रिजर्व बैंक के गवर्नर के सामने रेपो रेट तय करने के आगे कौन सी चुनौतियां हैं। 

फिर धधकने लगी महंगाई की आग 

खाने पीने के सामानों की महंगाई रिजर्व बैंक के लिए सबसे बड़ी चिंता है। खाद्य वस्तुओं के दाम में बीते 2 महीनों में तेज बढ़ोत्तरी हुई है। डॉयचे बैंक इंडिया के अर्थशास्त्रियों ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा कि जुलाई महीने की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 6.7 प्रतिशत हो सकती है जो जून में 4.8 प्रतिशत थी।  रिपोर्ट के अनुसार, मुद्रास्फीति बढ़ने का कारण टमाटर और प्याज की अगुवाई में खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी है। साथ ही चावल के दाम में भी बढ़े हैं। जरूरी 22 खाद्य वस्तुओं के दैनिक दाम 12.3 प्रतिशत बढ़े हैं जबकि जून में इसमें औसतन 2.4 प्रतिशत का इजाफा हुआ था। प्रमुख सब्जियों में टमाटर के दाम जून में 236.1 प्रतिशत बढ़े जबकि जून में इसमें 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। वहीं प्याज की कीमत 4.2 प्रतिशत के मुकाबले 15.8 बढ़ी। आलू की कीमत जून के 5.7 प्रतिशत के मुकाबले जुलाई में 9.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 

कच्चे तेल में भी लगी आग

कच्चे तेल की कीमतें इस साल की शुरुआत से ही जमीन पर थीं। लेकिन अचानक अब इसमें भी आग लगने लगी है। ओपेक देशों द्वारा कच्चे तेल का उत्पादन घटाने की खबर के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कूड के दाम बढ़ने लगे हैं। साउदी अरब के इस कदम को रूस का भी सहयोग मिल रहा है। जिसके चलते पिछले महीने 70 डॉलर से भी कम पर ट्रेड हो रहा क्रूड आयल अब 85 डॉलर के भी पार निकल गया है। इसके 90 डॉलर के पार जाने के अनुमान भी व्यक्त किए जा रहे हैं। रिजर्व बैंक की पिछली बैठक में कच्चे तेल की कीमतें 75 डॉलर से नीचे रहने का अनुमान व्यक्त किया गया था। ऐसे में कच्चे तेल की नई कीमतें रिजर्व बैंक को महंगाई, जीडीपी और विकास के अनुमानों को बदलने को भी मजबूर करेंगी

फेड की दरों में बढ़ोत्तरी 

रिजर्व बैंक को ब्याज दरों को तय करने में अमेरिकी केंद्रीय बैक फेडरल रिजर्व के फैसलों पर भी ध्यान देना होगा। फेड ने पिछले महीने ही ब्याज दरों में एक और बढ़ोत्तरी की है। फेड के बाद यूके और यूरोपीय बैंकों ने भी ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की है। ऐसे में जब दुनिया भर के केंद्रीय बैंक महंगाई से सहमे हैं और ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी कर रहे हैं तो इससे रिजर्व बैंक पर भी ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव बन रहा है। 

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