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Property Tax: प्रॉपर्टी टैक्‍स का भुगतान करने में देरी न करें, वरना झेलनी पड़ सकती है बड़ी परेशानी

Property Tax: तय समय पर भुगतान नहीं करने पर मोटी पेनल्टी भी चुकानी पड़ती है। साफ है कि पेनल्‍टी से बचने के लिए सही समय पर प्रॉपर्टी टैक्‍स का भुगतान करना जरूरी होता है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: July 25, 2022 15:37 IST
Property tax- India TV Paisa
Photo:FILE Property tax

Highlights

  • आमतौर पर प्रॉपर्टी टैक्‍स का कैलकुलेशन तीन तरह से किया जाता है
  • नगर निगम द्वारा प्रॉपर्टी टैक्‍स वसूल किया जाता है
  • बहुत सारे लोग प्रॉपर्टी टैक्‍स लंबे समय तक भुगतान नहीं करते

Property Tax: कोरोना के बाद से प्राॅपर्टी की खरीदारी बढ़ी है। घर, दुकान और आॅफिस स्पेस की मांग में तेजी दर्ज की जा रही। अक्सर यह देखने को मिलता है कि प्राॅपर्टी की खरीदारी के बाद लगता है कि काम हो गया। उसके बाद हम सब चैन की सांस लेते हैं। लगता है बड़ा काम हो गया और अब कोई टेंशन नहीं है। इस चक्‍कर में कई दफा हम समय पर प्रॉपर्टी टैक्‍स का भुगतान नहीं कर पाते हैं। समय पर प्रॉपर्टी टैक्‍स का भुगतान नहीं करने पर संबंधित अथॉरिटी से जब नोटिस मिलता है, तब जाकर हमारी नींद खुलती है।

समय पर टैक्स नहीं देने पर मोटी पेनल्टी

तय समय पर भुगतान नहीं करने पर मोटी पेनल्टी भी चुकानी पड़ती है। साफ है कि पेनल्‍टी से बचने के लिए सही समय पर प्रॉपर्टी टैक्‍स का भुगतान करना जरूरी होता है। कई दफा ऐसा भी देखा जाता है कि प्रॉपर्टी टैक्‍स लंबे समय तक भुगतान नहीं करने पर प्रॉपर्टी नीलामी करने का नोटिस तक मिल जाता है।

क्‍या है प्रॉपर्टी टैक्‍स?

 शहर में बुनियादी नागरिक सुविधाओं को बनाए रखने के लिए नगर निगम द्वारा प्रॉपर्टी टैक्‍स वसूल किया जाता है। प्रॉपर्टी टैक्‍स में रोड, सीवेज सिस्टम, लाइटिंग और दूसरी बुनियादी सुविधाओं के चार्जेज जुड़े होते हैं। प्रॉपर्टी टैक्‍स की गणना शहर, एरिया, प्रॉपर्टी के प्रकार आदि को देखते हुए कैलकुलेट किया जाता है। हर किसी को प्रॉपर्टी टैक्‍स का भुगतान सालाना आधार पर करना होता है। प्रॉपर्टी टैक्‍स प्रत्येक राज्‍य में अलग-अलग होता है। हो सकता है‍ कि एक ही शहर के अलग-अलग एरिया में रेट अलग-अलग हों। प्रॉपर्टी पर अधिकतम और न्यूनतम टैक्‍स राज्‍य सरकारें तय करती हैं। प्रॉपर्टी टैक्‍स, प्रॉपर्टी की कीमत का एक फिक्‍स्‍ड परसेंटेज होता है। टैक्‍स लगाने के लिए प्रॉपर्टी की कीमत लोकल अथॉरिटी द्वारा तय की जाती है।

कैसे होती है प्रॉपर्टी टैक्‍स की गणना?

आमतौर पर प्रॉपर्टी टैक्‍स का कैलकुलेशन तीन तरह से किया जाता है- एनुअल रेंटल वैल्यू (एआरवी), कैपिटल वैल्यू सिस्टम (सीवीएस) और यूनिट एरिया सिस्टम (यूएएस) के मुताबिक। एआरवी के तहत म्युनिसिपल बॉडी द्वारा प्रॉपर्टी की ग्रॉस एनुअल रेंट को फिक्स कर दिया जाता है और उसके बाद तय वैल्‍यू पर प्रॉपर्टी टैक्‍स वसूल किया जाता है। सीवीए के अंतर्गत प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्‍यू को देखते हुए प्रॉपर्टी टैक्‍स लगाया जाता है। प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्‍यू स्टाम्प ड्यूटी डिपार्टमेंट द्वारा तय की जाती है। यूएएस के तहत प्रॉपर्टी टैक्‍स की गणना प्रॉपर्टी के कारपेट एरिया पर तय किया जाता है। दि‍ल्ली और कोलकाता में इसी सिस्टम के मुताबिक प्रॉपर्टी टैक्‍स तय किया जाता है।

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