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Property Broker कभी नहीं देते ये 5 जरूरी जानकारी, Flat बुक करने से पहले खुद से करें पता

Property Broker कई मामलों में तो ब्रोकर सही राह दिखाने के बजाय खरीदारों को गुमराह करने का काम करते हैं।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Aug 03, 2022 16:48 IST, Updated : Aug 03, 2022 16:48 IST
Property buying tips
Photo:INDIA TV Property buying tips

Property Broker से हम सभी फ्लैट, दुकान या ऑफिस स्पेस की खरीदारी में मदद लेते हैं। ऐसा इसलिए की प्रॉपर्टी की खरीदारी में जितनी जटिलता है उसको ब्रोकर के बिना पूरा करना संभव नहीं होता है। इसके चलते अधिकांश लोग ब्रोकर की मदद लेते ही हैं। लेकिन अक्‍सर ये ब्रोकर खरीदार को प्रॉपर्टी की पूरी या सही जानकारी नहीं देते। कई मामलों में तो ब्रोकर सही राह दिखाने के बजाय खरीदारों को गुमराह करने का काम करते हैं। इसलिए प्रॉपर्टी खरीदते वक्‍त खरीदार को ज्‍यादा समझदार और सतर्क होने की जरूरत है। सही जानकारी नहीं मिलने के अभाव में कई बार खरीदार प्रॉपर्टी का सौदा करने के बाद ठगा महसूस करते हैं। आइए जानते हैं ऐसी बातें जो अक्‍सर ब्रोकर खरीदारों को छिपा जाते हैं ।

1. बिल्डर बायर एग्रीमेंट

बिल्डर- बायर एग्रीमेंट की बारीकियों की जानकारी आमतौर पर ब्रोकर खरीदार को नहीं देते हैं। इस एग्रीमेंट में बिल्डर ने कौन से नियम व शर्तें डाल दी हैं? खरीदार को क्‍या अधिकार हैं ऐसे बहुत सी बातों की जानकारी ब्रोकर खरीदारों से छिपा जाते हैं। इसलिए प्रॉपर्टी खरीदने से पहले सौदे के नियम व शर्तों को किसी वकील से मिलकर समझ लेना चाहिए।

2. पजेशन के सही समय की जानकारी

घर खरीदने वाले के लिए सबसे अहम सवाल होता है कि वह जिस प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक रहा हैए उसका पजेशन कब मिलेगा। समय पर निर्माण पूरा न होना और पजेशन में देरी रियलिटी मार्केट की बड़ी समस्‍या है। प्रॉपर्टी बेचते वक्‍त बिल्‍डर और ब्रोकर जल्‍द निर्माण पूरा होने और तमाम सुविधाएं मुहैया कराने के सब्‍जबाग दिखाते हैं जबकि असल में इन वादों पर बहुत कम लोग खरा उतरते हैं। समय पर पजेशन नहीं देने के लिए बिल्डर कई तरह के कारण गिनाते हैं। इसलिए निवेश से पहले बिल्डर का रिकॉर्ड देखना जरूरी है। उसके पुराने प्रोजेक्‍ट में रह रहे लोगों से इस बारे में जानकारी लेनी चाहिए।

3. सैंपल फ्लैट और असलियत में फर्क

खरीदारों को आकर्षित करने के लिए बिल्‍डर आकर्षक सैंपल फ्लैट तैयार करते हैं। जबकि कई बार सैंपल फ्लैट और बेचे गए फ्लैट की कंस्‍ट्रक्‍शन क्‍वालिटी और इंटीरियल में काफी फर्क होता है। सैंपल फ्लैट को स्‍पेसियस दिखाने के लिए दीवार की मोटाई रियल फ्लैट की तुलना में पतली होती है। सैंपल फ्लैट को कांच से विभाजन किया गया हैए फर्नीचर का छोटा है इसके चलते स्‍पेसियस दिखता है। इसलिए सैंपल फ्लैट पर आंख.मूंदकर विश्‍वास न करें।

4. असल मालिक की जानकारी

प्रॉपर्टी बाजार में कई बार असल मालिक कोई और होता है जबकि उसकी सौदे बाजी या मार्केटिंग कोई दूसरा व्‍यक्ति या कंपनी करती है। इस बारे में भी ब्रोकर सही जानकारी छिपा जाते हैं। इसलिए प्रॉपर्टी की डील फाइनल करने से पहले असली मालिक से मिलना जरूरी है। कई बार एक ही प्रॉपर्टी के लिए कई कमीशन एजेंट या ब्रोकर खरीदार तलाशते रहते हैं। इसलिए कीमत के मोलभाव के लिहाज से भी प्रॉपर्टी के असली मालिक से संपर्क करना उचित रहता है।

5. कंस्ट्रक्शन क्वालिटी

किसी भी प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन क्वालिटी के बारे में ब्रोकर आपको कभी जानकारी नहीं देंगे। इसकी जानकारी आपको खुद जुटानी होगी। यह जानकारी आप बिल्डर के पुराने प्रोजेक्ट से जुटा सकते हैं। वहीं, जिस प्रोजेक्ट में घर खरीदने जा रहे हैं वो रेडी टू मूव है तो उस प्रोजेक्ट में रहने वाले लोगों से कंस्ट्रक्शन क्वालिटी की जानकारी जुटा सकते हैं।

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