New Labour Codes: भारत में नौकरी पेशा लोगों के लिए जुलाई का महीना बड़े बदलाव लेकर आ सकता है। सूत्रों के अनुसार देश में लंब समय से ठंडे बस्ते में पड़ी 4 श्रम संहिताओं (Labour Codes) को इस साल जुलाई से लागू किया जा सकता है। केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को कहा कि चार श्रम सहिताओं को लेकर 90 प्रतिशत राज्यों ने नियमों का मसौदा तैयार कर लिया है और इन्हें जल्द लागू किया जायेगा। यादव ने संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि 90 प्रतिशत राज्यों ने श्रम सहिताओं को लेकर पहले से ही नियमों का मसौदा जारी कर दिया है।
इससे पहले पहले नए लेबर कोड को अप्रैल 2022 से लागू करने की बात कही जा रही थी, लेकिन इन्हें लागू नहीं किया जा सका। माना जा रहा है कि गुजरात चुनाव से पहले इन्हें इस साल जुलाई से लागू किया जा सकता है। यह नया कानून दरअसल श्रम क्षेत्र में काम करने के बदलते तरीकों और न्यूनतम वेतन की आवश्यकता को समायोजित करने के लिए है।
क्या हैं 4 लेबर कोड्स
केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Labour and Employment) ने 2021 में ही मौजूदा श्रम कानूनों में बदलाव लाते हुए 4 श्रम संहिताओं को अंतिम रूप दे दिया था। मंत्रालय ने 44 तरह के पुराने श्रम कानूनों को चार वृहद संहिताओं में समाहित किया है। ये 4 लेबर कोड्स में वेतन/मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंधों पर संहिता, काम विशेष से जुड़ी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यस्थल की दशाओं (OSH) पर संहिता और सामाजिक व व्यावसायिक सुरक्षा संहिता शामिल हैं।
हफ्ते में मिलेगी 3 दिन छुट्टी
बताया जा रहा है कि सरकार ने इन नए लेबर कोड्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित कानूनों के आधार पर तैयार किया है। इनके लागू होने पर कर्मचारियों को सप्ताह में चार दिन काम करना होगा और शेष तीन दिन की छुट्टी मिलेगी। लेकिन इसकी कीमत भी चुकानी होगी। दरअसल यह नियम कहता है कि हफ्ते में 4 दिन काम करने के लिए श्रमिक को प्रत्येक सप्ताह 48 घंटे काम करना होगा। यानि कि 12 घंटे काम करने पर ही आपको 3 दिन का अवकाश मिलेगा।
125 घंटे का ओवरटाइम
नए नियमों की मानें तो हफ्ते में 48 घंटे काम करने के अतिरिक्त घंटे का ओवरटाइम मिलेगा। नए नियम के अनुसार 3 महीने में 125 घंटे से ज्यादा ओवरटाइम नहीं दिया जा सकता। इसके अलावा नियोक्ता को हर 5 घंटे के बाद कर्मचारी को ब्रेक देना होगा।
घट सकती है टेक होम सैलरी
नए श्रम कानून में कुल वेतन में बेसिक सैलरी की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत कर दी गई है। यानि आपको मिलने वाले भत्ते कुल सैलरी के 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकते हैं। ऐसे में आपकी बेसिक सैलरी बढ़ेगी साथ ही आपका पीएफ योगदान भी बढ़ेगा। ऐसे में आपकी टेक होम सैलरी या फिर कहें कि वह रकम जो आपके अकाउंट में क्रेडिट होती है। लेकिन ग्रेच्युटी, पेंशन और कर्मचारी व कंपनी दोनों का ही पीएफ में योगदान बढ़ जाएगा। यानी भविष्य के लिए सेविंग्स बढ़ जाएगी।