Highlights
- कई बार हमें अपनी वास्तविक आय के बारे में पता भी नहीं चलता
- पत्नी को हुई सैलरी से आय भी पति की आय मानी जा सकती है
- बच्चे को हुई ब्याज से आय माता पिता की आय माना जाता है
इनकम टैक्स की फाइलिंग की आखिरी तारीख करीब आ रही है। इस साल तारीखों में बदलाव के बाद अब लास्ट डेट 31 दिसंबर तय की गई है। टैक्स रिटर्न में आपको अपनी सभी आय की जानकारी देनी होती है। आम तौर पर लोग अपने दफ्तर से मिले फॉर्म 16 के आधार पर टैक्स को फाइल कर देते हैं।
लेकिन अक्सर कई बार हमें अपनी वास्तविक आय के बारे में पता भी नहीं चलता। कई बार हम अनजाने में अपनी उन आय को दर्ज ही नहीं कर पाते जो आपकी कमाई में जोड़ी गई हैं। इसका खामियाजा हमें टैक्स नोटिस के रूप में भुगतना पड़ता है।
जानिए क्या है क्लबिंग ऑफ इनकम
आम तौर पर, एक व्यक्ति पर केवल उसके द्वारा अर्जित आय के संबंध में कर लगाया जाता है। हालांकि, कुछ विशेष मामलों में अन्य व्यक्ति की आय को करदाता की कर योग्य आय में शामिल किया जाता है (यानी क्लब किया जाता है)। जिस स्थिति में अन्य व्यक्ति की आय करदाता की आय में शामिल होती है, उसे आय का क्लबिंग कहा जाता है। उदाहरण के लिए, नाबालिग बच्चे की आय को उसके माता-पिता की आय के साथ जोड़ा जाता है। धारा 60 से 64 में आय को मिलाने से संबंधित विभिन्न प्रावधान हैं।
पत्नी की सैलरी देने पर भी लगता है टैक्स
धारा 64(1)(ii) के अनुसार कुछ परिस्थितियों में पति या पत्नी की कंपनी में नौकरी करने वाले जीवनसाथी की आय को भी उसी की इनकम माना जाता है। आयकर विभाग के अनुसार यदि किसी कंपनी में पति की प्रमुख हिस्सेदारी है और यदि वह अपनी पत्नी को ऐसे पद पर बिठा देता है जिसके लिये वह तकनीकी रूप से योग्य नहीं है तो इस हालत में पत्नी को उस पद के लिए मिलने वाली सैलरी पति की आय में जुड़ेगी।
बच्चे की आय पर भी देना पड़ सकता है टैक्स
यदि बच्चा आप पर आश्रित है और उसे किसी संपत्ति के ट्रांसफर या फिर ब्याज से आय होती है तो उस आश्रित बच्चे की आय को भी आपकी आय माना जाएगा। बच्चा जितनी भी आय अर्जित करता है उसे आपकी आय में जोड़ दिया जाता है। इस प्रकार आपकी कमाई और बच्चे की कमाई क्लब करने के बाद आपकी कुल आय की गणना की जाती है। लेकिन यदि बच्चा अपने कौशल या प्रतिभा के बल पर कमाई करता है तो इस माता पिता की आय में शामिल नहीं किया जाएगा। यह उस बच्चे की ही आय मानी जाएगी।
माता या पिता? कौन भरेगा टैक्स
धारा 64(1ए) के अनुसार, नाबालिग बच्चे की आय को उसके माता-पिता की आय के साथ जोड़ा जाता है। यदि माता पिता दोनों कमाते हैं तो नाबालिग की आय को उसकी आय के साथ जोड़ा जाएगा जिसकी आय अधिक है। यदि माता पिता का तलाक हो जाता है तो नाबालिग की आय को उसके साथ जोड़ दिया जाएगा जो नाबालिग का भरण-पोषण करता है। यदि व्यक्ति की आय में उसके नाबालिग बच्चे की आय शामिल है, तो ऐसा व्यक्ति धारा 10 (32)) के तहत छूट का दावा कर सकता है। धारा 80यू के तहत निर्दिष्ट विकलांगता से पीड़ित नाबालिग की आय को उसके माता-पिता की आय के साथ नहीं जोड़ा जाएगा।