केंद्र सरकार ने समाज से भेदभाव खत्म करने के लिए इस स्कीम की शुरुआत की है। सरकार का फोकस अंतरजातिय विवाह को बढ़ावा देना है। सरकार के इस मुहिम में जो साथ देता है उन्हें 2.5 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाती है। आसान भाषा में बताएं तो जब कोई व्यक्ति अंतरजातिय विवाह करता है तो वह इस स्कीम के दायरे में आता है। अगर आप इस स्कीम का फायदा लेना चाहते हैं और आपको नहीं पता है कि इसका प्रोसेस क्या है तो ये खबर आपके लिए है।
इन दो तरीकों से भेज सकते हैं आवेदन
1. शादी के बंधन में बंधने वाले दंपति अपने क्षेत्र के मौजूदा सांसद या विधायक के पास जाकर इसके बारे में सिफारिश कर सकता है, जिससे वह आवेदन को सीधे डॉ अंबेडकर फाउंडेशन को भेज देंगे।
2. अगर आवेदन को पूरा भरकर नियमानुसार राज्य सरकार या जिला प्रशासन को सौंप देते हैं, तब भी उन्हें इसका फायदा मिल सकता है। आवेदन देने के बाद से राज्य सरकार या जिला प्रशासन उसको डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन को भेज देते हैं।
किन लोगों को मिल सकता है इस योजना का फायदा
अगर आप इस स्कीम का फायदा लेना चाहते हैं और आप सामान्य कैटेगरी से आते हैं तो आपको किसी दलित समुदाय से आने वाली लड़की से शादी करना होगा। यानि एक ही जाति के वर-वधू नहीं होने चाहिए। हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत शादी रजिस्टर्ड होनी चाहिए। ध्यान रहे, आप पहले एक बार भी शादी नहीं किए हो। अगर आपकी ये दूसरी शादी है तो आप इस योजना का फायदा नहीं उठा पाएंगे। साथ ही अगर आपको केंद्र सरकार या राज्य सरकार के किसी दूसरे स्कीम के तहत इस शादी के लिए कोई सहायता राशि मिल चुकी है तो आपके इस 2.5 लाख में से उतनी रकम कम कर दी जाएगी।
ऐसे करें आवेदन
- नवविवाहित जोड़े में से जो भी दलित यानि अनुसूचित जाति समुदाय से हो, उसका जाति प्रमाण पत्र आवेदन के साथ लगाना होता है।
- आवेदन के साथ मैरिज सर्टिफिकेट भी संलग्न करना होता है।
- कानूनी रूप से विवाहित होने का हलफनामा भी सबमिट करना होता है।
- नवदंपति की पहली शादी है इसे साबित करने के लिए एक जरूरी दस्तावेज लगाना होता है।
- नवविवाहित पति-पत्नी का आय प्रमाण पत्र भी देना अनिवार्य है।
- नवदंपति का संयुक्त बैंक खाते की जानकारी देनी होती है ताकि उसमें पैसा आ सके।
अगर नवविवाहित पति-पत्नी का एप्लिकेशन सही पाया जाता है तो उनके खाते में 1.5 लाख रुपये तुरंत ट्रांसफर कर दिए जाते हैं, जिसे वो चाहें तो निकाल सकते हैं जबकि बाकी के 1 लाख रुपये की FD कर दी जाती है।
2013 में हुई थी इस योजना की शुरुआत
इस योजना की शुरुआत 2013 में हुई थी, तब केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार हुआ करती थी। तत्कालिन सरकार ने इस योजना का नाम डॉ. अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटरकास्ट मैरिज रखा था। तब से लेकर अबतक इस स्कीम का फायदा लोगों को मिलता आ रहा है।