Highlights
- आपको सही फॉर्म की पहचान करनी जरूरी होती है
- आयकर विभाग के पोर्टल पर 6 तरीके के फॉर्म होते हैं
- हर तरह की इनकम के लिए फॉर्म अलग होता है
Income Tax Return Filing: इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख यानि 31 जुलाई का दिन नजदीक आ रहा है। इनकम टैक्स विभाग साफ कर चुका है कि इस साल रिटर्न दाखिल करने की तारीख बढ़ाने का कोई भी कारण नहीं है, ऐसे में 31 जुलाई ही आखिरी तारीख होगी। अक्सर लोग टैक्स रिटर्न फाइल करने को सबसे मुश्किल काम मान लेते हैं। जबकि बीते कई साल से आयकर विभाग ने रिटर्न की प्रक्रिया को बेहद सरल बनाते हुए फॉर्म में काफी बदलाव किया है।
आयकर विभाग की वेबसाइट पर आजकर आप भी रिटर्न फाइल कर सकते हैं। लेकिन यहां शुरुआत के लिए आपको सही फॉर्म की पहचान करनी जरूरी होती है। आयकर विभाग के पोर्टल पर 6 तरीके के फॉर्म होते हैं। हर तरह की इनकम के लिए फॉर्म अलग होता है। आयकर रिटर्न फाइल करने में सही फॉर्म की पहचान करना पहली सीढ़ी है।यही ध्यान में रखते हुए इंडिया टीवी पैसा की टीम आपके लिए इनकम टैक्स के सभी 6 फॉर्म की जानकारी लेकर आई है।
ITR-1:
ITR 1 फॉर्म को साधारण भाषा में नौकरी पेशा लोगों का फॉर्म कहा जाता है। यह उन भारतीय नागरिकों के लिए है, जिनकी सालाना आमदनी 50 लाख रुपये से कम है। अब यह कमाई वेतन से हो सकती है, या फिर फैमिली पेंशन से हो सकती है। इसके आलावा किराये से हुई कमाई भी इसमें शामिल की जाती है। खेती से 5,000 रुपये तक की आय भी आईटीआर-1 फॉर्म में शामिल होती है।
ITR-2:
ITR-2 फॉर्म उन लोगों और अविभाजित हिंदू परिवारों को भरना होता है, जिनकी सालाना आमदनी 50 लाख रुपये से ज्यादा है। हालांकि यहां शर्त यह है कि वे किसी बिजनेस से प्रॉफिट न कमा रहे हों। इस फॉर्म में करदाताओं को एक से ज्यादा आवासीय संपत्ति, इन्वेस्टमेंट पर हुई पूंजीलाभ या हानि दर्ज करनी होती है। इसके अलावा 10 लाख रुपये से ज्यादा की डिविडेंड आय और खेती से हुई 5000 रुपये से ज्यादा की कमाई यहां बतानी होती है।
ITR-3:
ITR-3 फॉर्म उन लोगों और अविभाजित हिंदू परिवारों के लिए है, जिनकी कमाई किसी बिजनेस के लाभ से हो रही है। शेयर या प्रॉपर्टी की बिक्री से कैपिटल गेन होने अथवा ब्याज या डिविडेंड से इनकम होने पर भी यही फॉर्म भरना होता है। अगर कोई व्यक्ति फर्म में पार्टनर है तो उसे अलग से आईटीआर फॉर्म भरना पड़ता है।
ITR-4:
इस आइटीआर फॉर्म को सुगम भी कहते हैं। यह फॉर्म उन लोगों, अविभाजित हिंदू परिवारों और एलएलपी को छोड़ बाकी कंपनियों के लिए है, जिनकी टोटल इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा है और उन्हें ऐसे सोर्सेज से कमाई हो रही है जो 44AD, 44ADA या 44AE जैसे सेक्शंस के दायरे में आते हैं।
ITR-5:
यह फॉर्म LLP कंपनियों, Association of Persons, Body of Indiveduals, Aftificial Jurisdiction Persons, को-ऑपरेटिव सोसाइटी और लोकल अथॉरिटी के लिए है।
ITR-6:
यह फॉर्म उन कंपनियों के लिए है, जिन्होंने सेक्शन 11 के तहत छूट का दावा नहीं किया हो। सेक्शन 11 के तहत वैसी आय पर टैक्स से छूट मिलती है, जो किसी परमार्थ या धर्मार्थ कार्य के लिए ट्रस्ट के पास रखी संपत्ति से हो रही हो।