सेबी (Sebi) द्वारा डेट सिक्योरिटीज (Debt Securities) की फेस वैल्यू को 1 लाख रुपये से घटाकर 10 हजार रुपये करने के साथ ही बॉन्ड (Bonds) रिटेल निवेशकों के लिये भी एक आकर्षक इन्वेस्टमेंट टूल बन गए हैं। सेबी के इस कदम ने बॉन्ड तक खुदरा निवेशकों की पहुंच को आसान बना दिया है। साथ ही इससे कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट में गैर-संस्थागत निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी। ऐसे समय में जब इंटरेस्ट रेट रिवर्सल की बात हो रही है, रिटेल इन्वेस्टर्स को इक्विटी के साथ-साथ बॉन्ड में निवेश की तरफ भी देखना चाहिए।
इश्यू होंगे ज्यादा बॉन्ड
सेबी के इस कदम से आम खुदरा निवेशक बॉन्ड खरीदेंगे। परिणामस्वरूप अधिक बॉन्ड इश्यू होंगे। इससे आने वाले वर्षों में सेकेंडरी मार्केट्स में अधिक ट्रेडिंग एक्टिविटी देखने को मिलेगी। इस फैसले से रेगुलर इन्वेस्टर्स बॉन्ड खरीदने के लिए प्रोत्साहित होंगे। फेस वैल्यू कम होने से व्यक्ति की डिबेंचर प्राइस भी नीचे आएगी। इससे रिटेल निवेशकों को इसे एक्सप्लोर करने की सहूलियत मिलेगी। ऐसे में बॉन्ड मार्केट की लिक्विडिटी भी इंप्रूव होगी।
फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट जरूरी
वैल्थ मैनेजर्स कहते हैं कि लॉन्ग टर्म वैल्थ क्रिएशन के लिए एसेट अलोकेशन बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट निवेशक के पोर्टफोलियो का एक हिस्सा होना चाहिए। एक्सपर्ट्स के अनुसार, यह बॉन्ड मार्केट में निवेश का सही समय है। क्योंकि ये एफडी की तुलना में अधिक रिटर्न ऑफर कर रहे हैं। वहीं, यहां शेयरों की तुलना में काफी कम जोखिम भी है। बॉन्ड एक बैलेंस्ड पोर्टफोलियो का महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, लॉन्ग टर्म पोर्टफोलियो में 20 फीसदी एक्सपोजर बॉन्ड्स में होना चाहिए।
यह है बॉन्ड में निवेश का सही समय
इस समय ब्याज दरें उच्च स्तर के करीब हैं। आने वाले वर्षों में इनके नीचे जाने की उम्मीद है। इसलिए इस समय बॉन्ड में निवेश ना सिर्फ ब्याज आय देने की क्षमता रखता है, बल्कि अगले 12 से 18 महीने में कैपिटल गेन्स भी दे सकता है।