बहुत सारे लोग आज भी निवेश के विकल्प के तौर पर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और बीमा पॉलिसी को सबसे पहले चुनते हैं। इसकी वजह है कि उनको जोखिम रहित रिटर्न मिलता है। हालांकि, जिस तरह से कोरोना के बाद एफडी पर ब्याज घटी, उसके बाद एफडी में निवेश फायदे का सौदा नहीं रह गया है। हालांकि, अब बैंकों ने ब्याज दर में बढ़ोतरी की है लेकिन इसके बावजूद एफडी महंगाई से लड़ने में सक्षम नहीं है। इसके मुकाबले म्यूचुअल फंड एक बेहतर विकल्प है। आखिर, क्यों म्यूचुअल फंड एफडी से बेहतर है, हम आपको बता रहे हैं।
1. एफडी की तुलना में ज्यादा रिटर्न
फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे परंपरागत निवेश माध्यम में म्यूचुअल फंड के मुकाबले कम रिटर्न मिलता है। एफडी में किया गया निवेश मुद्रास्फीति से प्रभावित होता है, जिसकी वजह से आपको उम्मीद के मुताबिक अच्छा रिटर्न नहीं मिल पाता है। अगर आप देंखे तो बढ़ी ब्याज के बावजूद बैंक अभी एफडी पर 8 फीसदी तक अधिकतम रिटर्न दे रहे हैं। वहीं, म्यूचुअल फंड में आसानी से 10 से 12 फीसदी का रिटर्न मिल रहा है।
2. म्यूचुअल फंड देता है फ्लेक्सिबिलिटी
म्यूचुअल फंड आपको फ्लेक्सिबिलिटी देता है। एफडी करने पर आप एक तय समय तक पैसा नहीं निकाल पाते हैं। वहीं, म्यूचुअल फंड में जब पैसे की जरूरत होती है तो आप आसानी से निकाल लेते हैं।
3. लंबी अवधि में अधिक मुनाफा
फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) में किए गए निवेश पर महंगाई का असर पड़ता है। इसलिए रिटर्न के लिहाज से एफडी के मुकाबले लंबी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश ज्यादा मुनाफा दिला सकता है।
4. अधिक टैक्स फ्रेंडली
अगर आप टैक्स छूट पाने के लिए एफडी में निवेश करते हैं तो कम से कम आपको 5 साल के लिए निवेश करना होगा। वहीं, म्यूचुअल फंड की ईएलएसएस स्कीम में आप सिर्फ तीन साल की लॉक इन अवधि पर टैक्स छूट पा सकते हैं। इसके साथ ही बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट में रिटर्न पर आपको अपने स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होता है, जबकि डेट म्यूचुअल फंड में 3 वर्षों से अधिक अवधि के निवेश को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स माना जाता है और इस पर आपको इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20% की दर से टैक्स चुकाना होता है।
5. छोटी रकम से शुरुआत
आप एफडी में छोटी रकम निवेश नहीं करना चाहते हैं। वहीं, म्यूचुअल फंड में आप 500 या 1000 रुपये से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। जब आप चाहें तो अपने निवेश को रोक भी सकते हैं।