Health Insurance: आज के समय में हेल्थ इंश्योरेंस का होना बेहद जरूरी हो गया है। अगर आप दिल्ली जैसे शहर में रहते हैं तो यहां की हवा ही आपको बीमार कर सकती है। कई बार पानी या फिर गड़बड़ खाना खाने से भी तबीयत खराब हो जाती है। ऐसे में हॉस्पिटल जाने पर लाखों रुपये तक का बिल आ जाता है। इस तरह के बिल का बोझ व्यक्ति के उपर ना पड़े, इसलिए वह हेल्थ इंश्योरेंस कराना प्रीफर करता है।
हेल्थ पॉलिसी का वेटिंग पीरियड
हेल्थ पॉलिसी लेने से पहले एडवाइजर से सवाल करें की इस पॉलिसी में कौन-कौन सी बिमारी कवर होगी? हेल्थ पॉलिसी में कई बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड 2 से 3 साल का होता है। हेल्थ पॉलिसी में वेटिंग पीरियड का मतलब होता है कि कई बीमारियों का कवर दो से तीन साल के बाद मिलती है। आप ऐसा हेल्थ पॉलिसी न लें जो आपके जरूरत के लिहाज से सही ना हो।
प्रीमियम का लेखा-जोखा
हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम आपकी उम्र, परिवार के इतिहास, जॉब में रिस्क, बीमारी आदि को देखते हुए तय किया जाता है। हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले प्रीमियम को प्रभावित करने वाले कारकों को समझना बहुत जरूरी है। यह आपको कम प्रीमियम पर बेहतर हेल्थ इंश्योरेंस चुनने में मदद करेगा।
मेडिकल टेस्ट
बहुत सारी बीमा कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस देने से पहले मेडिकल टेस्ट सर्टिफिकेट लेना पसंद करती है। यह बीमा धारकों के हेल्थ की सही जानकारी लेने के लिए किया जाता है। अगर बीमा कंपनी मेडिकल टेस्ट नहीं करती है तो आप पॉलिसी फर्म में बिल्कुल सही जानकारी दें। सही जानकारी छुपाने पर आपको क्लेम सेटलमेंट लेने में परेशानी हो सकती है या कैंसिल हो सकता है।
कैशलेस हॉस्पिटल नेटवर्क
हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले कैशलेस हॉस्पिटल नेटवर्क का लिस्ट जरूर चेक कर लें। कभी भी एक दो बड़े हॉस्पिटल को देखते हुए हेल्थ इंश्योरेंस न लें। यह कोशिश करें की आप के आसपास के हॉस्पिटल उस लिस्ट में शामिल हो। यह इसलिए जरूरी है कि आपात स्थिति में आप जल्द से जल्द बेहतर इलाज प्राप्त कर पाएं।
पॉलिसी का डिटेल
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में दुर्घटना, मातृत्व लाभ, एम्बुलेंस, शल्य चिकित्सा और आउट पेशेंट उपचार के लिए क्या प्रावधान हैं? क्या इन सभी को अच्छी तरह से शामिल किया गया है? अगर आपकी पॉलिसी इन सभी पर कवर देती है तो पॉलिसी का लिमिट चेक करें। सभी बिंदुओं पर संतुष्ट होने के बाद ही हेल्थ इंश्योरेंस लें। अन्यथा बाद में नुकसान उठाना पड़ सकता है।