भारत में इंश्योरेंस सेक्टर के प्राइवेटाइजेशन के साथ ही फर्जीवाड़े की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। लोगों को उनकी जरूरत के बिना ही इंश्योरेंस ऐजेंट बीमा पॉलिसी थमा देते हैं। इसे इंश्योरेंस की भाषा में मिस सेलिंग कहते हैं। इंश्योरेंस एजेंट या एडवाइजर अधिक कमीशन के चलते कई बार आपको ऐसी पॉलिसी थमा देते हैं, जिसकी वास्तव में आपको जरूरत ही नहीं होती। यह मामले अधिकांश निवेश और बीमा के कॉम्बिनेशन वाली पॉलिसियों में देखने को मिलती हैं।
देश में बढ़ रही मिस सेलिंग की घटनाओं के लिए बीमा नियामक आयोग(इरडा) ने कई प्रावधान किए हैं। जिसके तहत आप बीमा कंपनी के खिलाफ मामला तक दर्ज कर सकते हैं। लेकिन इसमें बहुत लंबा समय लगता है। इसका आसान जरिया है फ्री लुक पीरिएड। आज इंडिया टीवी पैसा की टीम आपको बताने जा रही है क्या होता है फ्री लुक पीरिएड, और अगर आप मिस सेलिंग का शिकार हुए हैं तो किस तरह इसका फायदा उठा सकते हैं।
मिस सेलिंग से बचाता है फ्री लुक पीरिएड
फ्री लुक पीरिएड को आप ठीक उस तरह मान सकते हैं जिस तरह ई कॉमर्स कंपनियां रिप्लेसमेंट गारंटी देती हैं। सभी इंश्योरेंस पॉलिसी लेने वालों को बीमा कंपनियों की ओर से फ्री लुक पीरियड सुविधा मिलती है। फ्री लुक पीरियड पॉलिसी डॉक्यूमेंट मिलने के 15 दिनों तक होता है। ऑनलाइन पॉलिसी खरीदने पर फ्री लुक पीरियड 30 दिन होता है। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में 3 साल से ज्यादा की पॉलिसी खरीदने पर ही ये सुविधा मिलती है। पॉलिसी डॉक्यूमेंट मिलने की तारीख साबित करना पॉलिसी होल्डर की जिम्मेदारी होती है।
कैसे उठाएं फ्री लुक पीरिएड का फायदा
पॉलिसी डॉक्यूमेंट आपके पास इसी लिए भेजा जाता है, कि जिससे आप अपनी पॉलिसी को ठीक प्रकार से पढ़ लें, उसकी बातों को समझ लें, यदि वह आपके लिए फायदेमंद है, तभी आगे निवेश करें। फिर भी अगर आपको लगता है कि पॉलिसी आपके काम की नहीं है तो उसे आप वापस कर सकते हैं।
फ्री लुक पीरिएड से जुड़ी जरूरी बातें
- पॉलिसी होल्डर को पॉलिसी डॉक्यूमेंट का लिफाफा फ्री लुक पीरियड तक संभालकर रखना चाहिए।
- फ्री लुक पीरियड सिर्फ नई पॉलिसी लेने पर लागू होता, रिन्युअल पर नहीं लागू होता।
- फ्री लुक पीरियड में कंज्यूमर के पास पॉलिसी लौटाने का विकल्प होता है।
- फ्री लुक पीरियड में पॉलिसी लौटाने पर प्रीमियम का रिफंड मिल जाता है।
- कंज्यूमर को बताना होता है कि पॉलिसी लौटाने की वजह क्या है।
- रिफंड में से इंश्योरेंस कंपनी अपने खर्च घटा देती है,जिसमें मेडिकल जांच, स्टांप ड्यूटी का खर्च आदि शामिल होता है।
- यूलिप प्रीमियम का रिफंड एनएवी के मुताबिक होता है।