Gold rate today: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमजोर रुख के बीच दिल्ली सर्राफा बाजार में सोमवार को बहुमूल्य धातुओं के भाव टूट गए। एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने यह जानकारी दी। सोने का भाव 315 रुपये टूटकर 51,679 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया। इससे पिछले कारोबारी सत्र में सोना 51,994 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। चांदी भी 635 रुपये के नुकसान से 55,416 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव नुकसान के साथ 1,737 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था। चांदी 18.90 डॉलर प्रति औंस पर स्थिर थी। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) तपन पटेल ने कहा, ‘‘डॉलर के मजबूत होने तथा फेडरल रिजर्व के कई अधिकारियों द्वारा आक्रामक रुख का संकेत दिए जाने के बाद सोने के दाम नीचे आए।’’
सोने की कीमतों मे गिरावट जारी
सोने की कीमतों मे गिरावट का रुख देखने को मिल रहा है। पिछले साल सोना 56 हजार रुपये से ज्यादा के स्तर पर पहुंच गया था। यानि अपने ऊपरी स्तरों से सोना करीब 4 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम सस्ता हो चुका है। वहीं, जून के महीने में ही सोने की कीमतों में करीब 3000 रुपये की नरमी देखने को मिली है। बाजार के जानकार मान रहे हैं कि अर्थव्यस्था में रिकवरी और प्रतिबंधों के हटने के साथ शादी समारोह की शुरुआत से दबी हुई मांग निकलेगी और सोने की कीमतों में एक बार फिर बढ़त देखने को मिलेगी।
सोने का आयात बढ़ा
देश में चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जुलाई के बीच अच्छी मांग के बूते सोने का आयात 6.4 प्रतिशत बढ़कर 12.9 अरब डॉलर रहा है जिससे देश के चालू खाते के घाटे (कैड) पर असर पड़ने की आशंका है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 की समान अवधि में 12 अरब डॉलर का सोने का आयात किया गया था। वाणिज्य मंत्रालय के हाल के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2022 में पीली धातु का आयात 43.6 फीसदी गिरकर 2.4 अरब डॉलर रहा था। चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने में सोने और तेल का आयात बढ़ने से देश का व्यापार घाटा बढ़कर रिकॉर्ड 30 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो एक साल पहले अप्रैल-जुलाई 10.63 अरब डॉलर रहा था। चीन के बाद भारत सोने का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। भारत में सोने का आयात मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग को पूरा करने के लिए किया जाता है। चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने में रत्न एवं आभूषणों का निर्यात करीब 7 प्रतिशत बढ़कर 13.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया। रिजर्व बैंक के जून के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में देश का चालू खाते का घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.2 प्रतिशत पर पहुंच गया।