Highlights
- ब्रोकर को 2 से 5 फीसदी तक कमीशन लेता है
- अलग-अलग ब्रोकर से संपर्क करना बेहतर
- बिल्डर हमेशा खरीददार को फ्लैट का बेस रेट बताता है
Flat खरीदने जा रहे हैं। क्या आप रियल एस्टेट सेक्टर से अवगत है? हां या नहीं। अगर हां, तो रियल्टी सेक्टर में बिल्डर, प्रॉपर्टी, प्रोजेक्ट, कीमत, लोकेशन, ब्रोकर आदि के रोल से परिचित होंगे। अगर नहीं या आधी-अधूरी जानकारी है तो हम आपको दे रहे हैं कुछ मह्त्वपूर्ण जानकरी। ये आपको रियल्टी की दुनिया को समझने और सही प्रॉपर्टी चुनने में मदद करेंगे।
1. प्रॉपर्टी का चयन
प्रॉपर्टी खरीदने से पहले वैध प्रॉपर्टी का चुनाव बहुत मह्त्वपूर्ण होता है। वैध प्रॉपर्टी चुनाव में ऑनलाइन पोर्टल की भूमिका काफी अहम हो गई है। प्रॉपर्टी के विषय में जानकारी ऑनलाइन जुटाएं। इसके बाद प्रोजेक्ट की कनेक्टिविटी और बिल्डर के विषय में जानकारी इकट्ठी करें। फिर फ्लैट का कारपेट एरिया, प्रोजेक्ट में मिलने वाली सुविधाएं, कीमत आदि का आकलन करें। अगर, आप खुद ये बातें नहीं समझ पाते हैं तो किसी विशेषज्ञ की मदद लें।
2. अन्डर कन्स्ट्रक्शन प्रॉपर्टी
अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी बिल्डर बाजार मूल्य से कम कीमत पर सेल करते है। अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी खरीदने से पहले बहुत ज्यादा सावधानी बरतें। अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी की कीमत रेडी तो मूव से सस्ती जरूर होती है कि लेकिन इससे कई तरह की समस्याएं भी जुड़ी होती है। इससे बचने के लिए बिल्डर के इतिहास को जरूर देखें। हो सके तो अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट में प्रॉपर्टी खरीदने से बचे।
3. ब्रोकरेज फी
अगर, आपने फ्लैट खरीदने में प्रॉपर्टी ब्रोकर का सहयोग लिया है तो बिल्डर इसके एवज में ब्रोकर को 2 से 5 फीसदी तक कमीशन देता है। अगर आप ब्रोकर से मोल-तोल करने में सफल रहते हैं तो प्रॉपर्टी की कीमत पर अतिरिक्त छूट पा सकते हैं और प्रॉपर्टी की खरीददारी अपेक्षाकृत कम कीमत पर कर सकते हैं। प्रॉपर्टी के सस्ते सौदे के लिए अलग-अलग ब्रोकर से संपर्क करना बेहतर रहेगा। यह ट्रिक सस्ती प्रॉपर्टी दिलाने में कारगर है।
4. बजट का निर्धारण
बिल्डर हमेशा खरीददार को फ्लैट का बेस रेट बताता है। जबकि, बिल्डर कई और एक्स्ट्रा चार्ज भी वसूल करता है। प्रॉपर्टी खरीदने से पहले हमेशा ही एक्स्ट्रा चार्ज को ध्यान में रखना चाहिए। बेस रेट से एक्स्ट्रा चार्ज प्रति वर्ग फुट 300 से 500 रुपए तक होता है। यानि, अगर 1000 वर्ग फुट की प्रॉपर्टी है तो इस पर 3 से 5 लाख रुपए अधिक की लागत लगेगी। इसके अलावा प्रॉपर्टी का रजिस्ट्री में भी पैसा खर्च होता है। प्रॉपर्टी खरीदने से पहले एक्स्ट्रा चार्जेज और रजिस्ट्री शुल्क की गणना करना जरूरी है, अन्यथा बाद में बजट बिगड़ने से परेशानी हो सकती है।
5. टोकन मनी
प्रॉपर्टी पसंद आने के तत्काल बाद बिल्डर को टोकन मनी देनी होती है। ऐसा इसलिए की बिल्डर उस प्रॉपर्टी को किसी दूसरे के नाम में अलॉट न कर दें। प्रॉपर्टी सर्च शुरू करते समय टोकन मनी तैयार रखना चाहिए क्योंकि, कब कौन सी प्रॉपर्टी पसंद आ जाए तय नहीं होता।
6. डाउन पेमेंट
प्रॉपर्टी की बुकिंग के लिए बिल्डर कई तरह की स्कीम ग्राहकों को ऑफर करते है। इसमें फ्लेक्सी प्लान, डाउन पेमेंट प्लान, सबवेंशन प्लान आदि होता है। प्रॉपर्टी की कीमत के अनुसार 10 से 20 फीसदी रकम डाउन पेमेंट देनी होती है। डाउन पेमेंट रकम जमा करने के बाद ही बैंक उस प्रॉपर्टी पर लोन सेक्शन करता है।