Friday, November 15, 2024
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SEBI के आदेश से निवेशकों में खौफ, एक और म्यूचुअल फंड कंपनी का अस्तित्व हुआ खत्म

Mutual Funds: म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने वालों के लिए बड़ी खबर आई है। सेबी के नए आदेश में एक म्यूचुअल फंड कंपनी को बंद कर दिया गया है। आइए पूरी खबर पढ़ते हैं।

Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published on: April 11, 2023 6:30 IST
SEBI - India TV Paisa
Photo:FILE SEBI

SEBI Latest Order: कल शेयर बाजार में तेजी देखी गई थी। कई कंपनियों ने अच्छा कारोबार करते हुए बिजनेस दोपहर 3:30 में बंद किया था। बाजार बंद होने के कुछ समय बाद सेबी के हवाले से बड़ी खबर आ गई, जिसमें एक कंपनी को बंद करने का आदेश जारी किया गया था। पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने सोमवार को कहा कि एलएंडटी म्यूचुअल फंड का एक म्यूचुअल फंड के तौर पर अस्तित्व अब खत्म हो चुका है। एलएंडटी म्यूचुअल फंड ट्रस्टी लिमिटेड ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को यह सूचना दी थी कि वह एलएंडटी म्यूचुअल फंड को दिए गए पंजीकरण को लौटाना चाहता है। यह कदम एलएंडटी म्यूचुअल फंड की योजनाओं के एचएसबीसी म्यूचुअल फंड में विलय के बाद उठाया गया। इस सूचना के आधार पर कदम उठाते हुए सेबी ने एलएंडटी म्यूचुअल फंड के पंजीकरण प्रमाणपत्र को निरस्त करने का अनुरोध स्वीकार कर लिया है। 

कंपनी के रजिस्ट्रेशन को ही कर दिया रद्द

सेबी ने एक बयान में कहा कि इसके बाद एलएंडटी म्यूचुअल फंड छह अप्रैल 2023 की तारीख से एक म्यूचुअल फंड नहीं रह गया है। हालांकि कंपनी रजिस्ट्रेशन रद्द होने के पहले के नियामकीय उल्लंघनों के लिए सेबी के प्रति जिम्मेदार बना रहेगा। बता दें कि पिछले हफ्ते भी पूंजी बाजार के नियामक सेबी ने चार कंपनियों को स्वीकृति के बगैर निवेश परामर्श सेवाएं देने के लिए सिक्योरिटी बाजार से छह महीने के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने कोर्स वर्क फोकस और इसके मालिक शशांक हिरवानी, कैपिटल रिसर्च के मालिक गोपाल गुप्ता और कैपर्स के मालिक राहुल पटेल को छह महीने के लिए प्रतिभूति बाजार में भागीदारी करने से रोक दिया था। दो अलग-अलग आदेशों में सेबी ने अपनी पड़ताल में पाया कि ये कंपनियां निवेश सलाहकार के रूप में बिना प्रमाणित सर्टिफिकेट के ही निवेश सलाहकार सेवाओं दे रही थी। 

लगे थे गलत तरीके से लाखों रुपये बनाने के आरोप

बाजार नियामक के अनुसार, कोर्स वर्क फोकस और हिरवानी ने मार्च 2018 से जुलाई 2020 के दौरान सामूहिक रूप से निवेशकों से 96 लाख रुपये से अधिक जुटाएं थे। वहीं गुप्ता और पटेल ने मिलकर जून 2014 और नवंबर 2019 के बीच निवेशकों से 60.84 लाख रुपये एकत्र किए। सेबी ने बुधवार को पारित अपने अंतिम आदेश में कहा कि इस तरह के कार्यों से कंपनियों ने आईए (निवेश सलाहकार) नियमों का उल्लंघन किया है। सेबी ने अपने आदेश में, कंपनियों को तीन महीने के भीतर ऐसी सेवाओं के लिए भुगतान किया गया निवेशकों का पैसा वापस करने का निर्देश दिया है। बता दें कुछ दिन पहले सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों में संचालन व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ाने और जरूरी जानकारी का खुलासा समय पर सुनिश्चित करने के लिये नियमों में संशोधन का निर्णय लिया था। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के बयान के अनुसार, निदेशक मंडल की बैठक में यह निर्णय किया गया कि जरूरी जानकारी के खुलासे के लिये समयसीमा का कड़ाई से पालन होगा। साथ ही नियामक ने सूचीबद्ध कंपनियों के निदेशक मंडल में व्यक्तियों के लिये स्थायी तौर पर सीट की व्यवस्था को भी समाप्त करने का निर्णय किया है। बयान में कहा गया है कि सूचीबद्ध कंपनियों के लिये बाजार अफवाहों का सत्यापन करना और जो भी स्थिति हो, उसके अनुसार उसकी पुष्टि या उसे खारिज करना होगा। 

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