Highlights
- हर सैलरीड व्यक्ति के सैलरी (Salary) का एक हिस्सा PF Account में जमा हो रहा होता है।
- तीन साल तक पीएफ अकाउंट से कोई ट्रांजैक्शन नहीं करने पर खाता हो जाता है निष्क्रिय
- निष्क्रिय कैटेगरी में जा चुके पीएफ खाताधारकों को उस ब्याज पर टैक्स देना पड़ता है।
EPFO Rule: अगर आप किसी संस्थान में नौकरी करते हैं तो आपको पीएफ खाता(PF Account) के बारे में पता होगा। वो संस्थान प्राइवेट(Private) और सरकारी(Government) दोनों तरह के हो सकते हैं। क्योंकि पीएफ अकाउंट दोनों तरह के संस्थान में बनाए जाते हैं। इस खाते में हर सैलरीड व्यक्ति के सैलरी (Salary) का एक हिस्सा जमा हो रहा होता है। अगर आप फ्रेशर हैं और किसी संस्थान में नौकरी (Job) करने की शुरुआत करने जा रहे हैं तो आपको इसके बारे में पता होना चाहिए कि क्या होता है पीएफ अकाउंट? और इसमें आपके सैलरी का कितना हिस्सा जमा होता है?
पीएफ खाता में कितना प्रतिशत आपके सैलरी का जमा होता है
ईपीएफ अधिनियम, 1952 के अनुसार, ईपीएफ योजना (EPFO Scheme) में कर्मचारी और कंपनी हर महीने बराबर राशि का योगदान करते हैं। कर्मचारी अपने ईपीएफ अकाउंट में मूल वेतन + महंगाई भत्ते का 12% जमा करता है। अगर कर्मचारी 20 से कम कर्मचारियों वाली कंपनी/संस्था जुड़ा हुआ है तो उसे 10% का योगदान देना होता है।
PF Account कब हो जाता है निष्क्रिय
जब तक आप किसी कंपनी या संस्थान में नौकरी कर रहे होते हैं आपके PF Account में पैसा हर महीने जमा हो रहा होता है, लेकिन जब आप नौकरी छोड़ देते हैं तो पैसा जमा होना भी बंद हो जाता है। ऐसे में अगर आप दूसरी नौकरी तीन साल के भीतर ज्वॉइन कर लेते हैं और वापस से पीएफ अकाउंट में पैसा जमा होना शुरू हो जाता है तब आपका पीएफ खाता निष्क्रिय नहीं होता, लेकिन आप तीन साल तक पीएफ अकाउंट से कोई ट्रांजैक्शन नहीं करते हैं तो उस खाते को EPFO द्वारा निष्क्रिय खाते की कैटेगरी में डाल दिया जाता है। ऐसे में आप अपने खाते को निष्क्रिय होने से बचाना चाहते हैं तो आपको तीन साल के अंदर कम से कम एक बार ट्रांजैक्शन करना होगा।
खाता निष्क्रिय हो जाए तो कितना होगा नुकसान
PF Account के नियमानुसार किसी व्यक्ति का खाता निष्क्रिय कैटेगरी में चला गया है तो उसे नुकसान उठाना पड़ता है। अगर आपके पीएफ अकाउंट में कुछ पैसे जमा हैं तो उसपर आपको सरकार के द्वारा कुछ ब्याज दिया जाता है। लेकिन निष्क्रिय कैटेगरी में जा चुके पीएफ खाताधारकों को उस ब्याज पर टैक्स देना पड़ता है। उसके बाद उन पैसों पर सात साल तक क्लेम न लेने की स्थिति में सीनियर सिटीजन वेलफेयर फंड (SCWF) में भेज दिया जाता है। आप इन पैसे को 25 साल के भीतर SCWF से क्लेम कर प्राप्त कर सकते हैं।