Indian Railway Board Sign: रोजमर्रा की जिंदगी में अधिकतर लोग रेलवे में यात्रा करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि स्टेशन के साइन बोर्ड हमेशा पीले रंग में क्यों लिखे जाते हैं और स्टेशन का नाम काले रंग से क्यों लिखा जाता है? अगर आपने कभी इस बारे में नहीं सोचा तो हम आपको बताएंगे कि बोर्ड का रंग पीला और उसपर लिखा नाम काला क्यों होता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि साइन बोर्ड को इस तरह रंगने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्यों होता है रेलवे बोर्ड पर लिखा रंग पीला-
विजिबिलिटी स्पेक्ट्रम में पीले रंग को सात प्राथमिक रंगों में तीसरा स्थान दिया गया है। लाल इस लिस्ट में सबसे ऊपर है, यही वजह है कि ट्रैफिक सिग्नल पर वाहनों को रोकने के लिए इस रंग का इस्तेमाल किया जाता है। अब आप ये सोच रहे होंगे कि रेलवे स्टेशन के साइन बोर्ड पर पीले रंग की जगह लाल रंग का प्रयोग क्यों नहीं किया जाता है? ऐसा इसलिए है क्योंकि पीले रंग की लेटरल पेरीफेरल विजन लाल रंग की तुलना में 1.24 गुना अधिक होती है। यह रंग की लेटरल पेरीफेरल विजन क्षमता को निर्धारित करता है, जिसका अर्थ है कि आप कितनी दूर तक रंग देख सकते हैं।
पीला रंग अंधेरे और फोग में भी ठीक से दिख जाता है-
पीले रंग को दूर से देखा जा सकता है, भले ही वह आपकी नजर के सीधे रास्ते में न हो। पीला रंग अंधेरे में या फोग में भी दिखाई देता है क्योंकि यह लाल रंग की तुलना में वातावरण में अधिक फैलता है। पीले रंग के साइन बोर्ड पर काले रंग का प्रयोग करने का एक मात्र कारण ये है कि काला रंग, पीले रंग से बिलकुल अलग है। इससे बोर्ड पर लिखा कुछ भी आसानी से और साफ साफ दिख जाता है। ट्रेन चलाते समय लोको पायलट बोर्ड और उस पर लिखे शब्दों को दूर से ही नोटिस कर लेता है और उसके अनुसार लोकोमोटिव की स्पीड को एडजस्ट कर लेता है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि रेलवे बोर्ड का रंग पीला और शब्द काले रंग का क्यों होता है।