Train Upper Berth: हमारे देश में प्रतिदिन करोड़ो लोग ट्रेन से ट्रैवल करते हैं। अगर नोर्थ इंडिया की बात करें तो आपको कभी भी एक दिन पहले कन्फर्म टिकट हासिल नहीं होगा। आपको टिकट के लिए कुछ महिने पहले ही बुकिंग करनी होगी। ऐसे में भारतीय रेलवे ने ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों के लिए कई नियम बनाए हैं इनमें से एक नियम अपर बर्थ वाले पैसेंजर्स के लिए भी है। आइए आपको उनके बारे में बताते हैं।
त्योहारी सीजन के दौरान, खासकर अक्टूबर और नवंबर में, ट्रेन टिकट की बुकिंग एडवांस में की जाती है। हालांकि कई यात्रियों को कन्फर्म टिकट के लिए आखिरी वक्त तक इंतजार करना पड़ता है। कन्फर्म टिकट वाले यात्रियों के आने तक जिस व्यक्ति का टिकट कन्फर्म नहीं होता है वो यात्री ऊपरी बर्थ पर ट्रैवल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपर बर्थ पैसेंजर को किन नियमों का पालन करना होता है? आज हम आपको उसके बारे में बताएंगे।
जब निचली सीट पर दो RAC टिकट होल्डर हों तो ऊपर वाली बर्थ पर कोई यात्री कहां बैठेगा?
यह ऊपरी बर्थ से संबंधित नियमों के उदाहरणों में से एक है।
कन्फर्म टिकट वाले यात्रियों को कोई समस्या न हो, भारतीय रेलवे ने कई दिशानिर्देश लागू किए हैं। थर्ड एसी क्लास और ट्रेनों के स्लीपर सेक्शन में प्रत्येक केबिन में आठ सीटें होती हैं। इनमें से दो सीट साइड में हैं और छह सीट आमने-सामने होती है। ऐसे में यात्री कैसे काम करेंगे?
रात के 10 बजे से सुबह के 6 बजे तक ही ट्रेन में सोने का समय है-
इसके लिए टाइम अलोट किया जाता है। भारतीय रेलवे ने उत्तर रेलवे के टिकट में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच सोने का समय रखा है। इसका मतलब यह है कि जो लोग नीचे की सीट पर बैठे हैं वे इस समय को उस बर्थ पर सोने में बिताएंगे। यानी बिना यात्री की सहमति के कोई भी इस दौरान नीचे की बर्थ का इस्तेमाल नहीं करेगा।
सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक अपर बर्थ का व्यक्ति नीचे वाली सीट पर बैठ सकता है-
ऐसी स्थिति की कल्पना करें जहां एक यात्री की कंफर्म बर्थ साइड अपर है और नीचे की साइड लोअर सीट पर दो अन्य यात्रियों को आरएसी टिकट दिया गया है। निचली बर्थ पर यात्री के बैठने के लिए ज्यादा जगह नहीं बचती है। यहां भी वही नियम लागू होता है जिसमें सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक ऊपर की बर्थ वाला यात्री नीचे की सीट पर बैठ सकता है, हालांकि ऐसे में दो आरएसी टिकट होल्ड को ही बैठने की अनुमति होती है।