Highlights
- 50 रुपये से अधिक मूल्य के गिफ्ट की जानकारी आयकर रिटर्न फॉर्म में दें
- कुछ ऐसे भी गिफ्ट्स होते हैं, जिनपर कोई भी टैक्स नहीं लगता
- रिश्तेदारों के अलावा अन्य किसी और से मिले गिफ्ट पर केवल तभी टैक्स लगता है
Diwali को लेकर सभी तरफ तैयारियां जोरों पर चल रही है। दिवाली में गिफ्ट देने और लेने का सिलसिला बहुत ही पुराना है। इस अवसर पर प्राइवेट कंपनियों और सरकारी डिपार्टमेंट में भी कर्मचारियों को गिफ्ट दिया जाता है। आप भी अपने दोस्त-रिश्तेदारों को गिफ्ट देने की योजना बना रहे होंगे। क्या आपको पता है कि सभी गिफ्ट उपहार टैक्स फ्री नहीं होते हैं। गिफ्ट के लेन-देन पर भी टैक्स लगता है। क्या आपको मालूम है कि गिफ्ट के लेन-देन पर टैक्स के क्या नियम हैं? अगर नहीं तो हम आपको पूरी जानकारी दे रहे हैं।
किसे गिफ्ट माना जाता है?
- नकदी, चेक या बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से मिले पैसे
- घर, जमीन जैसी अचल संपत्ति जिसे ना तो स्थानांतरित किया जा सकता है और ना ही नष्ट।
- आभूषण, सोना, कलाकृति आदि।
इनसे मिले गिफ्ट पर नहीं देना होता टैक्स
- जीवनसाथी
- भाई-बहन
- जीवनसाथी के भाई-बहन
- माता-पिता
- सास, ससुर
किस गिफ्ट पर देना होगा टैक्स
- अगर आपको गैर-रिश्तेदार से एक वित्त वर्ष के अंदर 50 हजार हजार रुपये तक का उपहार प्राप्त होता है तो आयकर से मुक्त होता है। लेकिन अगर एक वित्त वर्ष में इससे अधिक रकम यानी 51 हजार या इससे अधिक उपहार में मिलता है तो पूरे पर आयकर देना होगा। उपहार पर आयकर कैसे लगता है।
- अगर आप अपने रिश्तेदार या किसी व्यक्ति को जमीन या घर उपहार में देते हैं तो प्रॉपर्टी की स्टांप शुल्क मूल्य के हिसाब से इस पर आयकर चुकाना होगा। अगर संपत्ति की स्टांप शुल्क मूल्य 50 हजार रुपये से अधिक है तो इस पर आयकर देना पड़ेगा।
- अगर एक वित्त वर्ष में गहने, पेंटिंग, ड्राइंग, शेयर, आर्कियोलॉजिकल कलेक्शन, सोना-चांदी आदि उपहार के तौर पर मिला है और उसकी बाजार कीमत 50 हजार रुपये से अधिक है तो कर चुकाना पड़ेगा।
जानकारी छुपाने पर 200% तक जुर्माना
अगर आपको नकदी के रूप में या किसी अन्य अचल संपत्ति के रूप में अपने रिश्तेदारों से 50 हजार रुपये से ज्यादा के उपहार मिले हैं तो इसकी जानकारी आयकर दाखिल करते समय रिटर्न फॉर्म में देना जरूरी है। अगर जानकारी नहीं देते तो आयकर की जांच में यह समाने आता है तो आयकर अधिकारी प्राप्त रकम पर 200 फीसदी तक जुर्माना लगा सकते हैं। इसलिए अगर एक वित्त वर्ष में 50 रुपये से अधिक मूल्य के चल,अचल संपत्ति या नकदी प्राप्त हुई है तो इसकी जानकारी आयकर रिटर्न फॉर्म में दें और कर चुकाएं। हालांकि, शादी-विवाह के दौरान दूल्हे या दुल्हन को मिलने वाले उपहार टैक्स के दायरे से बाहर होते हैं। भले ही वे चाहे किसी रिश्तेदार से मिले हों या गैर से।
गिफ्ट डीड एक अच्छा जरिया
क्या है गिफ्ट डीड: गिफ्ट डीड एक तरह का दस्तावेज है, जिसका इस्तेमाल नकद या वस्तु के रूप में किसी उपहार के लेन-देन के समय इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, उपहार किसी भी चल या अचल संपत्ति का अपनी इच्छा और स्वतंत्र रूप से किया जाने वाला हस्तांतरण है। उपहार प्राप्त करने वाला व्यक्ति, उपहार देने वाले व्यक्ति को उपहार की कीमत का भुगतान नहीं करता। विशेषज्ञों के मुताबिक, नकदी, चेक, प्रॉपर्टी, आभूषण आदि उपहार मिला है तो वह कर योग्य हो भी सकता है। गिफ्ट डीड के जरिए आप महंगे उपहार जैसे की आभूषण, प्रॉपर्टी या नकद रकम अपने रिश्तेदारों को देकर कर बचत कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल आपके पिता आपको नकद देने की एवज में कर सकते हैं।