दुनिया पैसों से चलती है, और नोटबंदी का सामना कर चुके भारतीय लोगों से बेहतर यह कौन समझ सकता है। वास्तव में करंसी चीजें खरीदने और बेचने के काम ही नहीं आती है, बल्कि करंसी किसी देश की पहचान भी होती है। यही कारण है कि भारतीय मुद्रा पर गांधी जी की तस्वीर के साथ ही राष्ट्रीय पहचान से जुड़ी तस्वीरें जैसे कोणार्क का सूर्य मंदिर और मंगलयान आदि अंकित होते हैं।
लेकिन इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक नई बहस शुरू कर दी। केजरीवाल ने मांग की है कि भारतीय करेंसी पर गणेश लक्ष्मी जैसे देवी-देवताओं की फोटो छाप दी जाए। यह भले ही राजनीतिक मांग हो, लेकिन इससे सभी के मन में यह भी सवाल उठता है कि भारत में करेंसी नोट पर छपने वाली तस्वीरें कौन तय करता है और इससे जुड़े नियम एवं कानून क्या हैं।
क्या हैं करंसी प्रिंटिंग से जुड़े नियम
नियमों की बात की जाए तो देश में करंसी नोट छापने का काम रिजर्व बैंक का है। रिजर्व बैंक एक्ट में नोट छापने से जुड़ी पूरी प्रक्रिया को तय किया गया है। रिजर्व बैंक की विभिन्न प्रिंटिंग प्रेस एक खास कागज पर नोटों की प्रिंटिंग करती हैं। इन नोटों की डिजाइनिंग से लेकर प्रिंटिंग तक की जिम्मेदारी रिजर्व बैंक की एक खास डिवीजन संभालती है। हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में रिजर्व बैंक को केंद्र सरकार से सहमति लेनी पड़ती है। नोट की नई डिजाइन कैसी होगी या फिर नोट पर तस्वीर कौन सी छापी जाएगी। इसका फैसला रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार का संयुक्त पैनल मिलकर लेता है।
क्या कहता है नियम
सूचना के अधिकार के तहत रिजर्व बैंक से इस मामले में जानकारी मांगी गई थी। अपने जवाब में रिजर्व बैंक ने बताया था कि आरबीआई एक्ट 1934 के सेक्शन 25 के तहत केंद्रीय बैंक और केंद्र सरकार मिलकर नोट और उस पर तस्वीर छापने का फैसला करती है। यदि मौजूदा करंसी नोट में यदि कोई बदलाव करना होता है तो इसका फैसला यहीं संयुक्त पैनल करता है।
भारत के नोटों पर हैं ये तस्वीरें
भारतीय नोटों पर मुख्यतया गांधीजी की तस्वीर छपी होती है। लेकिन नोट के दूसरी ओर अक्सर राष्ट्रीय पहचान एवं गौरव से जुड़ी तस्वीरें होती हैं। राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ और संसद भवन को नोटों पर छापा जाता था। इस तस्वीर के अलावा नोट पर रॉयल बंगाल टाइगर्स, आर्यभट्ट उपग्रह, खेती, शालीमार गार्डन, कोणार्क मंदिर, बृहदीश्वर मंदिर या फिर 2000 के नोट में मंगलयान को जगह दी गई है।