डिजिटल पेमेंट के इस दौर में क्रेडिट कार्ड एक अहम जरूरत हो गई है। इसके चलते आज के समय में अधिकांश लोगों के पास किसी न किसी बैंक का क्रेडिट जरूर होता है। कई लोग एक से अधिक भी क्रेडिट कार्ड रखते हैं। हम सभी क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल शॉपिंग, टिकट बुकिंग, होटल बुकिंग से लेकर छोटी-बड़ी खरीदारी करने में करते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि हम अपनी बजट से अधिक खरीदारी कर लेते हैं। उस स्थिति में हम ड्यू बिल का भुगतान एक बार करने में सक्षम नहीं होते हैं। उस स्थिति में बहुत सारे लोग मिनिमम ड्यू पेमेंट का विकल्प चुन लेते हैं। हालांकि, यह नुकसान का सौदा है। बैंकिंग एक्सपर्ट का कहना है कि बड़ी रकम की खरीदारी के बाद मिनिमम ड्यू पेमेंट की जगह EMI का विकल्प चुनना ज्यादा फायदेमंद है। आइए, जानते हैं कैसे?
बैंक वसूलते हैं कि 48% तक ब्याज
बैंकिंग एक्सपर्ट का कहना है कि बड़ी खरीदारी के बाद बिल का भुगतान मिनिमम ड्यू पेमेंट के बजाय ईएमआई में चुकाना सही है। ऐसा इसलिए कि जब कोई मिनिमम ड्यू पेमेंट का भुगतान करता है, तो बैंक शेष राशि पर 30% से 48% तक सालाना ब्याज वसूलत हैं। इसके साथ ही बैंक ब्याज खरीद की तारीख से वसूलते हैं न कि बिलिंग या नियत तारीख से। इसके चलते उपभोक्ता क्रेडिट कार्ड पर 45 दिन तक मिलने वाल इंटरेस्ट पीरियड का लाभ भी नहीं ले पाता है। वहीं, बकाया बिल का भुगतान ईएमआई करने पर बैंक 12 से लेकर 15% तक ही ब्याज वसूलते हैं। साथ ही एक स्ट्रक्चर्ड पेबैक शेड्यूल का भी लाभ मिलता है।
ईएमआई कन्वर्ट कराने में इन 4 बातों का ख्याल रखें
- ब्याज दरें और शुल्क: क्रेडिट कार्ड बिल को ईएमआई में बदलने के लिए अलग-अलग बैंकों के अलग-अलग ब्याज और शुल्क लेते हैं। इसलिए, ईएमआई चुनने से पहले, अपनी वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन करें और नियमों और शर्तों को समझें।
- प्रीपेमेंट पेनल्टी: अगर आप अवधि खत्म होने से पहले ईएमआई बंद करना चाहते हैं तो चेक करें कि क्या लेंडर कोई प्रीपेमेंट पेनल्टी चार्ज करता है या नहीं।
- ईएमआई की अवधि: ऐसी अवधि चुनें जिससे आप आसानी से ईएमआई का भुगतान कर सकें। हमेशा कम अवधि की ईएमआई चुनने की कोशिश करें। ऐसा कर आप ब्याज के तौर पर बड़ी रकम बचत कर पाएंगे।
- रिवॉर्ड्स और कैशबैक: क्रेडिट कार्ड बिलों को ईएमआई में बदलने से रिवॉर्ड्स और कैशबैक बेनिफिट्स का नुकसान हो सकता है। ईएमआई कराने से पहले इसे चेक कर लें।
क्या होता है मिनिमम ड्यू
अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड बिल को ध्यान से देखें तो इसमें आपको बिल (Bill Amount) की पूरी राशि दिखेगी। साथ ही अगले खाने में मिनिमम अमाउंट ड्यू (Minimum Amount Due) का ऑप्शन भी दिखेगा। मिनिमम अमाउंट का अर्थ होता है कि यदि आप पूरा बिल न चुका पाएं तो इतनी राशि भी चुका सकते हैं। आम तौर पर मिनिमम अमाउंट ड्यू आपकी कुल आउटस्टैंडिंग का 5% होता है।
फंस सकते हैं कर्ज की जाल में
क्रेडिट कार्ड बिल में सिर्फ मिनिमम अमाउंट ड्यू का पेमेंट करने पर आप कर्ज के जाल में फंस सकते हैं क्योंकि, इस अमाउंट का इस्तेमाल इंटरेस्ट के पेमेंट के लिए किया जाता है, न कि प्रिंसिपल अमाउंट के पेमेंट के लिए। इंटरेस्ट तब तक लिया जाता रहेगा जब तक आप पूरी तरह से अपना ड्यू क्लियर नहीं कर देते हैं। इस तरह आप कर्ज की जाल में फंसते चले जाते हैं। इसके साथ ही सिबिल स्कोर खराब होने का भी खतरा रहता है।