Credit Card Payment: देश में त्योहारों का मौसम आ चुका है। दुर्गा पूर्जा के पर्व के साथ ही खरीदारी के शुभ दिनों की शुरूआत भी हो जाती है। दिवाली और धनतेरस का दिन तो नई खरीद के लिए सबसे शुभ माना जाता है। जब बाजार में एक से बढ़कर एक प्रोडक्ट हों तो उन्हें खरीदने के लिए दिल तो ललचा ही जाता है। लेकिन इस लालच में अक्सर हम जरूरत से ज्यादा खर्च जैसी गड़ी गलती कर देते हैं। अगर आपने ताबड़तोड़ क्रेडिट कार्ड स्वाइप किए हैं तो आपके पास भारी बिल और बकाया को चुकाने का प्रेशर रहेगा।
अब प्रश्न उठता है कि आप इस कर्ज से कैसे निपटेंगे? आपके पास क्रेडिट कार्ड के इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट (ईएमआई) ऑफर्स स्वीकार करने का विकल्प होगा। इसके अलावा आप एक निश्चित रकम भी चुका सकते हैं और बकाया बचे हुए बिल की अगले महीने के लिए किश्तें बनवा सकते हैं। हालांकि, ये दोनों ही विकल्प अच्छे नहीं हैं।
तो आप अपना कर्ज का बोझ कैसे कम कर सकते हैं? खासतौर पर ऐसे वक्त पर जबकि हो सकता है कि आप कोरोना काल में सैलरी में कटौती या नौकरी जाने जैसी दिक्कत का सामना कर रहे हों, यह कर्ज आपके लिए मुश्किल भरा साबित हो सकता है।
अपने कैशबैक और रिवॉर्ड पॉइंट्स को रिडीम करें
अगर आपके क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक ने अभी तक बिल नहीं जनरेट किया है तो आपको अपने रिवॉर्ड पॉइंट्स रिडीम कर लेने चाहिए। कुछ बैंक यह सहूलियत देते हैं कि आप अपने रिवॉर्ड पॉइंट्स का इस्तेमाल करके अपने क्रेडिट कार्ड का बिल चुका दें। अगर आपका क्रेडिट कार्ड बिल जनरेट हो चुका है तो आपके द्वारा किया गया कोई भी अनुरोध अगले बिलिंग साइकिल में ही आएगा। इससे आपको मिलने वाली राहत में कुछ देरी हो जाएगी।
क्रेडिट कार्ड EMI का विकल्प
क्रेडिट कार्ड बकाया का भुगतान करने के लिए क्रेडिट कार्ड ईएमआई सबसे आसानी से मिलने वाला एक विकल्प होता है। इन पर लगने वाला ब्याज 15 से 22 फीसदी तक होता है। साथ ही, इसके साथ ऊंची प्रीपेमेंट कॉस्ट जैसी चीजें भी होती हैं। बकाया भुगतान को ऐसे क्रेडिट कार्ड पर ट्रांसफर कराना जिसमें सबसे कम ब्याज हो और सबसे लंबा इंटरेस्ट फ्री पीरियड हो, उसे भी एक विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। आप अपने बैंक की कस्टमर सर्विस को कॉल करके भी अपने बकाया को ईएमआई पर भी कनवर्ट कर सकते हैं।
लोन टॉप-अप
आप अपने मौजूदा होम लोन पर टॉप-अप की मांग भी कर सकते हैं ताकि आप अपने कर्ज को चुका सकें। लेकिन, इसकी सीमाएं हैं। मिसाल के तौर पर, अगर 1 लाख रुपये का टॉप अप लोन लेते हैं और इसका टेन्योर 15 साल है तो 7.5 फीसदी जितने कम ब्याज पर भी आपको ब्याज के मद में ही करीब 70,000 रुपये चुकाने पड़ेंगे। ऐसे में इस टॉप-अप को सही तरीके से निपटाना जरूरी है। बेहतर होगा कि आप हर महीने कुछ पैसा अलग रखें और कोशिश करें कि एक साल के भीतर ही आप टॉप-अप से ली गई रकम को पूरी तरह से चुका दें। इससे आप बहुत ब्याज बचा लेंगे। लेकिन, ये लोन उन्हीं को मिल सकते हैं जो कि पहले से ही होम लोन पर ईएमआई चुका रहे हैं।
इनवेस्टमेंट के बदले लोन
फिक्स्ड डिपॉजिट्स, म्यूचुअल फंड्स, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज और यहां तक कि गोल्ड के बदले भी टॉप-अप या पर्सनल लोन आप ले सकते हैं। इनसे आपकी फंडिंग की कॉस्ट कम रह सकती है। ये लोन आमतौर पर एक साल के करीब के ओवरड्राफ्ट के तौर पर आते हैं। बैंक इन्हें तेजी से डिजिटल तौर पर दे देते हैं।