Highlights
- सोने की खरीद आपको आयकर के दायरे में भी ला सकती है
- गोल्ड पर टैक्स से जुड़े आयकर कानूनों पर भी नजर जरूर डालनी चाहिए
- पक्के बिल पर खरीदे गए गोल्ड पर आपको 3 फीसदी GST देना होता है
Tax On Gold : साल में सोना चांदी की खरीदारी से जुड़ा सबसे पवित्र दिन यानि धनतेरस का त्योहार इसी हफ्ते आने जा रहा है। सोना सिर्फ एक धातु ही नहीं है यह हमारी भावनाओं का अहम हिस्सा है। दिवाली के मौके पर हम सोने और चांदी के साथ ही पूजा अर्चना भी करते हैं। वहीं महिलाओं के लिए तो सोना पहला प्यार होता है। वहीं निवेश के लिए भी सोना सबसे पुराना जरिया है। कहा जाता है कि सोना कभी भी धोखा नहीं देता है।
तभी तो हमेशा से ही भारतीय हर अवसर पर सोना खरीदने के लिए उत्सुक रहते हैं। लेकिन आपकी यह सोने की खरीद आपको आयकर के दायरे में भी ला सकती है। यानि सोने की खरीद पर टैक्स भी देना होता है। ऐसे में यदि आपने गहने के रूप में या फिर निवेश के लिए सोने की खरीदारी की है या फिर सोने की खरीदारी करने जा रहे हैं तो आपको गोल्ड पर टैक्स से जुड़े आयकर कानूनों पर भी नजर जरूर डाल लेनी चाहिए। आज इंडिया टीवी पैसा की टीम आपके लिए ऐसे ही नियमों की जानकारी दे रहा है जिनकी मदद से आप टैक्स बचा सकते हैं।
आपके पास सोना खरीदने के हैं 4 विकल्प
अब वो जमाना नहीं रहा जब आप ज्वैलर की दुकान पर जाकर सोना खरीदते थे। आज का समय डिजिटल है तो सोना भी डिजिटल हो गया हैै। आमतौर पर आप 4 प्रमुख तरीके से सोना खरीद सकते हैं। सोना खरीदने के इन विकल्पों में फिजिकल गोल्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड या ईटीएफ, डिजिटल गोल्ड और सॉवरेन गोल्ड बांड शामिल हैं। अगर आपने भी इस दिवाली के मौके पर सोना खरीदा है तो आपको इस पर बनने वाली टैक्स देनदारी पर भी गौर कर लेना चाहिए।
ज्वैलर से सोना खरीदने पर कितना टैक्स
आमतौर पर भारतीय सुनार की दुकान पर जाकर सोना खरीदते हैं। यह सोना या तो गोल्ड ज्वैलरी, बार या फिर सिक्के के रूप में होता है। बता दें कि सुनार से पक्के बिल पर खरीदे गए फिजिकल गोल्ड पर आपको 3 फीसदी जीएसटी देना होता है। वहीं बिक्री की बात करें तो ग्राहक द्वारा फिजिकल गोल्ड बेचने पर टैक्स देनदारी इस बात पर निर्भर करती है कि आपने कितने समय तक इन्हें अपने पास रखा है।
कब लगता है कैपिटल गेन टैक्स
गोल्ड को खरीदी की तारीख से तीन साल के भीतर बेचा जाता है तो फायदे को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और इसे आपकी सालाना इनकम में जोड़ते हुए एप्लिकेबल इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स की गणना की जाएगी। वहीं तीन साल के बाद गोल्ड बेचने का फैसला करते हैं तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और इस पर 20 फीसदी की टैक्स लगेगा। साथ ही इंडेक्सेशन बेनिफिट्स क साथ 4 फीसदी सेस और सरचार्ज भी लगेगा।
डिजिटल गोल्ड या ई गोल्ड
भारत इस समय डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में देश में डिजिटल गोल्ड का प्रचलन भी बढ़ रहा है। कई बैंक, मोबाइल वॉलेट और ब्रोकरेज कंपनियों ने एमएमटीसी-पीएएमपी या सेफगोल्ड के साथ साझेदारी कर डिजिटल गोल्ड उपलब्ध कराते हैं। डिजिटल गोल्ड की बिक्री के मामले में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर फिजिकल गोल्ड या गोल्ड म्यूचुअल फंड्स/गोल्ड ईटीएफ की तरह ही टैक्स देनदारी बनती है। यानी 20 फीसदी टैक्स प्लस सेस व सरचार्ज। लेकिन अगर डिजिटल गोल्ड 3 साल से कम अवधि तक ग्राहक के पास रहा तो इसकी बिक्री से रिटर्न पर सीधे तौर पर टैक्स नहीं लगता है।
सॉवरेन गोल्ड बांड्स
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर निवेशकों को 2.5 फीसदी वार्षिक ब्याज मिलता है, जिसे करदाता की इनकम फ्रॉम अदर सोर्स में जोड़ा जाता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड 8 साल की मैच्योरिटी के बाद टैक्स फ्री है। लेकिन समय से पहले योजना से बाहर होने पर बॉन्ड के रिटर्न पर अलग-अलग टैक्स रेट लागू हैं। आमतौर पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का लॉक इन पीरियड 5 साल है। इस अवधि के पूरा होने के बाद और मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने से पहले गोल्ड बॉन्ड की बिक्री से आने वाला रिटर्न लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स में रखा जाता है। इसके तहत 20 फीसदी टैक्स और 4 फीसदी सेस प्लस सरचार्ज लगता है।
Gold MF या Gold ETF
गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड आपके द्वारा किए गए निवेश को फिजिकल गोल्ड में निवेश करता है। ऐसे में इस प्रकार से खरीदे सोने पर फिजिकल गोल्ड की तरह ही टैक्स लगता है। गोल्ड म्यूचुअल फंड्स की बात करें तो यह गोल्ड ईटीएफ में निवेश करता है।