म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करने वाले अधिकांश निवेशक पिछला रिटर्न को देखते हैं। बहुत ही कम निवेश किसी म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश से पहले उस फंड का एक्सपेंस रेश्यो देखते हैं, जबकि इसका सीधा असर मिलने वाले रिटर्न पर पड़ता है। सरल शब्दों में समझें तो कम एक्सपेंस रेश्यो का मतलब होता है ज्यादा मुनाफा और ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो घाटे का सौदा होता है। आखिर क्या होता है एक्सपेंस रेश्यो और कैसे इसका अधिक होना निवेशकों के लिए घाटे का सौदा है, आइए समझते हैं।
एक्सपेंस रेश्यो क्या होता है?
एक्सपेंस रेश्यो वह सालाना शुल्क है जो म्यूचुअल फंड अपने निवेशकों से लेते हैं, जिसकी गणना फंड की कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) के प्रतिशत के रूप में की जाती है। यह शुल्क प्रबंधन, प्रशासनिक और परिचालन व्यय सहित विभिन्न लागतों के लिए निवेशकों से लिया जाता है।
रिटर्न पर कैसे होता है असर?
एक्सपेंस रेश्यो का आपके म्यूचुअल फंड निवेश से मिलने वाले रिटर्न पर सीधा प्रभाव पड़ता है। हाई एक्सपेंस रेश्यो आपको दिए जाने वाले शुद्ध रिटर्न को कम करता है, जिसका अर्थ है कि फंड की कमाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इसकी लागतों को कवर करने में चला जाता है। समय के साथ, एक्सपेंस रेश्यो में एक छोटा सा अंतर भी आपके निवेश की वृद्धि को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है।
फंड चुनने में एक्सपेंस रेश्यो का खास ख्याल रखें
म्यूचुअल फंड का मूल्यांकन करते समय, समान फंड के एक्सपेंस रेश्यो की तुलना करना आवश्यक है। कम एक्सपेंस रेश्यो को आम तौर पर प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि वे फंड के रिटर्न का ज़्यादा हिस्सा निवेशक के पास रहने देते हैं। हालांकि, सुनिश्चित करें कि कम लागत की तलाश में फंड की प्रबंधन गुणवत्ता और सेवाओं से समझौता न किया जाए। फाइनेंशियल प्लानर का कहना है कि म्यूचुअल फंड निवेश पर अधिकतम रिटर्न पाने के लिए एक्सपेंस रेश्यो पर ध्यान देना जरूरी है। हमेशा समान फंड के एक्सपेंस रेश्यो की तुलना करें और उन्हें फंड के प्रदर्शन और रणनीति के साथ तौलें। एक संतुलित दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि आपका निवेश आपके वित्तीय लक्ष्यों के अनुरूप हो और अनावश्यक लागतों को कम से कम करे।