Investment in Gold : शुक्रवार, 10 मई को पूरे देश में अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) मनाई जाएगी। अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है। आप कई तरह से सोने में निवेश कर सकते हैं। आप इसे जूलरी के रूप में खरीद सकते हैं या सोने के सिक्के खरीद सकते हैं। आप डिजिटल गोल्ड भी खरीद सकते हैं। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को सब्सक्राइब कर सकते हैं। गोल्ड ईटीएफ में पैसा लगा सकते हैं या फिर गोल्ड सेविंग स्कीम्स में निवेश कर सकते हैं। सोने में इन्वेस्टमेंट पर टैक्स भी लगता है। इसलिए जब आप सोने में निवेश करने जा रहे हैं, तो टैक्स के बारे में भी जरूर जान लें। डिजिटल गोल्ड और फिजिकल गोल्ड दोनों पर टैक्स एक जैसे लगता है। लेकिन सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में टैक्स के नियम अलग हैं।
फिजिकल गोल्ड में निवेश पर टैक्स (coins/ biscuits)
फिजिकल गोल्ड में टैक्स डिजिटल गोल्ड की तरह ही लगता है। अगर यह खरीदने के 3 साल के बाद बेचा जाता है, तो इस पर 20 फीसदी+8 फीसदी सेस के साथ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। जब इसे 3 साल के भीतर बेचा जाता है, तो गेन्स आपकी इनकम मे जुड़ जाएगा और स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा।
गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड पर टैक्स (ETF)
ईटीएफ पर होने वाली अर्निंग्स पर इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। आप इन्हें कब बेचें यह फर्क नहीं पड़ता। AMFI के आंकड़ों के अनुसार, 29 फरवरी 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार 28,529 करोड़ रुपये कुल एयूएम की 17 गोल्ड ईटीएफ स्कीम्स हैं।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर टैक्स (SGB)
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में टैक्स के नियम अलग होते हैं। अगर आप इन्हें खरीदने के 3 साल के अंदर सैकेंडरी मार्केट में बेचते हैं, तो इन पर आपकी स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स लगेगा। लेकिन अगर आप इन्हें तीन साल होल्ड करने के बाद सेल करते हैं, तो इन पर इंडेक्सेशन के बाद 20 फीसदी का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। और अगर आप इन्हें मैच्योरिटी तक रखते हैं, तो इन पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इन बॉन्ड्स की मैच्योरिटी अवधि 8 साल की होती है और 5 साल बाद इनमें अर्ली रिडेम्पशन का ऑप्शन भी मिलता है। इन बॉन्ड्स पर मिलने वाली 2.5 फीसदी की एनुअल इनकम पर टैक्स स्लैब के अनुसार लगता है।