नई दिल्ली। आपका बैंक एकाउंट खाली है और अचानक आपको पैसे की जरूरत पड़ जाए, तो आप क्या करेंगे। किसी से मदद मांगने में हिचक लग रही हो या पर्सनल लोन लेने के लिए समय न हो तो आप अपने बैंक की ओवरड्राफ्ट सुविधा का फायदा उठा सकते हैं। ओवरड्राफ्ट सुविधा वह सुविधा है, जिसके तहत आप अपने बैंक एकाउंट में पैसा न होने पर भी खाते से पैसा निकाल सकते हैं। इसके लिए बस आपको ब्याज का भुगतान करना होगा। लगभग सभी बैंक अपने ग्राहकों को ओवरड्राफ्ट सुविधा प्रदान करते हैं।
कैसे करें आवेदन
इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए आपको बैंक में जाकर या ऑनलाइन आवेदन करना होगा। अधिकांश बैंक ओवरड्राफ्ट सुविधा के लिए ली जाने वाली कुल राशि का एक प्रतिशत प्रोसेसिंग शुल्क के रूप में लेते हैं। कुछ खास लोगों को बैंक यह सुविधा ऑटोमैटिक उपलब्ध कराती है, जबकि कुछ ग्राहकों को इसके लिए आवेदन करना होता है।
ओवरड्राफ्ट सुविधा एक तरह का ऋण होता है, जिसे ग्राहक की जरूरत के हिसाब से दिया जाता है। बैंक गारंटी और बिना गारंटी दोनों तरह से ओवरड्राफ्ट की सुविधा देते हैं। बैंक के साथ ग्राहक के संबंध कैसे हैं, इसपर भी ओवरड्राफ्ट की सुविधा काफी हद तक निर्भर करता है।
सैलरी ओवरड्राफ्ट: ग्राहक अपने सैलरी एकाउंट पर ओवरड्राफ्ट ले सकते हैं। सैलरी का दो से तीन गुना तक ओवरड्राफ्ट लिया जा सकता है। जिस बैंक में आपका सैलरी एकाउंट है, उसी बैंक से ओवरड्राफ्ट की सुविधा शीघ्र और आसानी से मिल सकती है।
होम ओवरड्राफ्ट: बैंक होम लोन ग्राहकों को भी ओवरड्राफ्ट की सुविधा देते हैं। संपत्ति के कुल मूल्य का 50 से 60 प्रतिशत तक ओवरड्राफ्ट मिल सकता है। इसके लिए ग्राहक की लोन चुकाने की क्षमता और क्रेडिट हिस्ट्री का भी आंकलन किया जाता है।
इंश्योरेंस पॉलिसी ओवरड्राफ्ट: आप अपनी बीमा पॉलिसी को गारंटी के तौर पर बैंक के पास रखकर उसपर ओवरड्राफ्ट की सुविधा ले सकते हैं। बीमा कवर के सम-एश्योर्ड के आधार पर ओवरड्राफ्ट की रकम तय की जाती है।
एफडी ओवरड्राफ्ट: कोई व्यक्ति अपने सावधि जमा (एफडी) पर भी ओवरड्राफ्ट ले सकता है। एफडी की कुल राशि का 75 प्रतिशत तक ओवरड्राफ्ट मिल सकता है। इस पर ब्याज भी कम लगता है। आमतौर पर बैंक एफडी पर मिल रहे ब्याज से 2 प्रतिशत अधिक ब्याज लेते हैं।
कैसे काम करता है ओवरड्राफ्ट
बैंक द्वारा ओवरड्राफ्ट की सुविधा देने के बाद ग्राहक अपने बैंक एकाउंट से जब चाहे पैसा निकाल सकते हैं। ओवरड्राफ्ट की राशि, अलग-अलग ग्राहक के आधार पर अलग-अलग हो सकती है। ओवरड्राफ्ट लेने के बाद आपको इसे बैंक को वापस लौटाना होता है, ठीक उसी तरह जैसे आप ऋण लौटाते हैं। जबतक आप पूरी रकम नहीं लौटाते तब तक बैंक इस पर ब्याज वसूलता है। इस पर रोजाना के हिसाब से ब्याज लगता है। जैसे-जैसे आप खाते में पैसे जमा करते हैं, बकाया रकम घटती जाती है और उस पर ब्याज की राशि भी उसी अनुरूप कम होती जाती है।