नई दिल्ली| गावों में रिहायशी जायदाद का ड्रोन से सर्वेक्षण कर लोगों को उसके मालिकाना हक का दस्तावेज मुहैया करवाने वाली स्वामित्व योजना अब 24 अप्रैल से पूरे देश में चालू हो जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस योजना के विस्तार का शुभारंभ करेंगे। इस योजना के तहत गांवों में जमीन से जुड़े विवादों को खत्म करने, और गांवों में आवासीय संपत्तियों को वैध बनाने के लिए देश के कुछ हिस्सों में प्रयोग के रूप में जारी इस योजना का विस्तार अब पूरे देश में हो जाएगा।
क्या होगा इस योजना का ग्रामवासियों को फायदा
- देश की आधी से ज्यादा जनता गांवों में रहती है, और इसमें से भी काफी बड़ी आबादी के पास अपनी प्रॉपर्टी को लेकर दस्तावेज नहीं है। जिससे जमीनी विवाद की आशंकाएं बनी रहती हैं और जरूरत पड़ने पर ग्रामीण अपनी संपत्तियों का वित्तीय रूप में इस्तेमाल नहीं कर पाते।
- सरकार के मुताबिक सर्वे पूरा होने के बाद भारत की एक बड़ी आबादी की ग्रामीण आवासीय संपत्ति को मान्यता पत्र मिल जाएगा।
- पंचायती राज मंत्रालय के मुताबिक सर्वे के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में घरों के मालिक को प्रॉपर्टी कार्ड दिया जाएगा, जो कि उन्हें अपनी आवासीय संपत्ति का उपयोग वित्तीय संपत्ति के रूप में करने की अनुमति देगा। यानि कि वे उस संपत्ति के आधार पर बैंकों से कर्ज ले सकेंगे।
- सरकार के मुताबिक लोगों को प्रॉपर्टी कार्ड मिलने से वे अब बिना किसी विवाद के संपत्ति खरीद और बेच पाएंगे और गांवों में लोगों के अपने घर पर होने वाले कब्जे की आशंका समाप्त हो जाएगी।
- गांवों के घरों की संपत्ति के आधार पर नौजवान बैंक से कर्ज लेकर अपना भविष्य बना पाएंगे।
- सरकार के मुताबिक ड्रोन जैसी नवीनतम टेक्नोलाजी से जिस प्रकार मैपिंग और सर्वे किया जा रहा है, उससे हर गांव का सटीक लैंड रिकार्ड भी बन पाएगा।
- बेहतर रिकॉर्ड से आवास योजना सहित सरकार की अन्य योजनाओं का तेजी से फायदा भी ग्रामवासियों को मिलेगा
कब तक पूरी होगी योजना
- केंद्र सरकार के मुताबिक वर्ष 2025 तक इस महत्वाकांक्षी योजना को पूरा किया जाना है। सरकार ने सभी संबंधित मंत्रालय एवं राज्यों को इस योजना के क्रियान्वयन के लिए एक रोडमैप बनाकर चरणबद्ध तरीके से लक्ष्य निर्धारित कर इसे योजना को पूरा करने का निर्देश दिया।
- इस योजना के लिए ड्रोन सर्वे का एक पायलट प्रोजेक्ट 40 हजार गांवों पर सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है। सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के दौरान सैकड़ों लोगों को प्रॉपर्टी कार्ड दिए गए। इतना ही नहीं कुछ किसानों ने तो इसके बाद बैंकों से कर्ज लिया है।