नई दिल्ली: अगर आप नौकरीपेशा हैं और आपको सैलरी में LTA, LTC जैसी सुविधाएं मिलती हैं तो अब इन पर टैक्स बचत का लाभ उठाने के लिए आपको इनमें संबंधित बिल जमा करने अनिवार्य होंगे। साथ ही HRA का लाभ उठाने के लिए आपको मकान मालिक की डिटेल साझा करनी होंगी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इसके लिए एक नया फॉर्म 12BB जारी किया है। यह नियम 1 जून 2016 से लागू होगा। अभी भी तमाम कंपनियां यह डिटेल अपने कर्मचारियों से लेती हैं। लेकिन अब तक यह अनिवार्य नहीं था। अब नियोक्ता और कर्मचारी दोनों ही इसके लिए बाध्य होंगे।
इस नियम की जरूरत क्यों?
करादाता द्वारा टैक्स छूट को क्लेम करने की पूरी प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए यह नियम लाया गया है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अब तक इस तरह के डिक्लेरेशन को फाइल करने के लिए किसी भी तरह के कोई तय मानक नहीं थे।
बजट 2015 के फाइनेंस एक्ट ने इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 192(2d) के अंतर्गत अब हर कर्मचारी के लिए इस तरह की जानकारी देना अनिवार्य तो कर दिया गया था, लेकिन इसके लिए नियम और मानक तय नहीं किए गए थे।
फॉर्म 12BB में क्या खास
फॉर्म 12BB के अनुसार डिडक्शन क्लेम करने के लिए पहले से डिक्लेरेशन फाइल की जाएगी। अब तक कर्मचारी से क्लेम के बदले बिल या प्रमाण लेना नियोक्ता का संवैधानिक दायित्व नहीं था। लेकिन मौजूदा संशोधन के तहत नियोक्ता अपने कर्मचारी को टैक्स बेनेफिट्स देने से पहले तय मानक के अनुसार सारी संबंधित जानकारी इकट्ठा करने के लिए बाध्य होगा।
LTA, LTC और HRA क्लेम करने के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत होगी
सरकार की ओर से जारी किए गए सर्कुलर में किसी विशेष दस्तावेज का जिक्र नहीं है, लेकिन डिडक्शन क्लेम करने से पहले कर्मचारी के पास जरूरी दस्तावेज पूरे होने चाहिए।
कौन से दस्तावेज जरूरी
एचआरए (HRA) के लिए– सरकारी की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेशन के तहत जो कर्मचारी 1 लाख रुपए से ऊपर का HRA क्लेम करेगा उसको अपने मकानमालिक का नाम, पता, पैन और किराए की रसीद देना अनिवार्य है। इसके जरिए सरकार नकली क्लेम पर भी नजर रखी जा सकती है। साथ ही जांच भी की जा सकती है कि जमीनदार ने अपने टैक्स रिटर्न में किराया बताया है या नहीं।
LTA/LTC– लीव ट्रैवल अलाउंस या लीव ट्रैवल कंसैशन क्लेम करने के लिए लोगों को अपने खर्चे का प्रमाण, बोर्डिंग पास और टिकट अनिवार्य है।
होम लोन के ब्याज पर छूट पाने के लिए करदाता का पैन, नाम और पता अनिवार्य है।
इस नए नियम से क्या प्रभाव पड़ेगा?
नए नियम और फॉर्म से नियोक्ता और करदाता दोनों के लिए ही प्रक्रिया आसान हो जाएगी। साथ ही सरकार के लिए भी इस नई व्यवस्था से करदाताओं का डेटा एकत्र करने और उसके रख रखाव में आसानी होगी। साथ ही यह एसेसमेंट के तरीके को सुगम बनाकर गलत तरह से हो रहे क्लेम पर रोक लगाने में मददगार होगा।
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