नई दिल्ली। भारत में जितनी तेजी से नई कारें लॉन्च हो रही हैं, उतनी ही तेजी से यूज्ड कारों का बाजार भी बढ़ रहा है। आज लोगों के पास बाजार में विकल्पों और एक्सचेंज ऑफर्स की कमी नहीं है। यही कारण है कि लोग 2 से 3 साल के भीतर पुरानी कार बेचकर या एक्सचेंज कर नई कार ले लेते हैं। इस बदलती आदत के चलते कार के शौकीनों को भी ठीक-ठाक हालत में एक से तीन साल पुरानी कारें खरीदने का मौका मिल जाता है। लेकिन पुरानी कार खरीदने से पहले आपको अधिक जानकार और सावधान रहना भी जरूरी है। इंडिया टीवी पैसा की टीम आज अपने रीडर्स को पुरानी कारों से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रही है, जो न सिर्फ आपको यूज्ड कार लेने में मदद करेगी बल्कि आपको बेहतर डील दिलवाने में मदद करेगी।
पुरानी कार पर कितना मिल सकता है लोन
नई कारों के मुकाबले पुरानी कारों के लिए बैंकों के लोन देने के नियम कुछ सख्त होते हैं। सामान्यतया बैंक नई कार के मुकाबले 2 से 5 फीसदी ज्यादा ब्याज पर पुरानी कार के लिए लोन देते हैं। वहीं कार पर कितना लोन दिया जाएगा, इस बात का फैसला बैंक फिजिकल वैरिफिकेशन के बाद करते हैं। आम तौर पर बैंक पुरानी कार पर 80 फीसदी तक फाइनेंस कर देते हैं।
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कितने समय के लिए मिलता है लोन
बैंक आपको कितने समय के लिए लोन देगा। यह बात भी आपकी कार की कंडीशन पर निर्भर करती है। सामान्य स्थिति में बैंक 5 साल से ज्यादा पुरानी कारों को फाइनेंस नहीं करते। लेकिन यदि आपकी कार 3 से 4 साल पुरानी है तो बैंक1 साल से लेकर 5 साल तक के लिए कार लोन दे देते हैं।
लोन के लिए बैंकों ये शर्तें करनी पड़ेंगी पूरी
बैंक पुरानी कारों पर उसी स्थिति में लोन देते हैं जब वाहन और ग्राहक दोनों ही उसकी शर्तों पर पूरी तरह से खरा उतरे। बैंक की पहली शर्त स्वामित्व को लेकर होती है। वाहन का स्वामित्व स्पष्ट होना चाहिए। वाहन की उम्र और दशा भी नियमों के अनुरूप होनी चाहिए। अगर गाड़ी पहले ही कर्ज लेकर खरीदी गई है तो पिछले वाहन ऋणदाता की एनओसी भी जरूरी है। इसके अलावा ग्राहक को केवाईसी नियमों पर भी खरा उतरना चाहिए।
पुरानी कार लेते वक्त इन दस्तावेजों की करें पड़ताल
पुरानी कार आपको नई कार के मुकाबले काफी कम कीमत में तो मिल जाती है। लेकिन इसके लिए आपको स्वामित्व, कार की उम्र, रजिस्ट्रेशन का साल, हाइपोथिकेशन, टैक्स, इंश्योरेंस जैसी कई बातों को समझना भी बहुत जरूरी होता है। इसके अलावा जब आप बैंक से लोन ले रहे हैं तो यह जांच लें कि बैंक आपको फिक्स रेट पर लोन दे रहे हैं या फिर फ्लोटिंग रेट पर। यह भी पता कर लें कि आपको कितना डाउन पेमेंट करना होगा और प्रीपेमेंट की शर्तें क्या हैं।
गाड़ी में इन बातों की करें जांच
गाड़ी आपको चलानी है ऐसे में वाहन लेने से पहले उसकी पूरी पड़ताल कर लें। जैसे कि गाड़ी का मॉडल कौन सा है। कंपनी ने यदि उसका उत्पादन तो बंद नहीं कर दिया या करने वाली तो नहीं है। इससे उसकी रीसेल वैल्यू घट जाती है। कार की मेंटिनेंस कितनी महंगी है। कार कितने किलोमीटर चली है। कार में यदि दोबारा पेंट किया है तो संभावना एक्सीडेंट की भी होती है। किसी योग्य मैकेनिक से जांच करवाएं। गाड़ी में यदि ज्यादा जंग लगी है तो इसे भी जांच लें। कार के टायर भी जांचें। पुराने होने पर आपको साल भर के भीतर इन्हें बदलवाना भी पड़ सकता है।