नई दिल्ली। हम सभी अपने कल को बेहतर बनाने के लिए Investmentऔर बचत करते हैं। लेकिन जीवन की भागदौड़ में बहुत से निवेश पीछे छूट जाते हैं। हम अक्सर नौकरी बदलने के साथ नया सैलरी अकाउंट खुलवा लेते हैं, और पुराना बैंक खाता और उसमें पड़ी राशि भूल जाते हैं। इसके अलावा कई बार हम टैक्स बचाने की जल्दी या दोस्त और रिश्तेदार के टार्गेट पूरे करवाने के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी ले कर छोड़ देते हैं। हमें यह निवेश इक्का-दुक्का लगे। लेकिन कुल मिलाकर यह राशि काफी बड़ी हो जाती है। इंडिया टीवी पैसा की पर्सनल फाइनेंस टीम आज आपको इन्हीं निवेश और बचत योजनाओं में अनक्लेम्ड पड़ी राशि को वापस पाने का तरीका बताने जा रहा है। जिससे आप भी उस राशि पर अधिकार जमा सकें तो कागजों में तो आपकी है, पर आपकी पहुंच से बाहर है।
एलआईसी के पास 4426 करोड़ की अनक्लेम्ड राशि
आंकड़ों में समझें तो देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी के पास 31 दिसंबर 2015 तक आउटस्टैंडिंग अनक्लेम्ड राशि 4,426.72 करोड़ रुपए है। वहीं दूसरे निवेश विकल्पों की बात करें तो शेयर्स, इंश्योरेंस पॉलिसी, स्मॉल सेविंग स्कीम, इनऑपरेटिव बैंक व डिमेट एकाउंट में 37,300 करोड़ रुपए की राशि आज तक किसी ने क्लेम नहीं की है। इसके अलावा प्रोविडेंट फंड की बात करें तो 26,497 करोड़ रुपए अनक्मेंड पड़ा है।
अनक्लेम्ड बैंक डिपॉजिट्स
RBI के बैंकिंग नियमों के अनुसार जो बैंक अकाउंट 10 वर्ष या उससे ज्यादा समय तक इनएक्टिव या फिर इनऑपरेटिव रहें हैं उन्हें अनक्लेम्ड माना जाता है। नियम के अनुसार ऐसे अकाउंट में पड़ी राशि डिपाजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेय फंड स्कीम में ट्रांस्फर कर दिया जाता है। ये अनक्लेम्ड पैसा फिक्स्ड डिपॉजिट की मैच्योरिटी राशि या फिर इनऑपरेटिव सेविंग्स या करंट एकाउंट में पड़ा पैसा हो सकता है। आरबीआई के नियमनुसार बैंकों के लिए अपनी वेबसाइट्स पर अमक्लेम्ड डिपॉजिट या फिर इनऑपरेटिव्स की लिस्ट को दर्शाना अनिवार्य है।
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ऐसे पाएं अनक्लेम्ड राशि
कुछ बैंक ऐसे अनक्लेम्ड डिपॉजिट और एकाउंट्स के बारे में अपनी वेबसाइट पर पूरी जानकारी देते हैं। ऐसे बैंकों में ढूढने के लिए केवल व्यक्ति या कंपनी का नाम, जन्म तिथि आदि की जरूरत होती है। लेकिन, आपको बता दें कि इन सब में एकाउंट नंबर और बैंक ब्रांच डीटेल्स नहीं बताई जाती। अगर एकाउंट होल्डर का नाम और डेटा लिस्ट से मैच हो जाता है तो कुछ बैंक आपसे आपका नाम और कॉन्टेक्ट डिटेल्स की मांग करेंगे और आपको कॉल करेंगे। अगर वेबसाइट पर दिए गए डेटा से नाम मैच नहीं करता तो संबंधित शाखाओं पर अपने डॉक्यूमेंट्स का प्रमाण लेकर जाएं।
शेयर्स में अटक गया है पैसा
अक्सर हम अपना डीमैट अकाउंट खोलकर शेयर ट्रेडिंग तो शुरू करते हैं। लेकिन नुकसान होने पर खाता यूं ही पड़ा छोड़ देते हैं। ये शेयर आपके खाते में पड़े रह जाते हैं। इसके अलावा कई बार कस्टमर्स शेयर तकनीकी कारणों से बेच नहीं पाते और अकाउंट बिना क्लोज करे ऑपरेशन बंद कर देते हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने शेयर्स को क्लेम नहीं करता और वे सात वर्षों तक ट्रीट न किए हों तो यह सेबी के इंवेस्टर्स एजुकेशन और प्रोटेक्शन फंड में ट्रांस्फर कर दिए जाते हैं। यदि निश्चित समय सीमा के 3 साल के भीतर राशि क्लेम की जाती है तो आपको कुछ पैनाल्टी देकर शेयर वापस किए जाते हैं। ज्यादा समय होने पर इन्हें एजुकेशन और प्रोटेक्शन फंड में डाल दिया जाता है।
अनक्लेम्ड इंश्योरेंस पॉलिसी
इंश्योरेंस का उपयोग अक्सर व्यक्ति के न रहने पर किया जाता है। लेकिन अक्सर लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं होती कि संबंधित व्यक्ति ने कहां कहां इंश्योरेंस करवाया है। इंश्योरेंस के नियमों के मुताबिक जिस राशि का भुगतान डेथ क्लेम, मैच्योरिटी क्लेम, सर्वाइवल बेनिफिट, रिफंड के लिए प्रीमियम ड्यू, प्रीमियम के एवज में प्रीमियम डिपॉजिट को एडजस्ट न करने और 6 महीने से ज्यादा समय के लिए अनक्लेम पड़े हों तो उन्हें अनक्लेम इंश्योरेंस अमाउट कहा जाता है। इरडा के मुताबिक अनक्लेम्ड अमाउंट इंवेस्टमेंट नियमों के अनुसार ही गवर्न किए जाते हैं। यदि आपका पैसा इंश्योरेंस कंपनी के पास अनक्लेम्ड अटक गया है तो कंपनियां अपनी वेबसाइट पर इसकी जानकारी उपलब्ध कराती हैं। मान लीजिए आपका अनक्लेम्ड इंश्योरेंस अमाउंट एलआईसी के पास है। तो इसके लिए आपको एलआईसी की साइट पर सर्च पॉलिसी सेक्शन में जाकर पॉलिसी नंबर, पैन नंबर, नाम और जन्म तिथि डालनी होगी। पैसा वापस पाने के लिए एक कैंसल चैक जमा करना होगा।
म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड के अनक्लेम्ड अमाउंट के लिए भी नियम तय किए गए हैं। यदि कोई निवेशक तीन साल के भीतर अपना अमाउंट क्लेम करता है तो उसे मौजूदा एनएवी के मुताबिक अमाउंट का भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा म्युचुअल फंड कंपनी 0.5 फीसदी तक का मैनेजमेंट चार्ज भी लगा सकती है। पिछले महीने सेबी द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि तीन साल के बाद क्लेम करने पर निवेशक को सिर्फ निवेश राशि ही वापस मिलेगी। शेष बेनिफिट इंवेस्टर्स एजुकेशन फंड में ट्रांसफर हो जाएंगे।
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