नई दिल्ली: आप के घर में इस्तेमाल होने वाले सिलेंडर की एक्सपायरी डेट क्या है? आप की रसोई में लगे गैस सिलेंडर से हादसा हो जाने पर आपको कितना बीमा मिलता है? ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब सिलेंडर इस्तेमाल करने वाले शायद 1 फीसद उपभोक्ता भी नहीं जानते होंगे। जागरुकता कम होने के कारण ज्यादातर लोग सिलेंडर बिना एक्सपायरी डेट देखे ही खरीद लेते हैं। लेकिन इससे बड़े जानलेवा हादसे होने की आशंका होती है। ध्यान रखें एक्सपायरी डेट देखे बिना सिलेंडर न खरीदें। साथ ही हादसा होने पर उपभोक्ता को कंपनी की ओर से 50 लाख रुपए तक का बीमा मिलता है। बीमे के लिए चुकाया जाने वाला प्रीमियम आपकी ओर से भुगतान की जाने वाली राशि में सम्मिलित होता है। लेकिन जानकारी के अभाव में उपभोक्ता इसका लाभ नहीं उठा पाते।
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एक्सपायरी डेट जानने का तरीका – सिलेंडर की पट्टी पर ए, बी, सी, डी और 12, 13, 15 लेटर और नंबर की सहायता से एक कोड लिखा होता है। गैस कंपनियां साल के कुल 12 महीनों को चार हिस्सों में बांटकर सिलेंडरों का ग्रुप बनाती हैं। मसलन, ‘ए’ ग्रुप में जनवरी, फरवरी, मार्च और ‘बी’ ग्रुप में अप्रैल मई जून होते हैं। ऐसे ही ‘सी’ ग्रुप में जुलाई, अगस्त, सितंबर और ‘डी’ ग्रुप में अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर होते हैं।
सिलेंडरों पर लिखा कोड इन लेटर की सहायता से एक्सपायरी या टेस्टिंग का महीना दर्शाता है। साथ ही आगे लिखा नंबर एक्सपायरी ईयर का होता है।यानि कि अगर आपके सिलेंडर पर ‘A-16’ लिखा है तो इसका मतलब है कि एक्सपायरी डेट मार्च, 2016 है। ऐसे ही, ‘सी-16’ का मतलब सितंबर, 2016 के बाद सिलेंडर का इस्तेमाल खतरनाक है।
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एक्सपायरी डेट में हेर फेर की भी आशंका- एक अनुमान के मुताबिक तकरीबन पांच फीसदी सिलेंडर एक्सपायर्ड या एक्सपायरी डेट के करीब होते हैं। लोगों के बीच जागरुकता कम होने की वजह से ये बार बार रोटेट होते रहते हैं। सामान्यत: एक्सपायरी डेट औसतन छह से आठ महीने एडवांस रखी जाती है। चूंकि एक्सपायरी डेट पेंट द्वारा प्रिंट की जाती है, इसलिए इसमें हेर-फेर की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। कई बार जर्जर हालत में जंग लगे सिलेंडर पर भी एक्सपायरी डेट डेढ़-दो साल आगे की होती है। जिसपर एजेंसी वाले तर्क देते हैं कि यहां से वहां लाते ले जाते वक्त उठा-पटक से कुछ सिलेंडर पुराने दिखते हैं।
एक्सपायर सिलेंडर मिलने पर लें एक्शन- एक्सपायर्ड सिलेंडर मिलने पर उपभोक्ता एजेंसी को सूचना देकर सिलेंडर रिप्लेस करा सकता है। एजेंसी के रिप्लेसमेंट से मना करने पर वह खाद्य या प्रशासनिक अधिकारी से शिकायत कर सकता है। इसे सेवा में भी कमी दिखने पर उपभोक्ता फोरम में मामला दायर किया जा सकता है।
50 लाख तक का होता है बीमा- हाल ही में आरटीआई से खुलासा हुआ है कि गैस कनेक्शन लेते ही उपभोक्ता का 10 से 25 लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा हो जाता है। इसके तहत गैस सिलेंडर से हादसा होने पर पीड़ित बीमा का क्लेम कर सकता है। साथ ही, सामूहिक दुर्घटना होने पर 50 लाख रुपए तक देने का प्रावधान है। इसके लिए दुर्घटना होने के 24 घंटे के भीतर संबंधित एजेंसी व लोकल थाने को सूचना देनी होगी और दुर्घटना में मृत्यु होने पर जरूरी प्रमाण पत्र उपलब्ध कराना होगा। एजेंसी अपने क्षेत्रीय कार्यालय और फिर क्षेत्रीय कार्यालय बीमा कंपनी को मामला सौंप देता है।
लेकिन बीमा तभी मिलेगा जब पूरी होंगी ये शर्तें- आपके घर में इस्तेमाल होने वाला गैस कनेक्शन वैध होना चाहिए। साथ ही ISI मार्क वाले गैस चूल्हे का ही उपयोग हो। गैस कनेक्शन में एजेंसी से मिली पाइप-रेग्युलेटर ही इस्तेमाल हो। गैस इस्तेमाल की जगह पर बिजली का खुला तार न हो। चूल्हे का स्थान, सिलेंडर रखने के स्थान से ऊंचा हो।