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कैसे Tax बिगाड़ देता है होटल और रेस्‍टोरेंट में खाने का स्‍वाद, समझिए बिल का पूरा गणित

In any Hotel or restaurant bill you do not paid for dishes only. there are many tax in these bill which you have to pay with your delicious meal.

Dharmender Chaudhary
Updated : August 03, 2016 8:29 IST
नई दिल्ली। इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहे कार्तिक ने अपने बर्थडे पर दोस्‍तों का पार्टी देने का मन बनाया। चूंकि कार्तिक के पास सीमित पैसे थे, इसलिए उसने मेन्‍यू में से अपने बजट के अनुसार चुनकर डिश ऑर्डर कीं। लेकिन पार्टी के अंत में जब कार्तिक को बिल मिला तो वह मेन्‍यू में दिए रेट से कहीं ज्‍यादा था। कार्तिक ने यहां Tax की कैल्‍कुलेशन ही नहीं की। बिल देखकर जो झटका कार्तिक को लगा, वहीं झटका आप जैसे बहुत से रीडर्स को भी कभी न कभी लगा होगा। क्‍योंकि यहां हम एक पिज्‍जा-बर्गर या थाली के बिल पर कई तरह के टैक्‍स का भुगतान करते हैं। हालांकि माना जा रहा है जीएसटी लागू होने के बाद आपके होटल बिल में कमी आ सकती है। लेकिन इससे पहले इंडिया टीवी पैसा की टीम जीएसटी लागू होने के असमंजस के बीच आपके होटल बिल को स्‍कैन कर बताने जा रही है कि एक डिनर या लंच पर आप कितना और कौनसा Tax अदा करते हैं।

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एक रेस्‍टॉरेंट में खाना खाने पर ग्राहक को कौन-कौन से Tax देने पड़ते हैं?

खाने और शराब पर एक ग्राहक सरकार को वैल्‍यू एडेड टैक्‍स (वैट) का भुगतान करता है। साथ ही वह रेस्‍टोरेंट की सेवा के बदले सर्विस टैक्‍स और सर्विस चार्ज भी चुकाता है।

वैट, सर्विस चार्ज और सर्विस टैक्‍स में क्‍या है अंतर?

वैट एक सेल्‍स टैक्‍स है, जिसे संबंधित राज्‍य सरकार लगाती है और यह सरकार के पास जमा होता है। चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा में खाने पर वैट की दर 12.5 फीसदी है। शराब पर वैट की दर अलग होती है। वैट खाने, शराब और सर्विस चार्ज मिलकार बनने वाले कुल बिल राशि पर वसूला जाता है।

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कैसे हुई शुरुआत

सुप्रीम कोर्ट द्वारा होटल और रेस्‍टॉरेंट में परोसे जाने वाले फूड और ड्रिंक्‍स पर सेल्‍स टैक्‍स को खत्‍म करने के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने मार्च 1981 में संविधान के 46वें संशोधन में धारा 29ए जोड़ दी। इसका उद्देश्‍य वह टैक्‍स हासिल करना था, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की वजह से राज्‍य सरकारों के हाथ से निकल गया था। इसकी मदद से सरकार को उत्‍पादों की खरीद और आपूर्ति पर फि‍र से टैक्‍स वसूली का अधिकार मिल गया।

क्या होता है सर्विस Tax

यह टैक्‍स केंद्र सरकार लगाती है। इसकी दर 15 फीसदी है। यह कुल एमाउंट के 40 फीसदी हिस्‍से पर लगाया जाता है। इसलिए सर्विस टैक्‍स की प्रभावी दर (40 फीसदी हिस्‍से पर 15 फीसदी) कुल एमाउंट पर 5.6 फीसदी होगी। फूड बिल और सर्विस चार्ज को मिलाकर कुल एमाउंट पर सर्विस टैक्‍स लगता है।

कैसे हुई इसकी शुरुआत

2011 में सर्विस टैक्‍स की शुरुआत हुई। यह टैक्‍स शराब के लाइसेंस वाले एयरकंडीशन्‍ड रेस्‍टॉरेंट पर लगता था। हालांकि 2013 में इसके दायरे को बढ़ाया गया और सभी एयर-कंडीशन्‍ड रेस्‍टॉरेंट, जिनके पास शराब लाइसेंस नहीं हैं को भी इसमें शामिल कर लिया गया।

क्‍या है सर्विस चार्ज

रेस्‍टॉरेंट या होटल अपने कर्मचारियों को प्रोत्‍साहन राशि देने के लिए सर्विस चार्ज ग्राहकों से वसूलते हैं। हालांकि इसका कोई कानूनी आधार नहीं है लेकिन सरकार ने कभी भी इसे नकारा नहीं है। सर्विस चार्ज वसूलने पर रेस्‍टॉरेंट या होटल सरकार को टैक्‍स देते हैं। सर्विस चार्ज की दर क्‍या हो यह पूरी तरह से रेस्‍टॉरेंट या होटल पर निर्भर होती है, आमतौर पर सर्विस चार्ज की दर 5 से 10 फीसदी होती है। सबसे अहम बात यह है कि सभी रेस्‍टॉरेंट और होटल्‍स को अपने मैन्‍यु कार्ड और प्रमुख स्‍थानों पर सर्विस चार्ज की दर का उल्‍लेख करना चाहिए, जो वह नहीं करते हैं।

विवाद

अक्‍टूबर 2014 में चंडीगढ़ प्रशासन के एक्‍साइज और टैक्‍सेशन कमिश्‍नर ने एक आदेश जारी कर सर्विस चार्ज को प्रतिबंधित कर दिया। उनका कहना था कि इसका कोई वैधानिक आधार नहीं है। जब इस आदेश को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, तो चंडीगढ़ एक्‍साइज और टैक्‍सेशन डिपार्टमेंट ने यह आदेश निरस्‍त कर नया आदेश जारी किया। फरवरी 2015 में नया आदेश जारी कर रेस्‍टॉरेंट मालिकों से पूछा गया कि उन्‍होंने ग्राहकों से वसूली गई सर्विस चार्ज की राशि को अपने ग्रॉस टर्नओवर में क्‍यों नहीं शामिल की, इस पर पंजाब वैट कानून के तहत टैक्‍स और जुर्माना लगाने की बात कही गई। उसी समय हाईकोर्ट ने इस याचिका को रद्द करते हुए कहा कि यह एक निष्‍फल विवाद है लेकिन उसने यह स्‍पष्‍टीकरण दिया कि प्रशासन, यदि वैधानिक अनुमति है, रेस्‍टॉरेंट द्वारा वसूली जाने वाले सर्विस चार्ज का परीक्षण कर सकता है।

जीएसटी से क्‍या होगा बदलाव

जीएसटी लागू होने के बाद एक्‍साइज ड्यूटी के साथ ही सर्विस और वैल्‍यू एडेड Tax की व्‍यवस्‍था खत्‍म हो जाएगी। फिलहाल माना जा रहा है कि सरकार जीएसटी की दर 18 फीसदी के आसपास तय कर सकती है। मौजूदा समय में देखा जाए तो हम 15 फीसदी सर्विस Tax के अलावा राज्‍य सरकार को वैट का भी भुगतान करते हैं। जीएसटी लागू होने के बाद 18 फीसदी जीएसटी के भीतर ये दोनों समाहित हो जाएंगे। ऐेसे में आपका होटल बिल भी कम हो सकता है।

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