नई दिल्ली। वर्ष 2016 घर खरीदारों के लिए सबसे अच्छा होने वाला है। यह साल टैक्स बेनेफिट्स, सस्ते होम लोन, प्रॉपर्टी की स्थिर कीमतें, अफोर्डेबल सेगमेंट में नए लॉन्च और आकर्षक पेमेंट स्कीम आदि को देखते हुए खरीदारों के लिए घर खरीदने का बेहतरीन मौका है। ऐसे में घर ढ़ूढ़ते के साथ ही आप होम लोन पर मिलने वाले तमाम फायदों के बारे में भी जानकारी हासिल कर लें। इंडिया टीवी पैसा की टीम आपको होम लोन के साथ मिलने वाले वो तमाम बेनेफिट्स बताने जा रही है, जिससे आपका घर खरीदना और भी किफायती हो सकता है।
EMI देने से चूक गए फिर भी इंटरेस्ट पर क्लेम कर सकते हैं टैक्स बेनेफिट-
प्रॉपर्टी टैक्स या होम लोन के प्रिंसीपल रिपेमेंट पर डिडक्शन पेड आधार पर उपलब्ध है, इंटरेस्ट पर डिडक्शन एक्यूरल आधार पर मिलता है। इसका मतलब यह है कि, यदि आप एक वित्त वर्ष में अपनी ईएमआई भरने से चूक भी गए हैं तो भी आप पूरे साल के लिए ईएमआई के ब्याज वाले हिस्से पर टैक्स कटौती का लाभ हासिल करने के लिए दावा कर सकते हैं। धारा 24 में होम लोन के इंटरेस्ट पेमेंट के लिए पेड और पेयबल शब्द का इस्तेमाल किया गया है। इसलिए, इसे टैक्स लाभ के लिए तब तक क्लेम किया जा सकता है, जबकि तक यहां इंटरेस्ट लायबिलिटी बनी रहती है। इसके लिए आपको दस्तावेजों को संभालकर रखना होगा और टैक्स अधिकारियों द्वारा पूछे जाने पर उन्हें दिखना होगा। धारा 80सी के तहत प्रिंसीपल रिपेमेंट पर डिडक्शन केवल एक्चुअल रिपेमेंट पर ही मिलता है।
प्रोसेसिंग फीस टैक्स कटौती के दायरे में आती है-
अधिकांश टैक्सदाताओं को इस बात का पता नहीं होता कि उनके लोन से जुड़े सभी शुल्क टैक्स कटौती के योग्य होते हैं। नियम के मुताबिक, यह शुल्क को ब्याज माना जाता है और इसलिए इन पर भी कर कटौती का लाभ लिया जा सकता है। इनकम टैक्स एक्ट की धारा 2 (28ए) इंटरेस्ट को परिभाषित करते हुए कहती है कि उधार लिए गए किसी भी धन पर किसी भी तरह का भुगतान इंटरेस्ट माना जाएगा। इसमें लोन राशि से जुड़ी किसी भी तरह की सर्विस फीस या अन्य शुल्क शामिल हैं। ट्रिब्यूनल के आदेश के मुताबिक बैंक द्वारा लोन देने के लिए वसूली जाने वाली प्रोसेसिंग फीस भी सर्विस से संबंधित है और यह सर्विस फीस के अंतर्गत आती है। इसलिए धारा 24 के तहत हाउस प्रॉपर्टी से हुई आय पर यह टैक्स कटौती के योग्य है। अन्य शुल्क भी इसके अंतर्गत आते हैं लेकिन पीनल चार्जेस इसमें शामिल नहीं होते।
अगर आप 5 साल से पहले प्रॉपर्टी बेच देते हैं तो प्रिंसिपल रिपेमेंट टैक्स बेनेफिट रिवर्स कर दिया जाता है-
होम लोन लेने की तारीख या फिर घर खरीदने की तारीख से अगर 5 साल पूर्व होने से पहले घर बेच देते हैं तो आपके टैक्स प्वाइंट निगेटिव जोन में आ जाते हैं। क्लीयरटैक्स डॉट इन के सीईओ अर्चित गुप्ता के मुताबिक नियम अनुसार सेक्शन 80 सी के तहत क्लेम की गई कटौती रिवर्स हो जाती है और आपकी सालाना (जिस वर्ष प्रॉपर्टी बेच रहे हैं) कर योग्य आय में जुड़ जाती है। ऐसे में उस वक्त के मौजूदा रेट्स के हिसाब से टैक्स लगाएं जाएंगे।
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रिश्तेदारों और दोस्तों से लिया गया लोन टैक्स कटौती के योग्य होता है-
किसी प्रॉपर्टी को खरीदने या उसके निर्माण के लिए किसी से लिए गए लोन पर सेक्शन 24 के तहत भुगतान किए जाने वाले ब्याज पर आप टैक्स कटौती का लाभ ले सकते हैं। आप अपनी प्रॉपर्टी के पुर्ननिर्माण या मरम्मत के लिए किसी व्यक्ति से लिए गए लोन पर भी टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं। यह लोन किसी बैंक से लिया हुआ नहीं होना चाहिए। गुप्ता के मुताबिक टैक्स संबंध का महत्व नहीं होता, उसके इस्तेमाल का होता है। टैक्सपेयर को संबंधित अफसर को यह स्पष्ट करना होता है कि लोन की राशि कैसै इस्तेमाल की गई है या फिर हाउस प्रॉपर्टी और उसका निर्माण पांच साल में पूरा हो गया है। यह ध्यान रहे कि एक कर्जदार को हमेशा अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना चाहिए, जिसमें इंटरेस्ट इनकम और टैक्स भुगतान का विवरण हो। ब्याज दर उचित और भुगतान किए गए ब्याज का कानूनी प्रमाणपत्र उधार देने वाले के नाम, पता और पैन नंबर के साथ होना चाहिए। यह नियम सिर्फ इंटरेस्ट रिपेमेंट पर ही लागू होता है। यदि आपने एक शेड्यूल्ड बैंक या नियोक्ता से लोन नहीं लिया है तो आपको प्रिंसीपल रिपेमेंट पर मिलने वाला टैक्स बेनेफिट नहीं मिलेगा। धारा 80ईई के तहत आपको 50,000 रुपए का अतिरक्ति बेनेफिट भी नहीं मिलेगा।
अगर आप केवल सह-कर्जदार हैं तो उस स्थिति में भी टैक्स कटौती का लाभ मिलना मुश्किल-
अगर आप ईएमआई भरने वाले में से एक हैं तो होम लोन पर टैक्स डिडक्शन क्लेम नहीं कर सकते। इसको इस तरह समझिए, यदि आपके माता-पिता ने एक प्रॉपर्टी खरीदी है और आप उसके लिए ईएमआई भर रहे हैं तो ऐसे में आप टैक्स कटौती का लाभ तब तक नहीं ले सकते, जबतककि आप भी उस प्रॉपर्टी के सह-मालिक न हों। आप अपनी पत्नी के साथ प्रॉपर्टी के मालिक हैं पर फिर भी टैक्स लाभ पाने के लिए उस स्थिति में दावा नहीं कर सकते, यदि लोन बुक में आपका नाम सह-कर्जदार के रूप में शामिल नहीं है।
5 साल तक प्री-कंस्ट्रक्शन पीरियड इंटरेस्ट पर भी कर सकते हैं क्लेम-
आप यह जानते हैं कि आप होम लोन बेनेफिट का क्लेम तभी कर सकते हैं जब कंस्ट्रक्शन पूरा हो गया हो और आपको पजेशन मिल गया हो। तो कंस्ट्रक्शन के दौरान किए गए ईएमआई भुगतान का क्या? नियम के मुताबिक, आप इस दौरान प्रिंसीपल एमाउंट के रिपेमेंट पर नहीं लेकिन इंटरेस्ट पेमेंट पर टैक्स डिडक्शन के लाभ का दावा कर सकते हैं। कानून आपको प्री-कंस्ट्रक्शन पीरिएड के दौरान भुगतान किए गए इंटरेस्ट पर डिडक्शन का लाभ देता है। इस तरह के इंटरेस्ट भुगतान पर यह लाभ बराबर रूप से पजेशन मिलने वाले साल से पांच साल तक के लिए मिलता है।
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