नई दिल्ली। शुक्रवार को लॉन्च की गई नेशनल ऑटोमोबाइल स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत मिलने वाले प्रोत्साहन व लाभ हासिल करने के लिए उपभोक्ताओं को अभी दो से तीन साल तक और इंतजार करना होगा। क्योंकि इस पॉलिसी को पहले केवल सरकारी-वाहनों के लिए लागू किया जाएगा। पर्सनल व्हीकल्स को स्कीम में शामिल करने से पहले सरकार को नए स्क्रैपेज यार्ड और टेस्टिंग सुविधा का निर्माण करना होगा।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव गिरिधर अरमाने ने कहा कि हमने अभी केंद्र और राज्य सरकारों के पास मौजूद 15 साल और इससे अधिक पुराने वाहनों के लिए स्क्रैप पॉलिसी पेश की है, जो अप्रैल 2022 से प्रभावी होगी। उन्होंने आगे कहा कि 2023 से भारी वाणिज्यिक वाहनों को कबाड़ में बदला जाएगा, यदि वे नियमों के तहत फिटनेस स्तर पर सही नहीं पाए जाते हैं। पर्सनल व्हीकल के लिए हम इस योजना को जून 2024 से लागू करने की योजना बना रहे हैं।
इस पॉलिसी पर 2015 से काम चल रहा है और इसका उद्देश्य वाहन मालिकों को अपने पुराने व प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को कबाड़ में देने के लिए प्रोत्साहित करना है। 15 साल से अधिक पुराने वाणिज्यिक वाहन और 20 साल पुराने पर्सनल व्हीकल स्क्रैपिंग के लिए मान्य होंगे।
इतना होगा फायदा
मंत्रालय के कैलकुलेशन के मुताबिक, एक 15 साल पुरानी मारुति सुजुकी स्विफ्ट डिजायर को स्क्रैप करने और इसकी जगह नई कार खरीदने पर 115,000 रुपये तक का फायदा हो सकता है। अरमाने के मुताबिक वर्तमान में पुराने वाहन की कीमत 15,000 रुपये है, जो पॉलिसी आने के बाद बढ़कर 40,000 रुपये तक हो सकती है। एक वाहन की स्क्रैप वैल्यू उसके एक्स-शोरूम प्राइम का 4-6 प्रतिशत तक हो सकती है।
क्या मिलेंगे लाभ
स्कीम के लाभ में यात्री वाहनों के लिए रोड टैक्स में 25 प्रतिशत तक की छूट और वाणिज्यिक वाहनों के लिए 15 प्रतिशत तक की छूट का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा वाहन निर्माता कंपनी द्वारा नया वाहन खरीदने पर 5 प्रतिशत का डिस्काउंट और नए वाहन के रजिस्ट्रेशन शुल्क से पूरी तरह छूट भी दी जाएगी।
1 करोड़ वाहन नहीं हैं फिट
मंत्रालय के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक लगभग एक करोड़ वाहनों के पास फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं हैं। ऐसे वाहनों के अधिकांश मालिकों ने पुन: रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराया है, जो कि अनिवार्य है। इसका मतलब है कि ये वाहन या तो सड़क पर अवैध रूप से चल रहे हैं या कबाड़ की तरह कहीं पड़े हैं। नियमों के मुताबिक 20 साल बाद वाहन को दोबारा रजिस्टर्ड कराना होता है।
स्क्रैपयार्ड और फिटनेस सेंटर
भारत की वाहन स्क्रैपिंग इंडस्ट्री असंगठित है और इस पर रोडसाइड गैराज मालिकों का नियंत्रण है। स्क्रैपिंग प्रक्रिया अधिक श्रम-गहन और बड़े स्तर पर मैनुअली काम पर आधारित है। अरमाने ने कहा कि हम मॉर्डन ऑटोमैटेड स्क्रैपिंग सेंटर के माध्यम से इस प्रक्रिया को आधुनिक बनाना चाहते हैं। इन सेंटर पर स्क्रैपिंग से पहले वाहनों को आरटीओ की मदद से डीरजिस्टर्ड किया जाएगा। व्हीकल फिटनेस टेस्ट शुल्क वाहन के प्रकार पर निर्भर करेगा। पर्सनल व्हीकल के लिए इसका शुल्क 300-00 रुपये होगा, जबकि वाणिज्यिक वाहनों के लिए यह 1000-1500 रुपये तक होगा।
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