नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) अर्थव्यवस्था की वृद्धि को समर्थन देने के लिए ब्याज दरों को जितना संभव होगा नरम और अनुकूल बनाए रखेगा। कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर का बैंक की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) पर पड़ने वाले असर के बारे में बैंक के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा कि यह लॉकडाउन पूरे भारत में नहीं लगा है। ऐसे में हमें बैंकिंग क्षेत्र पर इसके पड़ने वाले असर की कुछ समय प्रतीक्षा करनी होगी उसका आकलन करना होगा। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति सहित कई चीजें हैं जिनका ब्याज दर पर असर होता है।
हमारा प्रयास आर्थिक वृद्धि के प्रयासों को समर्थन देना है। यह सुनिश्चित करने के लिए जितना संभव हो सकेगा हम ब्याज दरों को नरम बनाए रखने का प्रयास करेंगे। खारा ने एक साक्षात्कार में पूछे गए सवाल पर कहा कि स्थानीय प्रतिबंधों के आधार पर बैंकों के एनपीए परिदृश्य को लेकर इस समय किसी भी तरह का आकलन किया जाना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि अलग-अलग राज्यों में लॉकडाउन की स्थिति अलग है, ऐसे में हमें अर्थव्यवस्था और एनपीए की स्थिति को लेकर कोई भी टिप्पणी करने से पहले कुछ और समय तक देखना और प्रतीक्षा करनी चाहिए।
कोरोना वायरस महामारी की मौजूदा परिस्थितियों के बीच बैंक द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में खारा ने कहा कि बैंक ने देश के कुछ अधिक प्रभावित राज्यों में कोविड-19 मरीजों के लिए गहन चिकित्सा सुविधा (आईसीयू) वाले अस्थाई अस्पताल बनाने का फैसला किया है। बैंक ने इस काम के लिए 30 करोड़ रुपये की राशि रखी है और वह आपात स्तर पर चिकित्सा सुविधाएं स्थापित करने को लेकर कुछ गैर-सरकारी संस्थानों (एनजीओ) और अस्पताल प्रबंधन के साथ संपर्क में है।
उन्होंने कहा कि बैंक सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए एक हजार बिस्तरों की व्यवस्था करना चाहता है। इनमें 50 बिस्तर आईसीयू सुविधा के साथ होंगे। खारा ने कहा कि स्टेट बैंक ऑक्सीजन सिलेंडर तथा दूसरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए भी अस्पतालों और एनजीओ के साथ गठबंधन कर रहा है। हमने एक कार्ययोजना तैयार की है। हमने 70 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है जिसमें कोविड-19 से जुड़ी पहलों के लिए 17 सर्किलों में 21 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बैंक के कर्मचारियों और उनके परिवारों की सुरक्षा के लिए बैंक ने देशभर में कुछ अस्पतालों के साथ समझौता किया है ताकि बीमार पड़ने वाले बैंक के कर्मचारियों को प्राथमिकता के आधार पर इलाज की सुविधा मिल सके। बैंक ने अपने कर्मचारियों और उनके आश्रितों के टीकाकरण का खर्च भी खुद उठाने का फैसला किया है। बैंक के कुल ढाई लाख कर्मचारियों में से अब तक 70 हजार कर्मचारियों का टीकाकरण हो चुका है।
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