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BJP की जीत से डॉलर का भाव 64 रुपए के नीचे आया, नए साल पर विदेश घूमना हुआ सस्ता

विदेशों में पढ़ाई करने और नए साल की छुट्टियों को विदेश में बिताने के लिए भी पहले के मुकाबले कम कीमत चुकानी पड़ेगी।

Reported by: Manoj Kumar @kumarman145
Updated on: December 19, 2017 15:08 IST
Rupee gains- India TV Paisa
Rupee gains to 3 month high against Dollar

नई दिल्ली। गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की जीत से भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की खरीदारी बढ़ी है जिस वजह से भारतीय करेंसी रुपए में उछाल देखने को मिला है। डॉलर के मुकाबले रुपया 3 महीने के ऊपरी स्तर तक पहुंच गया है। मंगलवार को डॉलर का भाव घटकर 63.93 रुपए रह गया जो करीब 3 महीने में सबसे कम भाव है, सितंबर के बाद डॉलर का भाव इस स्तर से नीचे नहीं आया था, आज डॉलर में करीब 30 पैसे की गिरावट है।

मजबूत रुपए का फायदा

रुपए में तेजी और डॉलर में आई इस गिरावट से फायदे होने के साथ नुकसान भी हैं। फायदों की बात करें तो आयातित सामान सस्ता हो जाएगा, विदेशों से कोई भी सामान आयात करने पर डॉलर में उसकी पेमेंट चुकानी पड़ती है, अब रुपए के मुकाबले डॉलर का भाव कुछ कम हुआ है ऐसे में आयातित सामान की पेमेंट चुकाने के लिए कम रुपए खर्च करके ज्यादा डॉलर लिए जा सकते हैं। भारत में सबसे ज्यादा पेट्रोल उत्पाद, इलेक्ट्रोनिक्स का सामान, सोना, इलेक्ट्रिकल मशीनें, ट्रांसपोर्ट का सामान, महंगे रत्न, कैमिकल, कोयला और खाने के तेलों का आयात होता है, ऐसे में रुपये की तेजी की वजह से इस तरह की तमाव वस्तुओं के आयात पर पहले के मुकाबले कम खर्च आएगा।

विदेश घूमना हुआ सस्ता

रुपए अगर लंबे समय तक मजबूत रहता है तो इस तरह की वस्तुओं की कीमत कम होने की उम्मीद बढ़ जाएगी। इसके अलावा विदेशों में पढ़ाई करने और नए साल की छुट्टियों को विदेश में बिताने के लिए भी पहले के मुकाबले कम कीमत चुकानी पड़ेगी। विदेश घूमने के लिए अगर कोई अभी टिकट बुक करा लेता है तो उसे पहले के मुकाबले कम रुपए देने होंगे। 

रुपए की मजबूती से घाटा

दूसरी तरफ अगर रुपए की मजबूती और डॉलर की कमजोरी से होने वाले घाटे की बात करें तो निर्यात आधारित उद्योग और सेवाओं पर मार पड़ेगी। भारत से जो सामान या सेवा निर्यात होती है उसकी पेमेंट भी डॉलर में ही आती है, डॉलर अब क्योंकि सस्ता हो गया है, ऐसे में पहले के मुकाबले डॉलर को रुपए में बदलने पर अब कम रुपए मिलेंगे। भारत से ज्यादतर इंजिनीयरिंग गुड्स, पेट्रोलियम उत्पाद, जेम्स एंड ज्वैलरी, समुद्री उत्पाद, चावल, टैक्सटाइल और कॉटन तथा चमड़ा और मांस का ज्यादा निर्यात होता है। डॉलर कमजोर होने की वजह से इस तरह के निर्यात पर अब पहले के मुकाबले कम कीमत मिलेगी जिस वजह से इस तरह की वस्तुओं पर आधारित उद्योग को घाटे का सामना करना पड़ सकता है।

इसके अलावा भारत से दवाइयों और आईटी सेवाओं का भी बड़ा निर्यात होता है, डॉलर की कमजोरी की वजह से आईटी और फार्मा उद्योग पर भी मार पड़ सकती है। 

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