नई दिल्ली। त्यहारी सजीन में चारो ओर खरीदारी की धूम है ऐसे में कुछ लोग इस मौके फायदा नकली नोटों को चलाने के लिए उठा रहे हैं। बाजार में इस समय नकली नोटों की भरमार है। इसलिए आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी कर लोगों सचेत रहने की सलाह दी है। इंडियाटीवी पैसा की टीम आपको बता रही है असली-नकली नोटों की पहचान करने का आसान तरीका। इसे अपना कर आप त्योहारों में किसी भी तरह के नुकसान से बचे रह सकते हैं। हाल में दिल्ली-NCR में नकली सिक्के बनाने की कई फैक्ट्री पकड़ी गई है।
RBI ने क्या कहा
केंद्रीय बैंक ने कहा कि ऐसी जानकारियां मिली हैं कि कुछ असामाजिक तत्व आम लेन-देन में उच्च मूल्य के नकली नोटों का प्रसार कर रहे हैं। इसलिए लोग 1000 और 500 के नोटों को भलीभांति जांच कर स्वीकार करें।
असली-नकली नोटों की ये हैं पहचन
- वार्टर मार्क: भारतीय रुपए के नोटों पर बने गांधी जी की फोटो को अगर हल्के शेड वाली जगह पर तिरछी कर देखेंगे तो वार्टर मार्क दिखाई देता है।
- आईडेंटिफिकेशन मार्क: यह वाटर मार्क के बाईं ओर होता है। सभी नोटों में यह अलग-अलग साइज का होता है। जैसे 20 रुपए के नोट में ये वर्टिकल रेक्टेंगल, 50 रुपए के नोट में चौकोर, 100 रुपए के नोट में ट्राइएंगल, 500 रुपए के नोट में गोल और 1000 रुपए के नोट में डायमंड के आकार में होता है।
- लेटेंट इमेज: नोट पर गांधी जी की तस्वीर के बराबर एक लेटेंट इमेज होती है जिसमें जितने का नोट है उसकी संख्या लिखी होती है। यह नोट को सीधा करने पर दिखाई देता है।
- माइक्रोलेटरिंग: ध्यान से देखने पर गांधी जी की तस्वीर के ठीक बराबर माइक्रोलेटर्स में संख्या लिखी होती है। 5 रुपए, 10 रुपए और 20 रुपए के नोट में यहां पर आरबीआई लिखा होता है। इससे ज्यादा के नोट पर माइक्रोलेटरिंग की जाती है।
- इंटेग्लिओ प्रिंटिंग: किसी भी नोट पर इस्तेमाल होने वाली स्याही (इंक) एक खास तरह की होती है जिसकी वजह से नोट को छूने पर महात्मा गांधी की फोटो, रिजर्व बैंक की सील और प्रोमाइसिस क्लॉस, आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर उभरते हुए महसूस होते हैं।
नकली नोटों को पहचानने का यह है तरीका
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- सिक्योरिटी थ्रेड: नोट के बीचोंबीच सीधी लाइन पर ध्यान से देखने पर हिंदी में भारत और आरबीआई लिखा होता है। यह सिक्योरिटी थ्रेड होता है। ये काफी पतला होता है और साधारण देखने पर नहीं दिखाई देता लेकिन ध्यान से देखें तो लिखी हुई चीजें साफ दिखती हैं।
- फ्लोरेसेंस: नोट पर नीचे की तरफ जो नंबर दिए होते हैं वो सभी उस खास सीरीज के तहत होते हैं जो नोटों के लिए जारी की गई है। इन नंबर्स को फ्लोरीसेंट इंक से प्रिंट किया जाता है। जब नोट को अल्ट्रावॉयलेट लाइट में देखते हैं तो ये उभरा हुआ दिखाई देते हैं।
- सी थ्रू रजिस्ट्रेशन: सी थ्रू रजिस्ट्रेशन वाटर मार्क के साइड में फ्लोरल डिजाइन के रूप में होता है. यह नोट के दोनों साइड दिखाई देता है। एक साइड यह खाली होता है और दूसरी साइड यह भरा हुआ दिखाई देता है।
- ऑप्टिकल वेरिएबल इंक: ऑप्टिकल वेरिएबल इंक का इस्तेमाल 1,000 और 500 रुपए के नोट में किया जाता है। नोट के बीच में 500 और 1000 के अंक को प्रिंट करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। जब नोट को सीधा पकड़ा जाता है तो यह हरे रंग का दिखाई देता है और एंगल बदलने पर इसका रंग बदलता रहता है।
नोट: ये सभी तरीके आरबीआई के हैं।